Rajasthan Assembly Elections: इस बार थर्ड फ्रंट का क्या हुआ? आप को नोटा से कम वोट

Rajasthan Assembly Elections: इस बार थर्ड फ्रंट का क्या हुआ? आप को नोटा से कम वोट

राजस्थान में तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने का ख्वाब देखने वाले हनुमान बेनीवाल की पार्टी आएलपी इन चुनावों में बुरी तरह हारी है. पार्टी के 80 उम्मीदवार चुनाव हारे हैं. खुद बेनीवाल ने दो हजार वोट से आखिर राउंड में जीत दर्ज की है. मेड़ता में हुए डांगावास कांड के बाद एसटी,एससी समाज बीजेपी-कांग्रेस से नाराज था. इसीलिए बेनीवाल ने आजाद समाज पार्टी से गठबंधन किया. इसके संस्थापक चंद्रशेखर आजाद हैं.

माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Dec 07, 2023,
  • Updated Dec 07, 2023, 5:47 PM IST

राजस्थान विधानसभा चुनावों में अब तक जीती और हारी हुई पार्टियों की खूब चर्चा हो रही है, लेकिन मीडिया की तमाम खबरों में इस बार थर्ड फ्रंट की दावेदार तमाम पार्टियों के निराशाजनक प्रदर्शन की ज्यादा खबरें नहीं हैं. इसमें सबसे बड़ा झटका तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल को लगा है. वे खींवसर से सिर्फ अपनी सीट ही बचा सके हैं. उनकी पार्टी के 80 प्रत्याशी चुनाव हारे हैं. वहीं, दक्षिणी राजस्थान में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी भारतीय आदिवासी पार्टी के तीन विधायक बने हैं. यह थर्ड फ्रंट में सबसे अच्छा स्कोर है. इसी तरह आम आदमी पार्टी को तो नोटा से भी कम वोट राजस्थान में जनता ने दिए हैं. कुलमिलाकर तीसरे मोर्चे के नेता इस बार निर्दलीयों से भी पीछे रह गए. 2018 के विधानसभा चुनावों में 13 निर्दलीय जीते थे. वहीं, अन्य पार्टियों के 14 प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन इस बार आठ निर्दलीयों के मुकाबले तीसरी पार्टी से जुड़े सिर्फ सात उम्मीदवार ही जीत पाए हैं. 

हालांकि इस बार सबसे बड़ी पार्टी बाप यानी भारतीय आदिवासी पार्टी उभरकर आई है. इस पार्टी के तीन उम्मीदवार इन विधानसभा चुनाव में जीत कर आए हैं. वहीं, बसपा ने प्रदेश में सिर्फ एक सीट जीती हैं. बाड़ी विधानसभा से जसवंत सिंह ने बीजेपी के गिर्राज सिंह मलिंगा को चुनाव हराया है. इसके अलावा आरएलडी ने भी एक सीट पर सुभाष गर्ग को उतारकर जीत दर्ज की है. 

हनुमान बेनीवाल की पार्टी की सबसे बुरी हार

राजस्थान में तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने का ख्वाब देखने वाले हनुमान बेनीवाल की पार्टी आएलपी इन चुनावों में बुरी तरह हारी है. पार्टी के 80 उम्मीदवार चुनाव हारे हैं. खुद बेनीवाल ने दो हजार वोट से आखिर राउंड में जीत दर्ज की है. मेड़ता में हुए डांगावास कांड के बाद एसटी,एससी समाज बीजेपी-कांग्रेस से नाराज था. इसीलिए बेनीवाल ने आजाद समाज पार्टी से गठबंधन किया. इसके संस्थापक चंद्रशेखर आजाद हैं.

ये भी पढ़ें- Rajasthan: विधानसभा के बाद राजस्थान में अब होंगे पंचायती राज चुनाव, कार्यक्रम घोषित

दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के लिए सीटें भी छोड़ी थीं. बेनीवाल ने आजाद से एसटी,एससी वोट बैंक को साधने के लिए गठबंधन किया, लेकिन यह काम नहीं आया. बता दें कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) की स्थापना हनुमान बेनीवाल ने 29 अक्टूबर 2018 को थी.

बेनीवाल ने 2018 में 57 प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से तीन प्रत्याशी जीते थे. हनुमान बेनीवाल खींवसर, इंदिरा बावरी मेड़ता सिटी से, भोपालगढ़ से पुखराज गर्ग विधायक बने थे. इसके बाद पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन करके अगले ही साल लोकसभा चुनाव में नागौर सीट से चुनाव लड़ा और बेनीवाल सांसद बन गए. उपचुनाव में उनके छोटे भाई नारायण बेनीवाल विधायक बने थे. इसके अलावा रालोपा ने पंचायत चुनाव भी लड़े थे. जिनमें एक पालिकाध्यक्ष, पांच प्रधान और कई पंचायत समिति सदस्य और सरपंच चुनाव जीते थे. 

भारत आदिवासी पार्टी ने जीतीं तीन सीट 

ये पार्टी महज तीन महीने पुरानी है. लेकिन इस चुनाव में थर्ड फ्रंट के तौर पर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बाप ने तीन सीटें जीती हैं. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में विभाजन के बाद साल 2023 में चुनाव से महज तीन महीने पहले ‘बाप’ का गठन किया गया.

ये भी पढे़ं- Rajasthan Election Results: कौन है सीएम फेस? दावे ही दावे, सच सिर्फ दिल्ली जानती है 

पार्टी की स्थापना प्रदेश की चौरासी विधानसभा से विधायक राजकुमार रोत और सागवाड़ा विधायक रामप्रसाद डिंडोर ने की है. बता दें कि राजस्थान में आदिवासियों का 13 प्रतिशत वोट बैंक है. प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा आदिवासी बहुल क्षेत्र है.  यहां बाप और बीटीपी दोनों पार्टियों ने 27 प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे. इस बार बाप पार्टी ने चौरासी, आसपुर, धरियावद सीट से जीत दर्ज की है.  पार्टी अध्यक्ष राजकुमार रोत ने सबसे बड़ी 70 हजार वोटों से जीत दर्ज की है. 

आम आदमी पार्टी को मिले नोटा से भी कम वोट

राजस्थान विधानसभा चुनावों में दिल्ली और पंजाब में सत्ता चला रही आम आदमी इस बार भी प्रदेश में खाता नहीं खोल पाई. पिछली बार भी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. इस बार विधानसभा चुनाव में आप ने 88 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से ज्यादातर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई हैं. हैरानी की बात यह है कि आप को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. पार्टी को राजस्थान में 0.38 प्रतिशत वोट मिले हैं. जबकि इन चुनावों में नोटा को 0.96 प्रतिशत वोट मिले हैं. 


MORE NEWS

Read more!