Fertilizer Price: DAP खाद 20 परसेंट तक महंगी हुई, MoP के भी बढ़े दाम... भारत सरकार ने बताई इसकी वजह

Fertilizer Price: DAP खाद 20 परसेंट तक महंगी हुई, MoP के भी बढ़े दाम... भारत सरकार ने बताई इसकी वजह

भारत में यूरिया ही एक ऐसी खाद है जिसका निर्माण बड़े स्तर पर किया जाता है. कुल मांग का तकरीबन 75-80 फीसद हिस्सा भारत अपनी बदौलत पूरा करता है. बाकी कुछ हिस्सा विदेशों से आयात की गई यूरिया से पूरा किया जाता है. लेकिन डीएपी और एमओपी के मामले में यह बात लागू नहीं होती. ये दोनों खाद ऐसी हैं जिसका अधिकांश हिस्सा विदेशों से आता है.

Advertisement
Fertilizer Price: DAP खाद 20 परसेंट तक महंगी हुई, MoP के भी बढ़े दाम... भारत सरकार ने बताई इसकी वजहBlack marketing of fertilizer
Story highlights
  • खादों की महंगाई से सरकार चिंतित
  • खादों की अधिकांश मांग आयात पर निर्भर
  • डीएपी, एमओपी विदेश से होती है सप्लाई

रबी सीजन के दौरान डीएपी खाद की महंगाई 20 परसेंट तक बढ़ गई है. यह महंगाई ऐसे वक्त में सामने आई है जब कई रबी फसलों की बुवाई और निराई-गुड़ाई का काम चल रहा है. सिंचाई भी जारी है. ऐसे में खादों की खपत बढ़ जाती है. लेकिन देश के किसान महंगी खादों से परेशान हैं. इसी कड़ी में केंद्रीय खाद मंत्री मनसुख मांडविया ने जानकारी दी है कि डीएपी की महंगाई इसलिए बढ़ी है क्योंकि पीछे से दाम बढ़ कर आ रहे हैं. मांडविया ने बताया है कि डीएपी और एमओपी जैसी खादों के लिए देश को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. और जिन देशों से खाद आयात होता है, उन देशों ने दाम बढ़ा दिए हैं. यही वजह है कि देश के किसानों को महंगे डीएपी से दो चार होना पड़ रहा है.

खाद मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में डीएपी के दाम में 20 परसेंट तक की बढ़ोतरी है. डाई अमोनियम फॉस्फेट यानी कि DAP बड़ी मात्रा में विदेशों से आयात होता है. जिन देशों से यह खाद मंगाई जाती है, उन देशों ने 'आपदा में अवसर' तलाशते हुए डीएपी के दाम बढ़ा दिए हैं. लिहाजा भारत को डीएपी का आयात महंगा पड़ रहा है. यही वजह है कि आयात के महंगा होने से किसानों को मिलने वाली डीएपी की बोरी भी महंगी हो रही है.

ये भी पढ़ें: फर्टिलाइजर और फूड समेत कई स्कीम्स पर 58 हजार करोड़ खर्च होंगे, एलपीजी, मनरेगा पर भी अतिरिक्त खर्च करेगी सरकार

आयात पर निर्भरता

भारत में कई विदेशी खाद कंपनियां अपना बिजनेस करती हैं. ये वहीं कंपनियां हैं जिनका माल भारत में आयात होता है. इन कंपनियों पर आरोप है कि भारत में जिस वक्त खादों की मांग बढ़ती है, ठीक उसी समय जानबूझ कर महंगाई बढ़ा दी जाती है. इन कंपनियों पर डिमांड को देखते हुए दाम बढ़ाने के आरोप हैं. इन आरोपों को उस वक्त बल मिला जब खाद मंत्री मनसुख मांडविया ने खुद इन्हें लाइन हाजिर किया और दामों को लेकर सख्त चेतावनी दी. खाद मंत्री ने विदेशी कंपनियों से साफ लहजे में कहा कि 'कार्टेलाइजेशन' से बचें और किसानों का एहतराम करें. ऐसा नहीं होना चाहिए कि मांग को देखते हुए अपने फायदो को प्राथमिकता दी जाए.

खादों का गणित

अब आइए खादों के दाम का गणित जान लेते हैं. भारत में यूरिया ही एक ऐसी खाद है जिसका निर्माण बड़े स्तर पर किया जाता है. कुल मांग का तकरीबन 75-80 फीसद हिस्सा भारत अपनी बदौलत पूरा करता है. बाकी कुछ हिस्सा विदेशों से आयात की गई यूरिया से पूरा किया जाता है. लेकिन डीएपी और एमओपी के मामले में यह बात लागू नहीं होती. ये दोनों खाद ऐसी हैं जिसका अधिकांश हिस्सा विदेशों से आता है. देश की कुल मांग की आधी डीएपी खाद विदेशों से आयात की जाती है. खासकर पश्चिम एशिया के देशों और जॉर्डन से. 

ये भी पढ़ें: Khad-Beej: अब 10वीं पास भी कर सकते हैं खाद-बीज का बिजनेस, सिर्फ करना होगा ये कोर्स

कंपनियों को चेतावनी

यही हाल म्यूरिएड ऑफ पोटाश यानी कि MoP का है. एमओपी ऐसी खाद है जो पूरी तरह से विदेशों से मंगाई जाती है. इसमें बेलारूस, कनाडा और जॉर्डन जैसे देश शामिल हैं जो भारत की मांग को पूरा करते हैं. इन देशों की कंपनियां भारत में काम करती हैं और अपना बिजनेस करती हैं. लेकिन हालिया खपत को देखते हुए कंपनियों ने डीएपी और एमओपी जैसी खादों के दाम को बढ़ा दिया है. इस बढ़ोतरी में कंपनियों का कार्टेलाइजेशन काम कर रहा है. यानी कंपनियों ने एकसाथ मिलकर पूरी तैयारी के साथ भारत में खाद महंगी की है जिसे लेकर खाद मंत्री ने चेतावनी जारी की है.

 

POST A COMMENT