Rosemary farming: रोजमैरी की खेती कैसे बदल रही किसानों की तकदीर, हो रहा डबल मुनाफा

Rosemary farming: रोजमैरी की खेती कैसे बदल रही किसानों की तकदीर, हो रहा डबल मुनाफा

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसान अब रोजमैरी की खेती करने लगे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि हर्बल खेती से किसानों को आय के नए स्रोत मिल रहे हैं. साथ ही, सरकार भी औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी और तकनीकी सहयोग उपलब्ध करा रही है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 25, 2025,
  • Updated Aug 25, 2025, 7:08 AM IST

भारत में किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अब ऐसी हर्बल फसलों की ओर भी रुख कर रहे हैं, जिनसे उन्हें बेहतर आमदनी मिल सके. इन्हीं में से एक है रोजमैरी, जो एक औषधीय और सुगंधित पौधा, जिसकी खेती से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो रोजमैरी की खेती न सिर्फ किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन रही है, बल्कि आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए यह खेती आने वाले समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती भी दे सकती है. 

बाजार में बढ़ती मांग

रोजमैरी का इस्तेमाल दवाओं, कॉस्मेटिक उत्पादों, एरोमा ऑयल, हर्बल चाय और मसालों में किया जाता है. यही वजह है कि घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले वर्षों में हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों की डिमांड दोगुनी हो सकती है, जिससे रोजमैरी जैसी फसलों के दाम भी बढ़ेंगे. सबसे बड़ी बात है कि इसकी खेती में निवेश कम और मुनाफा कहीं ज्‍यादा है. 

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

खेती के जानकारों के मुताबिक, रोजमैरी की खेती पारंपरिक फसलों की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है. यह पौधा सूखा सहन कर लेता है और ज्यादा खाद-पानी की जरूरत भी नहीं होती. एक बार पौधा लगाने के बाद 4-5 साल तक लगातार इसकी पत्तियों की कटाई कराई जा सकती है. एक हेक्टेयर जमीन से किसान औसतन 50-60 किलो रोज़मैरी ऑयल निकाल सकते हैं.  बाजार में इसकी कीमत 6,000 से 8,000 रुपये प्रति लीटर तक होती है. वहीं, सूखी पत्तियां 150 से 200 रुपये प्रति किलो तक बिक जाती हैं. 

किसानों के लिए नई संभावनाएं

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसान अब रोजमैरी की खेती करने लगे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि हर्बल खेती से किसानों को आय के नए स्रोत मिल रहे हैं. साथ ही, सरकार भी औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी और तकनीकी सहयोग उपलब्ध करा रही है. इसी खेती करने वाले किसानों ने भी विशेषज्ञों की हां में हां मिलाई है. 

यूपी के चंदौली जिले के एक किसान ने कहा, 'मैंने दो साल पहले एक एकड़ जमीन पर रोजमैरी लगाई थी. अब हर महीने इसकी कटाई से अच्छा मुनाफा हो रहा है. पहले जो खेत खाली पड़ा रहता था, अब वही खेत मेरी आमदनी का जरिया बन गया है.' 

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