
पंजाब में फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट ने इस हफ्ते धान खरीद अभियान को खत्म करने का फैसला किया है. मंडियों में आवक अब करीब जीरो हो गई है और इसके चलते विभाग को यह फैसला लेना पड़ा है. वहीं इस साल धान की आवक और खरीद, दोनों ही बेहद कम रही और पिछले नौ सालों में यह पहला मौका है जब इतनी कम खरीद हुई है. विभाग के अनुसार अब तक सिर्फ 156 लाख टन धान की ही खरीद हो पाई है, जो अनुमानित 180 लाख टन की तुलना में करीब 25 लाख टन कम है.
अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार यह साल 2016 के बाद से पिछले नौ सालों में सबसे कम फसल की पैदावार है. उस समय धान की आवक सिर्फ 140 लाख टन तक ही थी. पिछले पांच सालों में — 2024, 2023, 2022, 2021, और 2020 में, कुल धान की खरीद 175, 188, 183, 187, और 162 लाख टन हुई थी. अगस्त–सितंबर में आई भयंकर बाढ़ और लगातार बारिश ने धान उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचाया है.
अनाज की मात्रा में करीब 15 फीसदी की कमी का अनुमान लगाया गया है. अगर आर्थिक नुकसान की बात करें तो यह करीब 10,000 हजार करोड़ बैठता है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद करातुचक ने इसकी पुष्टि की और कहा, 'हम धान खरीद अभियान को बंद कर रहे हैं.' इस साल का खरीद सीजन सबसे लंबा रहा, जो 16 सितंबर से लगातार चल रहा था.
न सिर्फ उत्पादन बल्कि इस बार राज्य में धान की क्वालिटी पर भी खासा असर पड़ा है. बदरंग और क्षतिग्रस्त दानों की मात्रा इस बार अप्रूव्ड 5 फीसदी से ज्यादा है. बाढ़ ने करीब 2.97 लाख एकड़ में खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया, जबकि लगातार बारिश और उसके बाद फैली लूज स्मट बीमारी ने धान की पैदावार को और भी नुकसान पहुंचाया. धान के उत्पादन में कमी तब आई है जब इस सीजन धान की बुआई का क्षेत्रफल 1.5 लाख हेक्टेयर बढ़कर 32.49 लाख हेक्टेयर हो गया है.
सीजन की शुरुआत में यानी जुलाई-अगस्त में विभाग ने 185 लाख टन धान खरीदने की तैयारी की थी. इसके लिए 45,000 करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) भी अनुमोदित करवाई थी. फूड एंड सप्लाई डिर्पाटमेंट के एक अधिकारी ने बताया, 'अब हमें लगता है कि फसल खरीद पर35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च नहीं होगा यानी किसानों को सीधे-सीधे 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.'
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने इस सीजन में खरीदे जा रहे धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. पिछले ही हफ्ते केंद्र सरकार के खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने धान खरीद मानकों में छूट देते हुए बदरंग और क्षतिग्रस्त दानों की सीमा 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी थी. यह राहत तब मिली जब ज्यादातर फसल यानी करीब 150 लाख टन, पहले ही खरीदी जा चुकी थी.
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