Kashmir Farming: अफीम नहीं, अब सब्जियां और सेब उगाकर मुनाफा कमा रहे कुलगाम के किसान 

Kashmir Farming: अफीम नहीं, अब सब्जियां और सेब उगाकर मुनाफा कमा रहे कुलगाम के किसान 

एक प्रोग्राम की शुरुआत के बाद से ही किसानों को नशीले पदार्थों की खेती से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करके, अफीम की खेती के तहत आने वाली जमीन के बड़े हिस्से को मक्का, सब्जियों और सेब की ज्‍यादा उपज वाली किस्मों में बदल दिया गया है. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस कार्यक्रम के शुरू होने से पहले इस क्षेत्र में कुल 738 कनाल जमीन पर अफीम की खेती होती थी. एक साल के भीतर यह आंकड़ा घटकर 49 कनाल रह गया. 

Kashmir Opium Farming  Kashmir Opium Farming
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 14, 2025,
  • Updated Oct 14, 2025, 3:35 PM IST

कश्‍मीर के कुछ इलाकों में अफीम की खेती की जाती है लेकिन अब यहां पर किसान एक नया प्रयोग करने लगे हैं. श्रीनगर से करीब 65 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्‍मीर के कुलगाम में किसान ने अफीम की खेती छोड़कर दूसरे प्रयोगों में हाथ आजमाया है. उनकी मानें तो अब उन्‍हें इसमें काफी मुनाफा भी हो रहा है. ऐसे में उनका इरादा फिलहाल अफीम की तरफ लौटने का तो नहीं है. यह दरअसल घाटी में चलाए जा रहे एक खास अभियान का हिस्‍सा है और किसानों का इसमें शामिल होना इसकी सफलता बताता है. 

अब हो रही है एक्‍स्‍ट्रा इनकम 

अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट ने कुलगाम जिले के एक गांव के एक किसान के हवाले से लिखा है, 'अब मैं अतिरिक्त 46,000 रुपये कमाता हूं और यह मेरी सालाना आय में इजाफा करता है.' बाकी किसानों की तरह यह किसान भी अपनी इनकम के लिए अफीम की खेती पर निर्भर था. लेकिन साल 2023 में शुरू किए नशा मुक्त जम्मू-कश्मीर अभियान के तहत जिला प्रशासन ने रहनुमा प्रोग्राम को लॉन्‍च किया. इस प्रोग्राम में शामिल होकर किसान ने अपने तीन कनाल से ज्‍यादा फैले खेत में कई तरह की सब्जियां उगानी शुरू कर दीं. 

कम हो गई अफीम की खेती 

इस प्रोग्राम की शुरुआत के बाद से ही किसानों को नशीले पदार्थों की खेती से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करके, अफीम की खेती के तहत आने वाली जमीन के बड़े हिस्से को मक्का, सब्जियों और सेब की ज्‍यादा उपज वाली किस्मों में बदल दिया गया है. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस कार्यक्रम के शुरू होने से पहले इस क्षेत्र में कुल 738 कनाल जमीन पर अफीम की खेती होती थी. एक साल के भीतर यह आंकड़ा घटकर 49 कनाल रह गया. 

उग रहा मक्‍का, धान और सब्जियां 

एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा, '2025 तक, जिले में अफीम की खेती पूरी तरह से बंद हो जाएगी और किसान मक्का, धान, सब्जियों और फूलों की खेती की ओर रुख करेंगे. अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन अब स्थानीय निकायों को नियमित निगरानी में शामिल करके अफीम की खेती को बंद रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. नई योजना के तहत, ग्राम पंचायतों को किसी भी गैर-कानूनी खेती की पहचान करने और उसकी सूचना देने, सामुदायिक स्तर पर सतर्कता सुनिश्चित करने और लंबे समय तक उसका पालन हो, यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है. 

अफीम की खेती चिंता का विषय 

कश्मीर घाटी में हजारों कनाल जमीन पर अफीम की खेती होती है. इसके कारण अधिकारी नियमित तौर पर अभियान चला रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अकेले 2023 में एजेंसियों ने कानून के तहत 9,448 कनाल में फैली अवैध अफीम और भांग की फसलों को नष्‍ट कर दिया था. अफीम की खेती ने क्षेत्र में बढ़ती नशीली दवाओं की समस्या को बढ़ावा दिया है, और हेरोइन जैसी सबसे गंभीर नशीली दवाएं जम्मू-कश्मीर में एक बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं. 

कुलगाम के अधिकारियों का मानना ​​है कि जिले की सफलता ने घाटी के बाकी हिस्सों के लिए एक उदाहरण कायम किया है.यह बताता है कि सामुदायिक भागीदारी और आय के दूसरे विकल्‍पों के साथ मिलकर एक लगातार अभियान चलाकर नशीले पदार्थों की खेती को समाप्त किया जा सकता है. 

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