Mahila Kisan Diwas: महिला किसानों के नाम है यह अंतरराष्ट्रीय दिवस, मिलेट्स ने बनाया इसे और भी खास

Mahila Kisan Diwas: महिला किसानों के नाम है यह अंतरराष्ट्रीय दिवस, मिलेट्स ने बनाया इसे और भी खास

15 अक्टूबर का दिन महिला किसानों के नाम है. सरकारी तौर पर इसे महिला किसान दिवस के रूप में घोषित किया गया है. लेकिन क्या आपको पता है कि खेत या जमीन के मालिकाना हम में इन महिला किसानों की कितनी हिस्सेदारी है. तो जान लीजिए केवल दो फीसद ही महिलाओं को मालिकाना हक मिलता है जबकि खेती में इनका योगदान 32 फीसद से भी अधिक है.

15 अक्टूबर को मनाया जाता है Mahila Kisan Diwas15 अक्टूबर को मनाया जाता है Mahila Kisan Diwas
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 15, 2023,
  • Updated Oct 15, 2023, 7:00 AM IST

साल का 15 अक्टूबर का दिन महिला किसानों के नाम है. भारत में इसे महिला किसान दिवस के रूप में मनाते हैं. अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो यह दिन अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह खास दिन बताता है कि खेती-बाड़ी में महिला किसानों की अहमियत कितनी बड़ी है. एक तरह से देखें तो इस पेशे में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कहीं अधिक सक्रिय हैं. देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां पुरुषों की तुलना में महिलाएं खेती का काम बड़े स्तर पर संभालती हैं. महिला किसान दिवस इस बार का खास है क्योंकि पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ईयर मनाया जा रहा है. सरकार मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है जिसमें महिलाओं की भागीदारी के बिना कामयाबी हासिल करना मुश्किल है.

महिलाएं देश में अनाजों के उत्पादन में बड़ा रोल निभाती हैं. साथ ही बायो डायवर्सिटी को बनाए रखने में भी उनकी अहम भूमिका है. मिलेट्स की खेती इसी बायो डायवर्सिटी का नमूना है क्योंकि पारंपरिक फसलों से हटकर किसान कुछ नया करते हैं. इससे पर्यावरण को भी मदद मिलती है क्योंकि कम पानी में मोटे अनाजों का उत्पादन होता है. देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां मोटे अनाजों की खेती में महिलाएं ही अग्रणी भूमिका निभाती हैं. ऐसे में इस साल का महिला किसान दिवस मिलेट्स के नजरिये से और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. ये महिला किसान मोटे अनाजों की खेती से स्वदेशी खाद्य प्रणालियों को मजबूती दे रही हैं.

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मिलेट्स की खेती और महिला किसान

मोटे अनाज महिला किसानों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. यहां तक कि मोटे अनाजों के दम पर कई महिला किसान आज उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं. ये महिला किसान मोटे अनाजों की प्रोसेसिंग कर अपनी कमाई बढ़ा रही हैं और खुद का रोजगार चलाने के साथ अन्य लोगों को रोजगार मुहैया करा रही हैं. इसी कड़ी में भारत सरकार ने भी अनेक पहल शुरू की हैं जिनमें विकास प्रक्रिया के केंद्र में महिलाओं को रखते हुए उन्‍हें सशक्त बनाने पर ध्यान लगाया गया है. इन पहलों में कृषि विज्ञान केंद्रों जैसे अलग-अलग संस्थानों में ट्रेनिंग देकर स्वयं सहायता समूहों का गठन करना, किसानों के उत्पादक संगठनों, निर्माता कंपनियों और महिलाओं की क्षमता निर्माण करना शामिल है.

खेती में महिलाओं की भूमिका

देश की खेती-बाड़ी में महिलाओं की भूमिका बहुत बड़ी है और सरकार इसके हर क्षेत्र में महिलाओं को प्राथमिकता दे रही है. यहां तक कि कृषि के क्षेत्र में महिला किसानों को योजनाओं का लाभ प्रमुखता से दिया जाता है. महिला किसान विशेष रूप से किसान क्रेडिट कार्ड और किसान उत्पादक संगठनों की सभी किसान केंद्रित योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं. आज महिला किसान और उद्यमी मिलेट्स सहित मोटे अनाजों के उत्पादन, वैल्यू एडिशन, प्रोसेसिंग और पोषण सुरक्षा के अलग-अलग पहलुओं में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं. इसे देखते हुए इस साल का महिला किसान दिवस और भी खास हो जाता है क्योंकि इसका सीधा संबंध मिलेट्स और मोटे अनाजों के उत्पादन से जुड़ा है. 

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कब सुधरेंगे महिला किसानों के हालात

खेती-बाड़ी में महिलाओं के योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने 2016 में महिला किसान दिवस की शुरुआत की थी. इस खास दिन को हर साल 15 अक्टूबर को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की खेती में महिला किसानों का कितना बड़ा रोल है, इसे समझने के लिए ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट देख सकते हैं. यह रिपोर्ट बताती है कि भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान 32 फीसद है. दूसरी ओर, खेती की मजदूरी में 42 फीसद महिलाओं का योगदान है, लेकिन दो फीसद से भी कम महिलाओं के पास खेती की जमीन पर मालिकाना हक है.

 

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