Paddy Sowing: तेलंगाना के धान किसानों के लिए मुश्किल साल, इन दो कारणों से घटेगी बुवाई!

Paddy Sowing: तेलंगाना के धान किसानों के लिए मुश्किल साल, इन दो कारणों से घटेगी बुवाई!

Paddy Sowing: राज्य ने कुल खरीफ रकबे का लक्ष्य 152 लाख एकड़ रखा है. कपास और मक्का जैसी फसलों में लगातार प्रगति हो रही है. लेकिन अनियमित वर्षा और यूरिया की कमी ने धान की खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है. अधिकारियों का मानना है कि अगर मॉनसून की स्थिति स्थिर रही तो 2025 का मौसम भी इसी उत्पादन स्तर तक पहुंच सकता है. लेकिन यूरिया की कमी संकट डाल सकती है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 12, 2025,
  • Updated Aug 12, 2025, 6:45 AM IST

तेलंगाना को दक्षिण भारत का 'धान का कटोरा' कहा जाता है लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार यह राज्‍य चावल की खेती में पीछे रह जाएगा. राज्‍य में 2025 के लिए खरीफ की बुवाई अगस्त की शुरुआत तक 90 लाख एकड़ तक पहुंच गई है. यह पिछले साल इसी अवधि में दर्ज 73.65 लाख एकड़ से काफी ज्‍यादा है. हालांकि, धान की रोपाई धीमी बनी हुई है. 66 लाख एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले अब तक सिर्फ करीब 35 लाख एकड़ ही बुवाई हो पाई है. ऐसे में यह बुवाई की मजबूत प्रगति के एकदम उलट है. 

पिछले साल बना था रिकॉर्ड 

राज्य ने कुल खरीफ रकबे का लक्ष्य 152 लाख एकड़ रखा है. कपास और मक्का जैसी फसलों में लगातार प्रगति हो रही है. लेकिन अनियमित वर्षा और यूरिया की कमी ने धान की खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है. मध्य जून तक रोपाई मुश्किल से 36,300 एकड़ तक पहुंच पाई थी. मध्य जुलाई में हुई बारिश और हाल ही में प्रमुख सिंचाई प्रोजेक्‍ट्स से पानी छोड़े जाने के बाद ही इसमें तेजी आई. साल 2024 में, राज्य ने 62.13 लाख एकड़ धान की बुवाई हुई थी और यह उम्‍मीद से कहीं ज्‍यादा था. 

यूरिया की कमी से बड़ा संकट 

2024 में धान की बुवाई का लक्ष्‍य 45 लाख एकड़ था. खरीफ और रबी में धान का संयुक्त उत्पादन 153 लाख मीट्रिक टन था. अधिकारियों का मानना है कि अगर मॉनसून की स्थिति स्थिर रही तो 2025 का मौसम भी इसी उत्पादन स्तर तक पहुंच सकता है. लेकिन यूरिया की कमी संकट डाल सकती है. इस साल यूरिया की कमी 2024 की अपेक्षाकृत स्थिर आपूर्ति से काफी अलग है. यूरिया की कमी से सिंचित क्षेत्रों में, 10-15 प्रतिशत तक उपज में गिरावट का खतरा पैदा हो गया है. 

कपास और मक्‍का बेहतर 

वहीं अब तक 43.38 लाख एकड़ में कपास की बुवाई हो चुकी है और यह 50 लाख एकड़ के लक्ष्य के करीब है. यह आंकड़ा  2024 के 40.45 लाख एकड़ से बेहतर है. मक्का 4.52 लाख एकड़ में बोया गया है, जो पिछले साल के 4.28 लाख एकड़ से थोड़ा ज्‍यादा है. सोयाबीन और लाल चने में भी लगातार इजाफा हो रहा है. अब तक क्रमशः 4.26 लाख एकड़ और 4.19 लाख एकड़ में बुवाई हो चुकी है. जबकि 2024 में यह 4.12 लाख एकड़ और 4.05 लाख एकड़ थी. हालांकि, सूर्यपेट और महबूबाबाद जिलों के कुछ हिस्सों में बुवाई में देरी जारी है. यहां कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के पंप हाउस चालू न होने के कारण एसआरएसपी चरण-II आयाकट के तहत कोई पानी नहीं छोड़ा गया है. 

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