Mustard Yield: सरसों पैदावार में कितना पीछे है भारत? इन राज्‍यों का सबसे बुरा हाल

Mustard Yield: सरसों पैदावार में कितना पीछे है भारत? इन राज्‍यों का सबसे बुरा हाल

Mustard Yield: केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में सरसों की राष्‍ट्रीय औसत पैदावार 1470 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर है. वहीं, दुनिया में सबसे ज्‍यादा औसत पैदावार देखें तो मलेशिया टॉप पर है, जहां यह 12881 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर है. यानी भारत से 8 गुना से भी ज्‍यादा औसत पैदावार. वहीं भारत के कुछ राज्‍य औसत पैदावार के मामले में काफी पि‍छड़े हुए हैं.

mustard yield per hectaremustard yield per hectare
प्रतीक जैन
  • Noida,
  • May 20, 2025,
  • Updated May 20, 2025, 6:50 PM IST

Mustard Yield: भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए सरसों समेत अन्‍य तिलहन फसलों का उत्‍पादन बढ़ाने की लगातार कोशिशें की जा रही है, ताकि आयात से निर्भरता कम हो सके. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि सरसों की राष्‍ट्रीय औसत पैदावार 1470 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर है, जबकि‍ दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्रति हेक्‍टेयर पैदावार मलेशिया में हो रही है. यहां 12881 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर पैदावार होती है, जो भारत से 8 गुना से ज्‍यादा पैदावार दर्शाता है. भारत में मात्र 6 राज्‍य ही ऐसे है, जहां औसत पैदावार राष्‍ट्रीय औसत से ज्‍यादा है. वहीं, 13 राज्‍यों में औसत पैदावार, राष्‍ट्रीय औसत पैदावार से कम है. 

राष्‍ट्रीय औसत से ज्‍यादा पैदावार वाले राज्‍य

सरसों की राष्‍ट्रीय औसत पैदावार 1470 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर के मुकाबले गुजरात में 1958 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर औसत पैदावार में शीर्ष पर है, जबकि‍ इसके बाद हरियाणा- 1813 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, पंजाब- 1605 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, राजस्‍थान 1564 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, मध्‍य प्रदेश- 1530 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, उत्‍तर प्रदेश में 1504 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर औसत पैदावार होती है. वहीं, राष्‍ट्रीय औसत पैदावार 1470 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर के मुकाबले 13 राज्‍यों में औसत पैदावार काफी कम है. 

राष्‍ट्रीय औसत से कम पैदावार वाले राज्‍य

पश्चिम बंगाल में 1250 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, बिहार में 1234 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, तेलंगाना में 1167 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, उत्‍तराखंड में 1029 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, केरल में 1000 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, हिमाचल प्रदेश में 811 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, झारखंड में 798 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, असम में 786 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, आंध्र प्रदेश में 644 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, छत्‍तीसगढ़ में 485 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, महाराष्‍ट्र में 389 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर, ओडिशा में 372 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर और तमिलनाडु में सरसों की 235 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर औसत पैदावार होती है.

सरसों का रकबा 90 लाख हेक्‍टेयर से ज्‍यादा

केंद्र ने वर्तमान सीजन 2024-25 के लिए 89.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों और रेपसीड की बुवाई का रकबा होने का अनुमान जताया और 128.73 लाख टन अनुमानि‍त उत्‍पादन की बात कही है. वहीं, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने मार्च में जारी अपने बयान में कहा कि रबी 2024-25 सीजन के लिए रेपसीड-सरसों का कुल रकबा 92.5 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान जत‍ाया और करीब 115.2 लाख टन अनुमानित उत्पादन होने की बात कही. 

कैसे बढ़ेगा देश का सरसों उत्‍पादन?

वहीं पिछले सीजन में भी सरसों के रकबे और उत्‍पादन में थोड़ा ही अंतर दिखाई है. ऐसे में अगर देश का सरसों बुवाई का कुल रकबा 90 लाख हेक्‍टेयर भी माने तो यह कई देशों के मुकाबले बहुत ज्‍यादा है, लेकिन उनके मुकाबले यहां उत्‍पादन बहुत कम है. अब सवाल उठता है कि भारत का सरसों उत्‍पादन कैसे बढ़ेगा? 

इसके लिए अगर कम औसत पैदावार वाले राज्‍यों में पैदावार बढ़ाने पर फोकस किया जाए तो इतने ही रकबे में और भी ज्‍यादा उत्‍पादन हासिल किया जा सकता है और विदेशी आयात पर निर्भरता को काफी कम किया जा सकता है.

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