भारत को विविधताओंं का देश कहा जाता है. भारत की सास्कृतिक विविधाताओं के चर्चे दुनियाभर में है. लेकिन, सच ये है कि भारत की ये सांस्कृतिक विविधताओं का मुख्य आधार देश में पाई जाने वाली मिट्टी हैं. असल में देश के अंदर पाई जाने वाली मिट्टी में ही विविधिताएं हैं, जो पूरे देश को एक होने करने के बाद भी अपना अलग-अलग रंग और रूप लिए हैं. असल मेंं मिट्टी जमीन के ऊपर का वह भाग होता है जिसकी उपजाऊ क्षमता अलग अलग जगहों में अलग अलग होती है, यदि आप कृषि के क्षेत्र में आते हैं और खेती करना चाहते हैं तो आपको मिट्टी की गुणवत्ता और उसके प्रकार के बारे में जानना बहुत जरूरी होता है, अधिकांश किसानों को मिट्टी के प्रकार और उस प्रकार की मिट्टी में कौन सी खेती करनी चाहिए इस बारे में अधिक जानकारी नहीं होती इसलिए कई बार उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.
असल में भारत में कुल 7 प्रकार की मिट्टियां होती हैं. आईये वर्ल्ड सॉयल डे यानी विश्व मृदा दिवस के अवसर पर हम आपको देश के पाई जाने वाली 8 प्रमुख मिट्टियों और उनकी विशेषताओं के बारे में बताते हैं.
काली मिट्टी इस मिट्टी में जीवांश और टिटेनीफेरस पाए जाते हैं जिसके कारण इसका रंग काला होता है, इस मिट्टी में चूना, लौह तत्व, कार्बनिक तत्व और मैग्नीशियम अधिक होते हैं, यह मिट्टी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और मध्यप्रदेश के इलाकों में पाई जैती है, इस मिट्टी में कपास, गन्ना, गेहूं, खट्टे फल, तिलहन की फसलें सूरजमुखी और मूंगफली बोई जाती है.
लाल मिट्टी यह मिट्टी बड़े चट्टानों से टूटने के बाद बनती है इसका रंग लाल या चॉकलेटी होता है, एल्युमिनियम, चूना और लोहा की अधिकता होती है, यह राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के इलाकों में पाई जाती है, दालें और मोटे अनाज के लिए यह मिट्टी उपयुक्त होती है.
मरुस्थलीय मिट्टी ऐसे स्थान जहां वर्षा बहुत कम होती है इस मिट्टी में ह्यूमस की कमी होती है, राजस्थान, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में यह मिट्टी पाई जाती है, इस तरह की मिट्टी में मोटे अनाज की खेती की जाती है. लवणीय मिट्टी इस तरह की मिट्टी में लवण (नमक) की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण बीजों का अंकुरण और पौधे का विकास प्रभावित होता है, यह बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाई जाती है, इस तरह की मिट्टी में गेहूंकी खेती की जाती है, क्योंकि गेहूं की फसल अन्य फसलों की तुलना में लवण को सहन कर सकती है.
लैटेराइट मिट्टी शुष्क इलाकों में पाई जाने वाली यह मिट्टी चट्टानों के टूट- फूट से बनती है, इसमें लोहा और चूना की अधिकता होती है, यह मिट्टी कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, बंगाल और उड़ीसा के इलाकों में पाई जाती है, इसमें उगने वाली प्रमुख फसलें, चावल, गेहूं, कपास कॉफी और नारियल होती हैं.
वहीं जैविक मिट्टी यह मिट्टी दलदली होती है जिसकी उपजाऊ क्षमता अधिक होती है, यह केरल, बंगाल और उत्तराखंड में पाई जाती है, इसमें दलहनी फसलों की खेती की जाती है.
पर्वतीय मिट्टी यह मिट्टी मुख्य रूप से पहाड़ी ढलानों में पाई जाती है, ये मिट्टी कार्बनिक ढलानों में पाई जाती है इस मिट्टी में चाय, कॉफी और मसालों की खेती की जाती है. इन क्षेत्रों के किसान, इस मिट्टी में पारंपरिक फसलों की खेती कम कर पाते हैं.
भारत के पीली मिट्टी भी पाई जाती है. जिसमें केरल पीली मिट्टी का मुख्य गढ़ है. असल में पाली मिट्टी लाल रंग की एक मिट्टी का प्रकार है. लेकिन, इसे भी अलग मिट्टी की तरह पहचाना गया है. लाल मिट्टी वाले क्षेत्र में अधिक बारिश की वजह से जब उससे रासायनिक तत्व अलग हो जाते हैं. तो फिर वह पीली मिट्टी बन जाती है. इस मिट्टी में मसालों की खेती अधिक हाेती है.