Makar Sankranti 2024: जानें इस साल कब है मकर संक्रांति का त्योहार, सही डेट, मुहूर्त और महत्व

Makar Sankranti 2024: जानें इस साल कब है मकर संक्रांति का त्योहार, सही डेट, मुहूर्त और महत्व

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं. यह त्यौहार पिता-पुत्र के अनूठे मिलन से भी जुड़ा है. पौराणिक कथा के अनुसार जब सूर्य देव पहली बार अपनी पत्नी छाया और पुत्र शनि से मिलने उनके घर आए तो शनि देव ने काले तिलों से उनका स्वागत किया.

Makar sankranti 2024Makar sankranti 2024
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jan 08, 2024,
  • Updated Jan 08, 2024, 7:33 PM IST

जनवरी माह में मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे देश में अलग-अलग नामों से बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है. उत्तरायण को भगवान का दिन कहा जाता है. संक्रांति मनाने का निर्णय सूर्य के राशि परिवर्तन के समय से ही लिया जाता है, इसलिए मकर संक्रांति की तिथि में बदलाव होता है. अगर साल 2024 में मकर संक्रांति की तारीख को लेकर कोई कन्फ्यूजन है तो यहां जानें इस त्योहार की सही तारीख और समय. 

इस साल कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति

इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी, क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि में अपनी यात्रा समाप्त करके प्रातः 02:54 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा.

मकर संक्रान्ति पुण्य काल - सुबह 06.41- शाम 06.22
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल - सुबह 06.41 - सुबह 08.38

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क्यों मकर संक्रांति है खास

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं. यह त्यौहार पिता-पुत्र के अनूठे मिलन से भी जुड़ा है. पौराणिक कथा के अनुसार जब सूर्य देव पहली बार अपनी पत्नी छाया और पुत्र शनि से मिलने उनके घर आए तो शनि देव ने काले तिलों से उनका स्वागत किया.

सूर्य देव प्रसन्न हुए और शनिदेव को आशीर्वाद दिया कि जब भी मैं मकर राशि में प्रवेश करूंगा और जो लोग इस दिन मुझे काले तिल चढ़ाएंगे, उनके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा. मकर शनि की राशि है, इसलिए मकर संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

मकर संक्रांति में क्यों खाते हैं गुड़ और तिल

मकर संक्रांति एक मौसमी त्यौहार है, यह शरद और शीत ऋतु का संक्रमण काल है. मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी में ठंड के मौसम में आता है, यही कारण है कि इस दौरान सूर्य की पूजा करने और खिचड़ी और तिल-गुड़ खाने की परंपरा बनाई गई ताकि बदलते मौसम का स्वास्थ्य और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े. कहा जाता है कि इस दिन गुड़, तिल और बाजरा आदि का दान करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं.

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