Dairy Milk: जानें कैसे पशुपालक से महंगा दूध खरीदकर पाउच में कम दाम पर बेचती हैं डेयरी 

Dairy Milk: जानें कैसे पशुपालक से महंगा दूध खरीदकर पाउच में कम दाम पर बेचती हैं डेयरी 

वीटा डेयरी, जींद, हरियाणा के प्लांट मैनेजर चरण जीत सिंह का कहना है कि चूंकि हम कोऑपरेटिव संस्थाओं से बंधे हैं तो रेट के मामले में हमे किसानों के बारे में सबसे पहले सोचना पड़ता है. साथ ही बाजार में बने रहने के लिए ग्राहकों को भी ध्यान में रखना पड़ता है. 

दूध की कीमत में बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो)दूध की कीमत में बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो)
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jun 03, 2024,
  • Updated Jun 03, 2024, 11:51 AM IST

देश में एक बार फिर दूध के दाम बढ़ चुके हैं. ज्यादातर गर्मियों के दौरान दूध के दाम में बढ़ोतरी देखने में आती है. इसके पीछे कई सारी वजह हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि पाउच में जो एक लीटर दूध हम खरीदते हैं उसकी कीमत कैसे तय होती है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो पाउच में जो एक लीटर दूध हम खरीदते हैं तो डेयरी कंपनी उस दूध को पशुपालक से उससे कहीं ज्यादा ऊंचे दाम पर खरीदती है. यानि साफ शब्दों में कहा जाए तो डेयरी कंपनी महंगा दूध खरीदकर सस्ता बेचती है.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि डेयरी कंपनियां नुकसान उठाकर दूध को सस्ता बेचती हैं. लेकिन, क्योंकि अमूल, वीटा, नंदनी, सरस, सुधा जैसी डेयरी को कोऑपरेटिव संस्था चलाती हैं तो इसका संचालन किसानों के हित में किया जाता है. एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि कंपनियां दूध के मुकाबले घी-मक्ख‍न, दही-पनीर पर मुनाफा कमाती हैं. 

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ऐसे तय किए जाते हैं पाउच में दूध के रेट

चरण जीत सिंह ने किसान तक को बताया कि भैंस की नस्ल और उसकी खुराक के हिसाब से दूध में फैट (चिकनाई) आती है. आमतौर पर डेयरी कंपनी 10 फीसद से लेकर 7.5 फीसद की फैट वाला दूध किसानों से खरीदती हैं. इस दूध के रेट 90 रुपये प्रति लीटर से लेकर 95 रुपये लीटर तक होते हैं. इसमे दो रुपये प्रति लीटर सोसाइटी के जोड़ दिए जाते हैं. इसके बाद ट्रांसपोर्ट की मदद से किसानों से खरीदा गया दूध प्लांट पर लाया जाता है. यहां दूध प्रोसेस करने के बाद अलग-अलग वजन और कैटेगिरी के पाउच में पैक किया जाता है. जैसे गोल्ड, टोंड आदि कैटेगिरी. 

एक बार फिर ट्रांसपोर्ट की मदद से डेयरी की गाड़ियां दूध को बाजार तक पहुंचाती हैं. जहां दुकानों से दूध आम ग्राहकों को बेचा जाता है. इस सब पर डेयरी का प्रति लीटर छह रुपये खर्च होता है. इस तरह से दूध की कीमत 96 और 101 रुपये लीटर तक पहुंच जाती है. अब सवाल यह उठता है कि कैसे 96 और 101 रुपये प्रति लीटर वाला दूध बाजार में सस्ता बिकता है. दूध को सस्ता करने के लिए डेयरी कंपनियां दूध में से फैट निकालती हैं. जैसे 7.5 फीसद की फैट वाले दूध में से 1.5 फीसद फैट निकाली जाती है तो 10 फीसद फैट वाले दूध में से 4 फीसद फैट. ऐसा करने से दूध के दाम नो प्रॉफिट और नो लॉस पर आ जाते हैं. 

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बाजार में ऐसे मुनाफा कमाती हैं डेयरी कंपनी 

लाखों-करोड़ों रुपये के विज्ञापन, एक लम्बा-चौड़ा इंफस्ट्राक्चर का खर्च निकालना भी डेयरी कंपनियों के लिए चुनौती होती है. इस बारे में चरण जीत सिंह ने बताया कि कोऑपरेटिव संस्थाओं वाली डेयरी में दूध पर कोई मुनाफा नहीं मिलता है. लेकिन दूध से बने जो दूसरे प्रोडक्ट जैसे घी-मक्खेन, दही, पनीर, छाछ और आइसक्रीम आदि हैं उससे कंपनी को मुनाफा होता है. अगर कई सारे प्रोडक्टस में से घी-बटर और दही भी चल गया तो पूरी डेयरी कंपनी मुनाफे में आ जाती है. ऐसे कई डेयरियों के उदाहरण हैं कि वो दही या बटर बेचकर पूरी कंपनी को चला रहे हैं. डेयरी कंपनी खुद मानती हैं कि गर्मियों में आइसक्रीम बिकने से उनकी सालभर में होने वाली कमाई का आधा हिस्सा निकल आता है. 

 

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