जी 20 देशों के कृषि संबंधी मुद्दों पर विचार मंथन के लिए गठित ''जी 20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप'' की बैठक के लिए तैयारियां मुकम्मल करने की जिम्मेदारी यूपी सरकार निभा रही है. राज्य के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की निगरानी में इस काम को अंजाम दिया जा रहा है. मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार बैठक की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. मिश्र, नियमित बैठक कर इस महत्वपूर्ण आयोजन की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं.
गौरतलब है कि जी 20 सम्मेलन की अध्यक्षता का दायित्व निभा रहे भारत में इस साल संगठन का सालाना सम्मेलन आयोजित हो रहा है. मुख्य बैठक के पहले संगठन के कृषि सहित अन्य विषयों पर गठित वर्किंग ग्रुप की विभिन्न शहरों में बैठक आयोजित हो रही हैं. इस कड़ी में वाराणसी में जी 20 के वर्किंग ग्रुप की 6 बैठकें आयोजित होनी हैं.
एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जी 20 के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों एवं राजनयिकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाराणसी पहुंचे देश विदेश के राजनयिकों ने गंगा तट पर भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भ्रमण किया. इन लोगों ने शुक्रवार शाम को गंगा आरती में भी शिरकत की. बैठक में हिस्सा लेने आए मेहमानों के लिए हवाई अड्डे से सम्मेलन स्थल तक पहुंचने वाले मार्गों एवं शहर के अन्य प्रमुख मार्गों पर साफ सफाई का खास ध्यान रखते हुए इन पर साइन बोर्ड लगाए गए हैं. इसके साथ ही वाराणसी में आधुनिक और पुरातन संस्कृति का अनूठा संगम दर्शाने के लिए शहर को खास तौर पर सजाया संवारा गया है.
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मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि वाराणसी में दुनिया भर से जुट रहे मेहमानों के स्वागत की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं. इसके लिए काशी को तरह तरह के रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया है. शहर के सभी प्रमुख चौराहों एवं मार्गों पर फूलों के खास कॉरिडोर बनाए गए हैं.
फूलों की आपूर्ति 6 राज्यों से की गई है. इनमें 50 से ज्यादा किस्मों के फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है. फूलों की आपूर्ति यूपी में वाराणसी और आगरा के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात और दिल्ली से की जा रही है. शहर के चौराहों और मुख्य रास्तों को खास किस्म के फूलों से सजाने के अलावा लैंडस्कैपिंग के माध्यम से आकर्षक बनाया जा रहा है.
इस दौरान लैंडस्केपिंग के माध्यम से जी 20 देशों की पहचान वाली विशेष चीजों को भी आकार दिया जा रहा है. वाराणसी स्थित वीआईपी रूट, नमो घाट, ट्रेड फैसिलिटी सेंटर, सारनाथ और एयरपोर्ट के आसपास के इलाके को खास थीम पर सजाया जा रहा है. शहर में खास प्रतिष्ठानों एवं अन्य जगहों पर जी 20 के सदस्य देशों के झंडे लगाए गए है. इसके अलावा काशी के लोगों के लिए टोपियरी सेल्फी प्वाइंट बन गया है.
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यूपी सरकार का दावा है कि बदले स्वरूप में काशी की बदली तस्वीर अब अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिहाज से तैयार की गई है. जी 20 सम्मेलन में शामिल होने वाले मेहमान, एयरपोर्ट से निकलते ही बनारस की खूबसूरती निहार पाएंगे. शहर को लैंडस्केपिंग एवं फूलों से सजाने का काम निजी एजेंसी 'डीके डेकोरेट' को दिया गया है.
इसके संचालक दिनेश मौर्य ने बताया कि शहर में संत अतुलानन्द चौराहे पर ग्रीन डॉल्फिन की आकृति के साथ जी 20 का लोगो लगाया गया है. उन्होंने बताया कि मेहमानों के रुकने और भ्रमण वाले स्थानों को भी सजाया जा रहा है. वरुणा ब्रिज पर वर्टिकल गार्डन बनाया गया है. साथ ही आसपास के इलाकों में बारहसिंघा, जिराफ व पशु-पक्षियों की टोपियरी बनाई गई है.
इसके अलावा ट्रेड फैसिलिटी सेंटर में जी 20 देशों की थीम पर एक गार्डन बनाया गया है. इसमें जी 20 देशों के झंडों के साथ उस देश की ख़ास पहचान वाली चीजों को बनाया जाएगा. शहर में पर्यटन का नया केंद्र बन चुके 'नमो घाट' पर भी कई तरह के फूलों से सजावट की जा रही है.
गौरतलब है कि यूपी के 4 शहरों में जी 20 की विभिन्न बैठक आयोजित हो रही हैं. इनमें सर्वाधिक 6 बैठकों का आयोजन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होगा. इनमें आगामी 17 से 19 अप्रैल तक एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक होगी. इसके बाद जून में जी 20 की 'यूथ ट्वेंटी समिट' का आयोजन होगा. इसमें विश्व व्यवस्था में युवाओं की भागीदारी पर विचार मंथन होगा. इसके बाद अगस्त में चार अलग अलग वर्किंग ग्रुप की बैठक भी काशी में आयोजित होगी.
शर्मा ने कहा कि जी 20 सम्मेलन के दौरान वाराणसी की दुनिया भर में ब्रांडिंग करने का एक बेहतर अवसर मिला है. इस आयोजन के माध्यम से प्राचीन नगरी काशी में आधुनिक शहर वाराणसी की अनूठी छठा विदेशी मेहमानों को देखने को मिलेगी. गौरतलब है कि जी 20 की वाराणसी में हो रही 6 बैठकों में हिस्सा लेने के लिए दुनिया के 20 ताकतवर देशों के राजनयिक, ब्यूरोक्रेट्स और अन्य महत्वपूर्ण डेलीगेट्स काशी आएंगे, जो काशी की विरासत की नई तस्वीर अपने जेहन में सहेज कर साथ ले जाएंगे. स्पष्ट है कि भविष्य में इसका सीधा लाभ वाराणसी के पर्यटन उद्योग को मिलेगा.