धरती पर हमारे आसपास ऐसे हजारों पेड़-पौधे मौजूद हैं, जो अपने औषधीय गुणों के लिए काफी लोकप्रिय हैं. आयुर्वेद में ऐसे पेड़-पौधों को ऊंचा दर्जा दिया जाता है. आयुर्वेदिक पौधों में अक्सर तुलसी, गिलोय या आंवला की सबसे ज्यादा बात होती है. लेकिन इसके अलावा कई ऐसे पौधे हैं जिनका इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों के किया जाता है. ऐसा ही एक पौधा चीनी चीव है. चीनी चीव एक पौधा है जो अस्थमा के इलाज में काम आता है. और भी कई बीमारियों में यह काम आता है. आइए जानें इस पौधे की क्या है खासियत और कैसे होती है इसकी खेती.
चीनी चीव का पौधा पूर्वी एशिया में व्यापक रूप से पाया जाता है. परंपरागत रूप से इसका उपयोग पेट की परेशानी, दस्त और अस्थमा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है. इसके स्वाद की बात करें तो ये लहसुन के स्वाद जैसा होता है. भारत में इसे एक व्यावसायिक फसल के रूप में उगाया जाता है. वहीं देश के कई किसान इसकी खेती करके बेहतर मुनाफा भी कमाते हैं.
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चीनी चीव की खेती इसके छोटे कंद की बजाय इसके पत्तों के लिए की जाती है. इसकी फसल घने गुच्छों में उगती है. इसमें 2 से 8 पतली पत्तियों वाले भाग उगते हैं. ये पौधे एक बार खेती करने पर कई वर्षों तक जीवित रहते हैं. इस पौधे के मध्य भाग में सफेद और गुलाबी रंग के घने फूल होते हैं जिसमें बाल के जैसे डंठल होते हैं. इसके फूल काफी सुगंधित होते हैं. वहीं इसकी खेती बीजों के द्वारा या फिर गुच्छों की बुवाई करके की जाती है. इसकी खेती किसान पत्तेदार साग के तौर पर भी करते हैं. इसकी फसल चार से पांच वर्षों तक खेत में लगी रहती है. इसे आप अपनी खेत में आसानी से लगा सकते हैं.
अस्थमा एक आम बीमारी है जो दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है. औद्योगिक देशों में इसका प्रचलन सबसे ज्यादा है. दुनिया भर में लगभग 300 मिलियन लोग अस्थमा से प्रभावित हैं और अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक 100 मिलियन लोग और प्रभावित होंगे. आयुर्वेद और अन्य भारतीय साहित्य में विभिन्न मानव रोगों में पौधों के उपयोग का उल्लेख है. भारत में लगभग 45,000 पौधों की प्रजातियां हैं और उनमें से कई हज़ार में औषधीय गुण होने का दावा किया जाता है. इन्ही पौधों में से एक चीनी चीव भी है जिसका इस्तेमाल अस्थमा रोग में किया जाता है.