कश्मीर-हिमाचल प्रदेश में बर्फ और राजस्थाीन में ओले गिरने से एक बार फिर कम होती ठंड का तापमान नीचे चला गया है. ठंडी हवाएं चलने लगी हैं. बेशक कोहरा नहीं पड़ रहा है, लेकिन धूप में कमी आई है. वहीं ऐसी ठंड में भी पोल्ट्री कारोबारियों के पसीने छूट रहे हैं. उन्हें फरवरी से मार्च तक ब्रॉयलर चिकन का सीजन हाथ से निकलता दिख रहा है. 10 से 15 दिन के सीजन के लिए मौसम तैयारी नहीं करने दे रहा है. अभी तक पोल्ट्री फार्म में नए चूजे नहीं डाले गए हैं. सर्दी कम होने का इंतजार लम्बा होता जा रहा है.
दिल्ली की गाजीपुर मुर्गा मंडी से रोजाना करीब 5 लाख मुर्गों की सप्लाई होती है. दिल्लीं-एनसीआर के अलावा गाजीपुर से मुर्गे मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, हाथरस, बुलंदशहर, खुर्जा, शामली आदि जगहों पर भी जाते हैं. गाजीपुर मंडी में ज्यादातर ब्रॉयलर चिकन हरियाणा के जींद से आता है.
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पोल्ट्री एक्सपर्ट अनिल शाक्या ने किसान तक को बताया कि ऐसा माना जाता है कि 20 जनवरी तक अच्छी खासी सर्दी रहती है. लेकिन उसके बाद ठंडक में कमी आ जाती है और धूप में तपिश भी बढ़ जाती है. इसलिए ब्रॉयलर का नया चूजा जो एक दिन का होता है खरीदकर पालने की तैयारी शुरू हो जाती है. लेकिन इसके लिए हैचिंग कंपनियों में ऑर्डर पहले लगाने होते हैं. इस दौरान यह भी ख्याल रखा जाता है कि होली किस तारीख की है. उसे ध्यान में रखते हुए भी चूजे की खरीद की जाती है.
क्योंकि एक ब्रॉयलर चूजा 30 से 35 दिन में बाजार में बिकने के लिए तैयार होता है. जैसे अगर आपने 25 जनवरी को नया चूजा पालना शुरू किया तो वो 25 फरवरी से एक मार्च तक ही एक से सवा किलो वजन का हो पाएगा. इस वजन के ब्रॉयलर चिकन की बाजार में अच्छी डिमांड रहती है.
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पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के ट्रेजर रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि दिसम्बर के आखिर से कड़ाके की ठंड पड़ना शुरू हो जाती है. जनवरी में इस तरह की ठंड 15 से 20 तारीख तक रहती है. तापमान भी 4 से 5 डिग्री तक चला जाता है. जबकि ब्रॉयलर चिकन के फार्म में कम से कम 25 से 26 डिग्री तक तापमान बनाए रखना होता है. अगर इसमे जरा भी 19-20 हुआ तो बर्ड के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. इस तापमान को बनाए रखने के लिए कई तरह के उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं. जिसका खर्च प्रतिमुर्गी करीब 4 रुपये आता है. यह एक अतिरिक्त खर्च बढ़ जाता है. इसलिए ज्यादातर फार्म मालिक एक महीने तक फार्म में नया चूजा नहीं पालते हैं.
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