स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत सरकार ने किसानों को विशेष अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए दिल्ली बुलाया था. इसी क्रम में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से आज पूसा परिसर में बातचीत की. शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर स्वदेशी अपनाने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि हम अपने ही प्रदेश-देश में बनी चीज खरीदेंगे तो हमारे लाखों-लाख लोगों को रोजगार देने का काम हम ही कर देंगे. साथ ही उन्होंने विकसित कृषि संकल्प अभियान की तरह फिर से वैज्ञानिकों के रबी सीजन को लेकर किसानों से जुड़ने की जानकारी साझा की.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को प्रणाम किया, जिनके त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण भारत स्वतंत्र हुआ था. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने ऐसे ही स्वतंत्रता नहीं दे दी थी, कोई ये न सोचे कि चांदी की तश्तरी में रखकर हमें आज़ादी भेंट हो गई थी. हज़ारों क्रांतिकारी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे.
शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक बात आज और कही, सरकार फ़ाइलों में नहीं जनता की ज़िंदगी में दिखनी चाहिए. आज मैं बैठा था, अभी पहले ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के साथ मैंने मीटिंग की, अभी कृषि विभाग के दोनों प्रमुखों के साथ अभी बात कर रहा था, विभाग के साथ अभी फिर मीटिंग करूंगा. फाइल में नहीं, ज़िंदगी में दिखने का मतलब क्या है? खाद आ रही है, लेकिन किसान तक ठीक से जा रही है या नहीं?
मैं कल अपने क्षेत्र में गया था, किसानों ने बताया कि एक दवाई डाली और फसल ही जल गई. दवाई थी खरपतवार जलाना था, फसल जल गई. तब तय किया कि FIR करें और मैंने तत्काल यहां भेजा, ऐसी कंपनी का पता लगाकर इस कंपनी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए. हर योजना का लाभ ढंग से कैसे किसान को मिले, कैसे किसान तक पहुंचे.
चौहान ने कहा कि सरकार जनता की लाइफ़ में दिखे, इसलिए हमारे कृषि वैज्ञानिक पहली बार गांव-गांव गए, किसानों के बीच लैब को लैंड तक पहुंचाया, ताकि किसान और विज्ञान मिलकर कैसे अच्छा उत्पादन करें, उसके लिए साथ मिलकर काम कर सकें. अभी वैज्ञानिक 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक फिर निकलने वाले हैं. हम रबी की फसल के लिए कॉन्फ़्रेंस 2 दिन की करने वाले हैं, ताकि जनता की ज़िंदगी बदल सकें.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि स्वदेशी का मतलब है अपने देश में बनी हुई चीज. बाहर से आई कोई चीज़ इंपोर्टेड, सीना फूल रहा है, लेकिन कभी सोचा है जो चीज़ बाहर से आती है वो चीज़ हमारे देश का पैसा विदेशों में ले जाती है. वहां रोज़गार बढ़ते हैं, अर्थव्यवस्था उनकी मज़बूत होती है. प्रधानमंत्री ने भाव भरे शब्दों में कहा है स्वदेशी का इस्तेमाल करो.
अगर हमारे गांव के आस-पास बनी, गांव में बनी, सेल्फ हेल्प ग्रुप की जो चीजें हमारी बहनें बनाती हैं वो, अपने जिले, अपने प्रदेश, अपने देश में बनी चीज खरीदेंगे तो हमारे लाखों-लाख लोगों को रोजगार देने का काम हम ही कर देंगे. हमारे कुम्हार के दीये खरीदकर दिवाली का दिया जलाएंगे तो उसका घर भी रोजगार से रोशन हो जाएगा और इसलिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने यह अपील की है.
शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कितनी बड़ी बात कही है, किसानों का हित सर्वोपरि, राष्ट्र का हित सर्वोपरि, आपको पता है दुनिया में कई लोग हमारी प्रगति से जलते भी हैं कि भारत ज्यादा आगे नहीं बढ़ जाए. हम दुनिया को परिवार मानते हैं "वसुधैव कुटुंबकम" का भाव हमारे मन में है, यह समझौता होता है बराबरी का, यूके से हमने समझौता किया बराबरी का, हमारे देश के किसान भाइयों बिना ड्यूटी के टैक्स के हमारे कृषि उत्पाद, कई चीजें अब इंग्लैंड जाएंगी.
यह समझौता किया कि बिना टैक्स के जाएंगी लेकिन, कोई यह कहे कि समझौता ऐसा हो जाए जिससे उनके देश का सामान हमारे यहां भर जाए, मक्का आ जाए, सोयाबीन आ जाए, गेहूं आ जाए तो हमारा और उनका कोई मुकाबला नहीं है, उनके यहां बड़े बड़े कृषि फार्म 10 हजार, 15 हजार, 20 हजार हेक्टर के और हमारे यहां एक एकड़, दो एकड़, 3 एकड़, 5 एकड़, 5 वाले तो बहुत ही कम बचे हैं. कोई मुकाबला है क्या... और यह समझौता ऐसा कोई हो जाता तो भारत का किसान मर जाता, सस्ती चीजों की बाढ़ लग जाती. हमारा सामान सस्ता बिकता तो लागत नहीं निकलती कीमतें गिर जाती.
उन्होंने कह दिया ऐसा कोई समझौता नहीं है, जो किसान के हितों के खिलाफ जाएगा, कृषि विभाग ने ताकत के साथ अपनी बात रखी कि कोई ऐसा समझौता नहीं है जो हमारे किसान के हितों को प्रभावित करे. हमारे किसान, हमारे पशुपालक, भैंस, गाय पालने वाले, हमारे मछुआरे उनके हित सर्वतः सुरक्षित रखे जाएंगे. राष्ट्रहित सर्वोपरि, भारत माता सबसे पहले, राष्ट्र प्रथम बाद में और कोई.