किसानों की फसलों, फलों समेत अन्य पदार्थों लोगों के घर-घर पहुंचाने के लिए देशभर में 8 हजार से अधिक एफपीओ काम कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने एफपीओ का गठन किसानों की उपज की बिक्री करने और अधिक कीमत दिलाने के इरादे से किया है. लेकिन, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की ओर से ऑर्डर के बाद प्रोडक्ट पहुंचाने के लिए ली जा रही शिपिंग फीस बहुत अधिक है, जो एफपीओ के लिए मुसीबत खड़ी कर रही है. क्योंकि, इससे ग्राहक तक प्रोडक्ट महंगी कीमत में पहुंच रहा है, जो एफपीओ की बिक्री के लिए बाधक बन रहा है. इस समस्या को दूर करने के लिए एफपीओ पॉलिसी में समाधान लाने की तैयारी चल रही है.
किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ फसलों, फलों समेत अन्य कृषि पदार्थों की तेज बिक्री और अधिक कीमत किसान को दिलाने के लिए संचालित हैं. किसानों के कृषि उत्पादों की डिलीवरी ग्राहक तक पहुंचाने के लिए एफपीओ को सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी, माईस्टोर और इंडिया पोस्ट से जोड़ा गया है. लेकिन, ऑर्डर के लिए ली जा रही शिपिंग फीस काफी अधिक है और कुछ मामलों में डिलीवरी में देरी भी हो रही है. यह स्थिति एफपीओ की राह में बड़ा रोड़ा बन रही है.
उदाहरण से समझिए कि जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक ग्राहक ओएनडीसी के जरिए ओडिशा में कटक के एक एफपीओ से 250 ग्राम के बाजरा नमकीन के तीन पैकेट खरीदने की कोशिश करता है, जिसकी कुल कीमत 90 रुपये है. अब इसे डिलीवर करने के लिए ली जा रही शिपिंग और अन्य फीस 45 रुपये है, जो कि प्रोडक्ट की असल कीमत का 50 फीसदी है. यह स्थिति ग्राहक को प्रोडक्ट खरीदने से हतोत्साहित करती है.
रिपोर्ट में आधिकारिक सू्त्रों के हवाले से कहा गया है कि अगर प्रोडक्ट किसी छोटे शहर से कम मात्रा में आ रहा है तो शिपिंग कुछ समय के लिए महंगी होगी. क्वालिटी और मात्रा में बढ़ोत्तरी से लागत कम होगी तो ग्राहक के लिए चार्ज भी कम हो जाएगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्राहक तक पहुंच बनाने के लिए एफपीओ के पास ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर विज्ञापन खर्च के लिए बजट नहीं हैं.
समस्या दूर करने और एफपीओ को अधिक से ऑर्डर मिलने के लिए शिपिंग चार्जेस पॉलिसी में बदलाव पर विचार किया जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि चूंकि इंडिया पोस्ट के पास बड़ा नेटवर्क है, इसलिए यह निश्चित रूप से एफपीओ को ओएनडीसी के माध्यम से उपभोक्ताओं से सीधे जुड़ने में मदद कर सकता है. कहा कि इस पर पिछले डेढ़ साल से बिना किसी नतीजे के चर्चा चल रही है. इस पर शीर्ष अधिकारियों को निर्णय लेने की जरूरत है, क्योंकि यह किसानों की आय दोगुनी करने की योजना का भी हिस्सा है.