
देश में इस बार गेहूं की बंपर बुवाई चल रही है. इसमें और भी तेजी आने की उम्मीद है. उद्योग जगत के जानकारों ने 'रॉयटर्'स को बताया कि भारतीय किसान गेहूं की खेती का रकबा लगभग 5% बढ़ाकर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने वाले हैं. इसकी वजह ज्यादा मुनाफा और अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश है. इस बारिश ने मिट्टी की नमी में सुधार किया है और बारिस आधारित फसलों से अनाज की ओर रुख को बढ़ावा दिया है.
ज्यादा बुआई से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत को उत्पादन बढ़ाने, स्थानीय कीमतों को कम करने और संभवतः नई दिल्ली को गेहूं के आटे के सीमित निर्यात की अनुमति देने में मदद मिलने की उम्मीद है.
कृषि जिंस व्यापारी, ओलम एग्री इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नितिन गुप्ता ने 'रॉयटर्स' को बताया, "इस समय ज्यादा बारिश के कारण मिट्टी में अधिक नमी होने के कारण, गेहूं की बुवाई और उत्पादन पिछले सभी रिकॉर्ड ऊंचाईयों को पार कर जाने की उम्मीद है."
भारत के प्रमुख गेहूं उगाने वाले उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अक्टूबर में औसत से 161% अधिक बारिश हुई, जिससे इस महीने देश में कुल 49% अतिरिक्त उत्पादन हुआ.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 14 नवंबर तक 66.2 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी थी, जो एक साल पहले की तुलना में 17% अधिक है.
11 उद्योग जानकारों के अनुमान के अनुसार, 2025-26 सीजन के लिए बुवाई पिछले साल के रिकॉर्ड 341.6 लाख हेक्टेयर से लगभग 5% अधिक होने की उम्मीद है.
उद्योग जगत के एक्सपर्ट्स ने कहा कि सिंचाई सुविधाओं से लैस प्रमुख उत्तरी राज्यों हरियाणा और पंजाब में गेहूं का रकबा स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान चना जैसी कम मांग वाली फसलों से गेहूं की ओर रुख कर सकते हैं.
शिवाजी रोलर फ्लोर मिल्स के प्रबंध निदेशक अजय गोयल ने कहा कि नए सीजन की फसल के लिए गेहूं का खरीद मूल्य 6.6% बढ़कर 2,585 रुपये प्रति 100 किलोग्राम होने से किसानों में गेहूं की खेती के प्रति रुझान तेजी से बढ़ा है. ओलम के गुप्ता ने कहा कि गेहूं की सर्वोत्तम उपज जनवरी से मार्च की खास अवधि के दौरान ठंडे मौसम पर निर्भर करती है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, ला नीना मौसम पैटर्न, जो ऐतिहासिक रूप से उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंडी सर्दियों से जुड़ा है, दिसंबर से फरवरी तक जारी रहने की संभावना है.
एक बड़े व्यापार घराने के मुंबई स्थित एक डीलर ने कहा, "पिछले कुछ दिनों से उत्तरी और मध्य भारत में तापमान में गिरावट आ रही है, जो गेहूं की फसल के लिए अच्छी खबर है."
भारत ने 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, और 2023 में बहुत अधिक गर्मी के कारण फसलें फिर से मुरझाने के कारण प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया था. खराब मौसमी हालात ने गेहूं के भंडार को कम कर दिया, जिससे कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं और यह अटकलें तेज हो गईं कि देश को 2017 के बाद पहली बार आयात की जरूरत होगी. तब से आपूर्ति में सुधार हुआ है और 2025 में भारत ने 1170 लाख मीट्रिक टन की रिकॉर्ड उपज हासिल की है.