पराली जलाने पर SC की सख्ती: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब से पूछा – कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों न किया जाए?

पराली जलाने पर SC की सख्ती: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब से पूछा – कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों न किया जाए?

सर्दियों में प्रदूषण के स्तर में सामान्य वृद्धि से चिंतित, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब सरकार से पूछा कि वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदान देने वाले पराली जलाने में शामिल कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाना चाहिए, ताकि एक सख्त संदेश दिया जा सके.

भोपाल में 3 महीने तक पराली जलाने पर रोक (पीटीआई)भोपाल में 3 महीने तक पराली जलाने पर रोक (पीटीआई)
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  • New Delhi ,
  • Sep 17, 2025,
  • Updated Sep 17, 2025, 7:24 PM IST

सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है. चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को पंजाब सरकार से तीखा सवाल किया कि क्यों न कुछ गलत किसानों को गिरफ्तार कर सख्त संदेश दिया जाए?

कोर्ट ने कहा, "आप फैसला लीजिए, वरना हम आदेश जारी करेंगे." यह टिप्पणी उस समय आई जब कोर्ट उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों पर स्वतः संज्ञान (suo motu) मामले की सुनवाई कर रही थी.

CJI बोले - पराली जलाने पर गिरफ्तारी हो सकती है जरूरी, ताकि संदेश जाए

CJI ने पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा से सवाल किया, “आपके यहां किसान पराली जलाते हैं और आप कुछ नहीं करते. क्या कुछ लोगों को जेल भेजना जरूरी नहीं, ताकि सख्त संदेश जाए?” उन्होंने कहा कि पराली को जैव ईंधन (biofuel) की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है, और इसे हर 5 साल में उठने वाला मुद्दा नहीं बनने देना चाहिए.

CJI ने पूछा, "किसान स्पेशल हैं और हम उनकी बदौलत खा रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते. आप कुछ पेनाल्टी के बारे में क्यों नहीं सोचते? अगर कुछ लोग सलाखों के पीछे हैं, तो इससे सही संदेश जाएगा. आप किसानों के लिए कुछ दंड के बारे में क्यों नहीं सोचते? अगर पर्यावरण की रक्षा करने का आपका सच्चा इरादा है, तो फिर आप क्यों कतरा रहे हैं?" उन्होंने आगे कहा, "मैंने अखबारों में पढ़ा था कि पराली का इस्तेमाल जैव ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है. हम इसे पांच साल की प्रक्रिया नहीं बना सकते..."

बेंच ने पंजाब सरकार की ओर से पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम न उठाए जाने पर नाखुशी जताई. पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के किसानों के बीच पराली जलाने की प्रथा प्रचलित है ताकि वे अगली बुवाई के लिए अपने खेतों को जल्दी से खाली कर सकें. शुरुआत में, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पराली को जलाने के बजाय, जैव ईंधन के रूप में फिर से उपयोग किया जा सकता है. 

पंजाब सरकार बोली - पराली जलाने के मामलों में आई है गिरावट

पंजाब सरकार के वकील मेहरा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में पराली जलाने की घटनाएं पिछले कुछ वर्षों में 77,000 से घटकर 10,000 तक आई हैं. उन्होंने कहा कि छोटे किसानों की गिरफ्तारी से उनके परिवार बुरी तरह प्रभावित होंगे.

लेकिन कोर्ट ने पूछा कि आखिर पराली जलाने पर दंडात्मक कार्रवाई किस कानून के तहत होती है? जवाब में बताया गया कि पहले ये प्रावधान पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) में था, लेकिन अब उसे हटा दिया गया है.

CJI ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा, “क्यों हटाया गया? अगर लोग जेल जाएंगे तो संदेश जाएगा.”

"खेत में सैटेलाइट न गुजरें तो ही जलाते हैं पराली" - कोर्ट को मिली जानकारी

कोर्ट में वरिष्ठ वकील और अमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद जमीनी हालात बहुत बेहतर नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि किसान तब पराली जलाते हैं जब सैटेलाइट उनकी जमीन के ऊपर न हो.

कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारियां नियमित न हों, लेकिन कुछ मामलों में उदाहरण सेट करने के लिए जरूरी हो सकती हैं.

अदालत का आदेश: तीन महीने में सभी राज्य प्रदूषण बोर्ड के खाली पद भरें

कोर्ट ने पंजाब सहित सभी राज्यों और CAQM (Commission for Air Quality Management) और CPCB (Central Pollution Control Board) को आदेश दिया है कि तीन महीने के भीतर सभी खाली पद भरे जाएं.

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