देश के चावल भंडारण को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल केंद्रीय पूल के तहत चावल का स्टॉक 374.8 लाख टन पहुंच गया है. यह स्टॉक दो दशकों में सबसे ज्यादा हाेने के साथ ही मौजूदा बफर स्टॉक जरूरत 135.4 लाख टन से तीन गुना ज्यादा है. मालूम हो कि सरकार अनाज का ज्यादातर स्टॉक गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना (PMGKAY) के कारण रखती है. वहीं, इस आंकड़े में मिलर्स से मिलना बाकी 198.9 लाख टन चावल शामिल नहीं है. यह चावल किसानों से एमएसपी पर खरीदा गया धान है, जिसे मिलर्स चावल में बदलते हैं.
‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 के मौजूदा सीजन में भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियों ने कुल 531.1 लाख टन चावल खरीदा है, जो पिछले साल के 525.4 लाख टन से थोड़ा ज़्यादा है. इसमें से लगभग 410 लाख टन चावल हर साल पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और अन्य योजनाओं के तहत बांटा जाता है.
पिछले चार सालों में सरकार ने औसतन 55 मिलियन टन से ज़्यादा चावल एमएसपी पर खरीदा है. इससे हर साल 10-12 मिलियन टन अतिरिक्त चावल स्टॉक में जुड़ता चला गया, जो अब भारी स्टॉक की वजह बन गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्टॉक जल्द कम नहीं किया गया तो भंडारण लागत बढ़ेगी और इससे खाद्य सब्सिडी पर दबाव बढ़ेगा. इसके अलावा, अक्टूबर से नए सीजन की खरीद शुरू होने से पहले स्टोरेज की भी समस्या खड़ी हो सकती है.
वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में चावल की प्रति क्विंटल आर्थिक लागत 4,173 रुपये थी, जिसमें MSP, ट्रांसपोर्ट और भंडारण शामिल है. अगर स्टॉक यूं ही बढ़ता रहा, तो यह लागत और भी बढ़ सकती है. सरकार ने 28 लाख टन चावल डिस्टिलरियों को एथेनॉल उत्पादन के लिए 2250 रुपये/क्विंटल की सब्सिडी पर देने का फैसला किया है. इसके अलावा, FCI ने FY25 में कुल 463 लाख टन चावल राज्य योजनाओं, खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) और एथेनॉल निर्माण के लिए आवंटित किया है.
2023-24 में केवल 1.9 लाख टन चावल ही OMSS के जरिए थोक खरीदारों को 2900 रुपये/क्विंटल के रेट पर बेचा गया था. कुल बिक्री मात्र 6.4 लाख टन रही, जिससे स्टॉक में कोई खास कमी नहीं आई. वहीं, चावल के अलावा सरकार के पास 355.7 लाख टन गेहूं भी है, जो कि निर्धारित बफर (275.8 लाख टन) से काफी अधिक है. FY25 में अनुमानित खाद्य सब्सिडी खर्च 2.03 लाख रुपये करोड़ है.