Coffee Crop: कैनोपी से बदलेगी कॉफी की खेती, छोटे किसानों के लिए बड़ी तकनीक

Coffee Crop: कैनोपी से बदलेगी कॉफी की खेती, छोटे किसानों के लिए बड़ी तकनीक

वायनाड के डीप-टेक स्टार्ट-अप न्यूबायोम लैब्स ने कॉफी किसानों के लिए ‘कैनोपी’ प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है. यह सैटेलाइट, एआई और स्थानीय मौसम डेटा की मदद से फसल की सेहत, पैदावार और जोखिम की जानकारी देता है. कम लागत में यह तकनीक छोटे किसानों को सुरक्षित, टिकाऊ और लाभकारी कॉफी खेती में मदद करेगी.

कॉफी खेती में डिजिटल क्रांतिकॉफी खेती में डिजिटल क्रांति
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 30, 2025,
  • Updated Dec 30, 2025, 11:02 AM IST

केरल के वायनाड जिले में एक नया और अनोखा स्टार्ट-अप शुरू हुआ है, जिसका नाम है न्यूबायोम लैब्स (NeuBiom Labs). इस स्टार्ट-अप ने कॉफी किसानों के लिए एक खास डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जिसका नाम “कैनोपी (Canopy)” है. यह प्लेटफॉर्म कॉफी की खेती को समझने और बेहतर बनाने में किसानों की मदद करेगा. इसे इस तरह बनाया गया है कि छोटे से छोटा किसान भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर सके.

कैनोपी क्या है और यह कैसे काम करता है?

कैनोपी एक कॉफी फसल समझने वाला डिजिटल प्लेटफॉर्म है. यह किसानों को उनकी कॉफी की खेती की पूरी जानकारी देता है. इसमें सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्थानीय मौसम की जानकारी का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक की मदद से किसान यह देख सकते हैं कि उनकी फसल कैसी है, पौधे स्वस्थ हैं या नहीं, और आगे कोई नुकसान तो नहीं होगा. इसे ऐसे समझिए जैसे खेती का एक डिजिटल जुड़वां (Digital Twin) बना दिया गया हो, जिसे किसान मोबाइल या कंप्यूटर पर देख सकते हैं.

छोटे किसानों के लिए क्यों है यह खास?

आज मौसम तेजी से बदल रहा है. कभी ज्यादा बारिश, कभी ज्यादा गर्मी, तो कभी सूखा पड़ जाता है. ऐसे में छोटे किसानों को बहुत नुकसान होता है. कैनोपी किसानों को पहले से बता देता है कि फसल को क्या जरूरत है.
इससे किसान सही समय पर पानी, खाद और दवा डाल सकते हैं. इससे खर्च कम होता है और पैदावार अच्छी होती है. अच्छी बात यह है कि इसकी कीमत सिर्फ ₹2,999 सालाना है, यानी पूरे एक फसल चक्र के लिए. इतनी कम कीमत में इतनी बड़ी तकनीक मिलना किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है.

समूह और सहकारी समितियों के लिए भी उपयोगी

कैनोपी सिर्फ एक किसान के लिए नहीं, बल्कि किसान उत्पादक संगठन (FPO) और सहकारी समितियों के लिए भी मददगार है. इससे वे अलग-अलग जगहों पर मौजूद खेतों की जानकारी एक साथ देख सकते हैं.
इससे यह पता चलता है कि कहां कितनी फसल हो सकती है. साथ ही, यह प्लेटफॉर्म कॉफी की ट्रेसबिलिटी भी दिखाता है, यानी कॉफी कहां उगी, कैसे उगी और कितनी सुरक्षित है. यह जानकारी विदेशों में कॉफी बेचने के लिए बहुत जरूरी होती है.

विदेशी बाजार में भारतीय कॉफी को मिलेगी मजबूती

आज यूरोप जैसे देशों में कॉफी के लिए कड़े नियम हैं. वे जानना चाहते हैं कि कॉफी पर्यावरण के अनुकूल तरीके से उगाई गई है या नहीं. कैनोपी इन सभी बातों का पूरा रिकॉर्ड रखता है. इससे भारतीय कॉफी अंतरराष्ट्रीय बाजार में नियमों पर खरी उतर सकेगी और किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे.

किसने बनाया कैनोपी?

न्यूबायोम लैब्स के संस्थापक और सीईओ सूरज के. बाबू हैं. वे खुद दूसरी पीढ़ी के कॉफी किसान हैं. उन्होंने कहा कि उनका सपना है कि छोटे किसानों का जोखिम कम हो और वे अच्छी, सुरक्षित और पहचान वाली कॉफी उगा सकें. यह स्टार्ट-अप अटल इनक्यूबेशन सेंटर, कॉफी बोर्ड, गूगल फॉर स्टार्ट-अप्स इंडिया, केरल स्टार्ट-अप मिशन जैसे संस्थानों से जुड़ा हुआ है.

कैनोपी एक ऐसा दोस्त है जो कॉफी किसानों को उनकी खेती समझने में मदद करता है. यह तकनीक खेती को आसान, सुरक्षित और लाभदायक बनाती है. वायनाड का यह स्टार्ट-अप दिखाता है कि सही सोच और तकनीक से खेती का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है.

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