फार्मर आईडी बनने के बाद खसरा-खतौनी में कैसे होगा सुधार, किससे करना होगा संपर्क?

फार्मर आईडी बनने के बाद खसरा-खतौनी में कैसे होगा सुधार, किससे करना होगा संपर्क?

खसरा खतौनी में सुधार को लेकर राजस्थान सरकार ने बताया है कि फार्मर आईडी बनवाने के बाद सुधार के कुछ उपाय हैं. इसी क्रम में बताया गया है कि फार्मर आईडी जनरेट होने के बाद भूमि संशोधन (खसरा जोड़ना या हटाना) के लिए पटवारी, भू-अभियांत्रिकी निरीक्षक, तहसीलदार से संपर्क किया जा सकता है. किसान को यह काम जरूर कराना चाहिए क्योंकि फार्मर आईडी में दी गई जानकारी अपडेट रहनी चाहिए

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 24, 2025,
  • Updated Feb 24, 2025, 6:46 PM IST

फार्मर आईडी (Farmer ID) बनाने का काम तेजी से चल रहा है. कई राज्यों में फार्मर आईडी यानी किसान आईडी बनाने का काम जोरों पर है. इसी में एक राज्य राजस्थान भी है. यहां 5 फरवरी से किसान आईडी बनाने का काम चल रहा है. सरकार ने पंचायत स्तर पर फार्मर आईडी बनाने का बंदोबस्त किया है. जगह-जगह कैंप लगाए गए हैं और सरकारी कर्मचारी किसानों की मदद कर रहे हैं. राजस्थान सरकार ने कहा है कि जिन किसानों को फार्मर आईडी बनवानी है, वे अपने ग्राम पंचायत के शिविर में जाकर इसे बनवा सकते हैं.

फार्मर आईडी बनाने के लिए किसानों को आधार और उससे जुड़े मोबाइल नंबर को देना जरूरी है. इसी के साथ किसान को खसरा-खतौनी की जानकारी भी देनी होगी. इस जानकारी के साथ कई किसानों ने अपनी फार्मर आईडी बनवा भी ली है. ऐसे में इन किसानों के मन में एक सवाल होगा कि आईडी बनने के बाद अगर खसरा-खतौनी में सुधार करना है तो उसके लिए क्या करना है? 

खसरा में कैसे करें सुधार

यह सवाल वाजिब है क्योंकि इसी खसरे के की जानकारी पर फार्मर आईडी बनती है. अगर उसमें कोई सुधार होता है तो आईडी की वैधता पर असर पड़ सकता है. इसे लेकर राजस्थान सरकार ने बताया है कि फार्मर आईडी बनवाने के बाद सुधार के कुछ उपाय हैं. इसी क्रम में बताया गया है कि फार्मर आईडी जनरेट होने के बाद भूमि संशोधन (खसरा जोड़ना या हटाना) के लिए पटवारी, भू-अभियांत्रिकी निरीक्षक, तहसीलदार से संपर्क किया जा सकता है. किसान को यह काम जरूर कराना चाहिए क्योंकि फार्मर आईडी में दी गई जानकारी अपडेट रहनी चाहिए.

फार्मर रजिस्ट्री क्या है?

फार्मर रजिस्ट्री एग्रीस्टेक परियोजना के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MOA&FW) भारत सरकार की एक पहल है. इसके अंतर्गत किसान के विवरण (कृक्षक का जनसांख्यिकीय विवरण, उसके कृषि भूमि का विवरण, प्रत्येक कृषि भूखंड के जीपीएस निर्देशांक, उस पर वीई गई फसलों का विवरण आदि) को डिजिटल इंफास्ट्रक्चर में दरक्ज कर "आधार" आधारित एक 11 अंकों की एक यूनिक आईडी (विशिष्ट किसान आईडी) आवंटित की जाएगी, जिससे किसान डिजिटल रूप से अपनी पहचान प्रमाणित कर सकेंगे.

इसके लिए मोबाइल एप/वेबसाइट द्वारा सभी किसानों के स्वामित्व वाले सभी खसरों को सम्मिलित करते हुए किसान के आधार से लिंक कराया जाएगा. उसके बाद किसान से ऑनलाइन सहमति लेते हुए ई-हस्ताक्षर की कार्यवाही की जाएगी. इसी के साथ फार्मर आईडी तैयार हो जाएगी.

फार्मर रजिस्ट्री से किसानों को लाभ

  • किसान आईडी (बिना अतिरिक्त दस्तावेज) के माध्यम से सरकारी योजनाओं और सेवाओं तक आसान पहुंच हो सकेगी.
  • पात्र किसान का पीएम-किसान/सीएम-किसान सम्मान निधि योजना, अन्य योजनाओं में स्वत जुड़ना संभव होगा.
  • किसानों से फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्यों और अन्य योजनाओं में त्वरित (बिना किसी अतिरिक्त दस्तावेज के) खरीद संभव हो सकेगी.
  • किसान की फसल के अनुसार डिजिटल तरीकों से फसलों का चौमा संभव होगा.
  • किसानों को केसीसी ऋण और जल्दी से मिल सकेगा.
  • किसानों को फसलों को लिए सेवाओं और बाजारों का व्यापक विकल्प मिल सकेगा.
  • किसान अपनी फसलों, मिट्टी की स्थिति और कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुसार परामर्श सेवाएं ले सकेंगे.
  • सरकारी योजनाओं में लाभों का समान वितरण हो सकेगा. साथ ही लाभ से वंचित पात्र किसानों की पहचान संभव होगी.

 

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