
अक्सर घरों में मसालों की पहचान को लेकर भ्रम हो जाता है और इन्हीं में से एक है कलौंजी. कई लोग अभी भी मानते हैं कि कलौंजी प्याज का बीज होती है, लेकिन सच यह है कि दोनों का आपस में कोई सीधा संबंध नहीं है. कलौंजी एक अलग पौधे Nigella sativa के बीज होते हैं, जबकि प्याज का बीज प्याज के फूल से प्राप्त किया जाता है. दिखने में दोनों काले और छोटे होते हैं, इसलिए अक्सर भ्रम की स्थिति बन जाती है. लेकिन स्वाद, गुण और उपयोग के मामले में कलौंजी बिल्कुल अलग और अत्यंत लाभकारी है.
कलौंजी को काला जीरा या मंगरैला भी कहा जाता है. यह एक सुगंधित और हल्के तीखे स्वाद वाला मसाला है. आयुर्वेद में कलौंजी को औषधि के रूप में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इसकी तासीर गर्म मानी जाती है और इसका उपयोग दवाईयों, मसालों, तेल एवं सौंदर्य उपचारों में किया जाता है. कलौंजी के छोटे-छोटे दाने पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर में ताकत, रोग प्रतिरोधक क्षमता और पाचन सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
कलौंजी का रंग, आकार और बनावट प्याज के बीजों से काफी मिलते-जुलते हैं, लेकिन प्याज का बीज स्वाद में प्याज की हल्की सुगंध वाला होता है, जबकि कलौंजी की अपनी अलग खुशबू होती है. प्याज के बीज का उपयोग ज्यादातर खेती में बीज बोने के लिए किया जाता है, जबकि कलौंजी को खाने और औषधि दोनों रूपों में इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए यह समझना जरूरी है कि कलौंजी प्याज का बीज नहीं, बल्कि एक अलग और मूल्यवान मसाला है.
कलौंजी में प्रोटीन, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स, आयरन, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें थाइमोक्विनोन नामक यौगिक होता है जो शरीर को डिटॉक्स करने और सूजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह यौगिक कलौंजी को एक शक्तिशाली औषधि बनाता है.
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