मार्च में खेती के लिए बेस्ट है इस सब्जी की पूसा स्वेती किस्म, जानें इसकी खासियत

मार्च में खेती के लिए बेस्ट है इस सब्जी की पूसा स्वेती किस्म, जानें इसकी खासियत

जायद सीजन की शुरुआत होते ही किसान खेतों में कई अलग-अलग प्रकार की सब्जियों की खेती शुरू कर देते हैं. ऐसे में किसानों को ये चिंता रहती है कि सब्जी की कौन सी किस्म उन्हें बेहतर उत्पादन दे सकती है. इसे देखते हुए किसान मार्च के महीने में शलजम की पूसा स्वेती किस्म की खेती कर सकते हैं.

पूसा स्वेती किस्मपूसा स्वेती किस्म
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Mar 08, 2025,
  • Updated Mar 08, 2025, 10:40 AM IST

सेहत को अच्छा रखने के लिए सब्जियों को काफी फायदेमंद माना जाता है. इसलिए लोग अलग-अलग प्रकार की सब्जी खाना पसंद करते हैं. ऐसे में कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देते हैं. ऐसी ही एक सब्जी की किस्म है ‘पूसा स्वेती’. ये बाजार में लगभग सालों भर मिलने वाली सब्जी शलजम की एक खास किस्म है. शलजम की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. किसान मार्च में इसकी खेती कर बेहतर उपज और कमाई करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पर्पल टॉप वाईट ग्लोब वैरायटी की क्या खासियत है. साथ ही इसके उन्नत किस्मों के बारे में भी जान लेते हैं.

शलजम की पांच उन्नत किस्में

पूसा स्वेती किस्म: पूसा स्वेती किस्म एक अगेती किस्म है. इसकी बुआई मार्च महीने के मध्य में की जाती है. इसकी जड़ें सबसे कम टाइम में पकती है. इनके तैयार होने में महज 45 दिन का समय लगता है. ये किस्म भी पैदावार के लिए बेहतर होती है.

पर्पल टॉप वाईट ग्लोब: शलजम की पर्पल टॉप वाईट ग्लोब किस्म आकार में सामान्य से बड़ी होती है, जिसका ऊपरी भाग बैंगनी और गूदा सफेद होता है. इसे तैयार होने में 60 से 65 दिन का समय लगता है. वहीं इसका उत्पादन 150 से 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है.

सफेद-4 किस्म: शलजम की इस किस्म को मार्च अंत में लगाया जाता है. इसे तैयार होने में 50 से 55 दिन का समय लगता है. इसकी उपज 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. वहीं ये शलजम सफेद रंग की होती है.

लाल-4 किस्म: शलजम की यह किस्म बसंत ऋतु में पाई जाने वाली किस्म है. इसके तैयार होने में 60 से 70 दिन का समय लगता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें निकलने वाली जड़ों का आकार सामान्य और गोल होता है. वहीं यह अधिक पैदावार देने वाली किस्म है.

स्नोवाला किस्म: स्नोवाला किस्म सफेद रंग की होती है. इसका आकार गोल होता है. गूदा नरम और मीठा होने के कारण इसे सलाद में खूब उपयोग किया जाता है. इसे तैयार होने में 55 से 60 दिन का समय लगता है.

शलजम की कैसे करें खेती

शलजम की खेती के लिए बलुई, दोमट या रेतीली मिट्टी बेस्ट होती है. शलजम की जड़ें भूमि के अंदर होती हैं, इसलिए इसे नर्म जमीन की जरूरत होती है. यह ठंडी जलवायु वाली फसल है. वहीं, इसकी खेती करने से पहले खेत की जुताई करें. फिर उसमें गाय का सड़ा हुआ गोबर 60-80 क्विंटल प्रति एकड़ डालें और खेत की तैयारी के समय मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं. इसके बाद शलजम की बुवाई पंक्तिबद्ध तरीके से करें. पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेमी की होनी चाहिए.

MORE NEWS

Read more!