पंजाब के किसान एक बार फिर राज्य सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि फसल नुकसान के मुआवजे पर लगी पाँच एकड़ की सीमा को हटाया जाए. हाल ही में पंजाब सरकार ने सीमा क्षेत्र में आई बाढ़ से प्रभावित सभी किसानों को मुआवजा देने की घोषणा की है. लेकिन इस मुआवजे पर अभी भी एक बड़ा नियम लागू है, जिसके तहत एक किसान को अधिकतम पांच एकड़ जमीन तक ही मुआवजा मिलता है. यह नियम राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund - SDRF) के तहत बनाया गया है. हालांकि, इस नियम को लेकर किसानों में असंतोष है और यह मुद्दा सरकार के समक्ष विचार के लिए रखा गया है.
बाढ़ जैसी आपदाओं में फसलों का नुकसान होना आम बात है, लेकिन जब मुआवजा पाने की सीमा इतनी कम हो तो किसानों की आर्थिक समस्या और बढ़ जाती है. घोनवाल गांव के किसान गुरभेज सिंह ने बताया कि उनके पास लगभग 20 एकड़ जमीन है और इसके अलावा उन्होंने 25 एकड़ जमीन पट्टे पर भी ली हुई है. इस बार बाढ़ के कारण उनकी सारी फसल नष्ट हो गई. खेतों में पानी जमा हो गया और खेतों पर मिट्टी और सिल्ट की मोटी परत छा गई, जिससे खेती की हालत और भी खराब हो गई. उन्होंने बताया कि जब मुआवजे के लिए मूल्यांकन किया गया तो अधिकारियों ने कहा कि केवल पांच एकड़ जमीन तक ही मुआवजा मिलेगा. गुरभेज सिंह के अनुसार, पांच एकड़ का मुआवजा उनके नुकसान के केवल एक छोटे हिस्से की भरपाई भी नहीं कर पाएगा. इससे साफ है कि मुआवजे की वर्तमान सीमा बड़ी भूमि वाले किसानों की मदद करने में असमर्थ है.
यह समस्या इस साल पहली बार नहीं आई है. 2023 की बाढ़ के समय भी किसानों ने मुआवजे की सीमा को लेकर सरकार से सवाल उठाए थे. उस समय भी मुआवजा केवल पांच एकड़ तक सीमित था, जिससे बड़े किसानों को उनके वास्तविक नुकसान के मुकाबले कम मुआवजा मिला था. जम्हूरी किसान सभा के नेता रतन सिंह रंधावा ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है. उनका कहना है कि इस साल का नुकसान पिछले साल की तुलना में भी ज्यादा व्यापक और भयानक है. इसलिए सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए मुआवजे की सीमा को हटाना चाहिए ताकि हर किसान को उसके नुकसान के अनुसार उचित मुआवजा मिल सके.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह नियम SDRF के तहत लागू है, जिसके अनुसार किसी भी किसान या जमीन मालिक को पांच एकड़ तक ही मुआवजा दिया जाता है, चाहे उसकी वास्तविक जमीन का आकार इससे कहीं अधिक हो. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इस मसले पर सरकार के विभिन्न विभाग विचार कर रहे हैं और शीघ्र ही किसी निर्णय की संभावना है. सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्थिति का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है ताकि किसानों को न्याय मिल सके और वे अपनी खेती फिर से अच्छे से शुरू कर सकें.
फसल नुकसान के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है. अगर मुआवजे की सीमा पांच एकड़ तक रखी जाती है तो बड़े किसान अपने नुकसान की भरपाई नहीं कर पाते. इससे उनकी खेती प्रभावित होती है और वे नए सिरे से खेती करने में हिचकिचाते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि सरकार मुआवजे की सीमा को हटाकर वास्तविक नुकसान के अनुसार मुआवजा देने का निर्णय करे. इससे न केवल किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि उनकी हिम्मत भी बढ़ेगी और वे कृषि कार्य में सक्रिय रहेंगे. किसान ही देश की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं, इसलिए उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है. आशा है कि सरकार इस बार किसानों की मांगों को गंभीरता से लेगी और मुआवजे की सीमा हटाकर उन्हें न्याय प्रदान करेगी.