अपराजिता का फूल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. नीले रंग के इस फूल का बड़ा धार्मिक और पौराणिक महत्व है. ऐसा माना जाता है कि शनिदेव और भगवान विष्णु दोनों को यह फूल बहुत पसंद है. इसलिए इस फूल का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. इतना ही नहीं अपराजिता फूल को ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत उपयोगी बताया गया है. साथ ही इस फूल और इसके बीज का भी काफी महत्व है. इसके बीजों का इस्तेमाल कई कई गंभीर मर्जों के इलाज में भी किया जा सकता है. क्या हैं इसके फायदे आइए जानते हैं.
इस फूल के ज्योतिषीय प्रभाव से पैसों से जुड़ी परेशानियां खत्म हो जाती हैं और परिवार में खुशहाली आती है. अपराजिता के पौधे को तितली मटर के नाम से भी जाना जाता है. इस पौधे के औषधीय गुण ऐसे हैं कि यह कई बीमारियों को ठीक कर सकता है. अपराजिता के नाम से ही तात्पर्य है कि इसे किसी भी बीमारी से हराया नहीं जा सकता. इसे एक पवित्र पौधा माना जाता है.
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अपराजिता एक औषधीय पौधा है जिसमें कई सूजन रोधी तत्व पाए जाते हैं. यह एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा को बढ़ाता है, जो सूजन को कम करके इंसान को कई तरह की क्रोनिक बीमारियों से बचाने में मदद करता है. इसके अलावा अपराजिता के अर्क से चाय बनाई जाती है, जिसे पीने से दर्द और सूजन की समस्या से राहत मिलती है. इसलिए अपराजिता फूल का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है.
अपराजिता के फूलों के साथ-साथ बीजों का भी बहुत विशेष महत्व होता है. इसके औषधीय गुणों के कारण भी इसका विशेष महत्व माना जाता है. अपराजिता के बीज सिरदर्द से राहत दिलाने में मददगार पाए गए हैं. नीली और सफेद अपराजिता दोनों को बुद्धि विकसित करने और वात, पित्त, कफ को दूर करने के लिए भी जाना जाता है. अपराजिता के सेवन से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है.
अपराजिता का फूल धार्मिक दृष्टि से भी बहुत उपयोगी माना जाता है. दिन के हिसाब से इसका महत्व अलग-अलग है. कहा जाता है कि गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है. अगर आपको किसी काम में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा चाहिए तो गुरुवार और शुक्रवार के दिन अपराजिता का पेड़ लगाना चाहिए. इससे आपके घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है और भगवान विष्णु की कृपा भी बनी रहती है. अपराजिता के फूल चढ़ाने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.