इस बाग से राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को जाती है मुजफ्फरपुर की शाही लीची, इन बातों का रखा जाता है ध्यान

इस बाग से राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को जाती है मुजफ्फरपुर की शाही लीची, इन बातों का रखा जाता है ध्यान

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मुजफ्फरपुर की शाही लीची भेजने से पहले पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाता है. मुजफ्फरपुर में एक खास बाग है जहां शाही लीची उगाई जाती है. उसकी विशेष देखभाल की जाती है. पकने पर उसकी खास तरह से पैकेजिंग और डिस्पैच किया जाता है.

लीची लीची
मणि भूषण शर्मा
  • Muzaffarpur,
  • May 12, 2025,
  • Updated May 12, 2025, 8:02 PM IST

बाजारों में मुजफ्फरपुर की शाही लीची की सुगंध आने वाली है. बस चंद दिनों बाद देश के बाजारों में यह विश्व विख्यात लीची बिकने लगेगी जो अपने रंग, स्वाद और आकार के लिए जानी जाती है. लेकिन बाजार में उतरने से पहले मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी जाएगी. यह जान लेना जरूरी है कि इस लीची की क्वालिटी और स्वाद को बनाए रखने के लिए विशेष देखभाल की जाती है. जिन बागों से लीची प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजी जाती है, उनकी देखभाल लीची वैज्ञानिकों की टीम सालभर काम करती है.

आइए जान लेते हैं कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लीची भेजने से पहले किस तरह की प्रकिया का पालन किया जाता है. ऐसा नहीं है कि किसी भी बाग से लीची को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया जाता है. भेजने से पहले पूरे प्रोटोकॉल और देखभाल का ध्यान रखा जाता है. लीची का सीजन आने पर जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक टीम बनाई जाती है, जो चयनित बागों से लीची की तुड़ाई कराती है और पैकेजिंग से लेकर रेफ्रिजरेटेड वैन में पहुंचाने तक के काम को पूरा करती है. जिले के आलोक केडिया के बागों की लीची बीते दस वर्षों से अधिक समय से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजी जा रही है. इसकी वजह है केडिया के बागों में उगाई जाने वाली लीची की विशेष गुणवत्ता और स्वाद.

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पूरी प्रक्रिया का होता है पालन

वही जिलाधिकारी ने बताया कि लीची भेजने के लिए एक बैठक कर टीम बनाई जाती है. इस टीम के द्वारा ही बागान का चयन कर लीची की पैकेजिंग और रेफ्रिजरेटेड वैन से समय से लीची पहुंचाने का काम पूरा किया जाता है. इसके लिए मई के दूसरे सप्ताह में बैठक की जाएगी.

इस बारे में लीची व्यापारी आलोक केडिया ने बताया कि मुसहरी, सरैया, बंदरा और ढोली में उनका लीची बागान है. पिछले दस सालों से लगातार इन्हीं बागानों से लीची का फल भेजा जाता है. पिछले साल भी 2 हज़ार लीची का कार्टून भेजा गया था. संभवत 22 मई के बाद लीची की खेप प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेज दी जाएगी जिसको लेकर धीरे-धीरे सारी प्रक्रिया पूरी की जा रही है. जिन बागानों से लीची प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है, उस बागान की सालभर देखभाल की जाती है.

बाग की होती है विशेष देखभाल

लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा बागानों की देखभाल की जाती है, जिसमें समय-समय पर खेत की जुताई, कोड़ाई, दवा का छिड़काव और खाद और उर्वरक का भी ध्यान रखा जाता है. जब लीची पूरी तरह से पक जाती है और फल का शुगर अनुपात सही हो जाता है, तब लीची को बागान से तोड़कर कैरेट में भरकर पैक हाउस में लाया जाता है. इसके बाद एक्सपर्ट मजदूरों द्वारा लीची के फलों की छंटाई की जाती है और विशेष तरीके से पैकिंग की जाती है. पैकिंग में बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम और मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन का नाम लिखा जाता है, जिससे लीची की सजावट बढ़ जाती है. पैकिंग के बाद लीची को रेफ्रिजरेटेड वैन के माध्यम से दिल्ली भेजा जाता है.

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