हरियाणा विधानसभा चुनाव... MSP गारंटी पर प्रतिक्षा और किसान आंदोलन की अग्निपरीक्षा

हरियाणा विधानसभा चुनाव... MSP गारंटी पर प्रतिक्षा और किसान आंदोलन की अग्निपरीक्षा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुख्‍यमंत्री नायब सिंह सैनी की MSP गारंटी और MSP गारंटी कानून पर राज्‍यों की भूमिका भी सुनिश्‍चित होनी है.

किसान आंदोलन का भविष्‍य तय करेगा हरियाणा विधानसभा चुनावकिसान आंदोलन का भविष्‍य तय करेगा हरियाणा विधानसभा चुनाव
मनोज भट्ट
  • Noida ,
  • Sep 06, 2024,
  • Updated Sep 06, 2024, 8:16 PM IST

हरियाणा विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो गया है. हरियाणा की 90 सीटों के लिए 5 अक्‍टूबर को मतदान हाेना प्रस्‍तावित है. इसके लिए बीजेपी और जजपा ने उम्‍मीदवाराें की पहली सूची जारी कर दी है. तो वहीं कांंग्रेस भी उम्‍मीदवारों को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है. इससे पहले शुक्रवार को ओलंपियन विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने कांग्रेस की सदस्‍यता ले ली है. माना जा रहा है कि दोनों ओलिंपिक खिलाड़ियों को कांग्रेस विधानसभा चुनाव में टिकट दे सकती है.

इन जैसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से इस बार विधानसभा चुनाव पर सबकी नजर लगी हुई है, लेकिन इसके साथ ही इस बार का हरियाणा विधानसभा चुनाव देश की किसान राजनीति और खेती की दशा-दिशा के लिए भी अहम होने जा रहा है.

मसलन, इस बार का हरियाणा विधानसभा चुनाव MSP गारंटी पर प्रतीक्षा और किसान आंदोलन की अग्‍निपरीक्षा का मुकाम तय करने वाला है. कैसे.. आइए इसे 3 पॉइंट में विस्‍तार से समझते हैं.

किसान आंदोलन की अग्‍निपरीक्षा और किसानों का भविष्‍य

हरियाणा विधानसभा चुनाव कुल जमा कई मायने में किसान आंदोलन की अग्‍निपरीक्षा लेने वाला साबित होने जा रहा है. ये सर्वविदित है कि 13 फरवरी 2024 से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर MSP गारंटी समेत कई मांगों को लेकर किसान आंदोलन जारी है. इस आंदोलन के बीच देश में लोकसभा चुनाव संपन्‍न हुए हैं, जिसमें किसान फैक्‍टर का प्रभावी असर दिखा था.

मसलन, हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 5 पर हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन लोकसभा चुनाव परिणामों को सेमिफाइनल माना जाता है, जबकि हरियाणा विधानसभा चुनाव को किसान आंदोलन की अग्‍निपरीक्षा के फाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. इसके पीछे की वजह ये है कि आंदोलन कर रहे किसानों ने हरियाणा विधानसभा चुनावों को सीधे तौर पर प्रभावित करने के लिए जोर लगाया हुआ है.

वहीं गुरनाम सिंह चढूनी जैसे किसान नेता इस विधानसभा चुनाव में अपनी किसान पार्टी के बैनर तले खुद चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कई किसान नेताओं को चुनाव भी लड़ा रहे हैं. ये मुख्‍य घटनाएं हैं, जो इशारा कर रही है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसान फैक्‍टर का प्रभाव है. ऐसे में अब चुनाव परिणाम ही किसान आंदोलन के प्रभाव को प्रदर्शित करेंगे.

अगर आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में परिणाम रहते हैं तो इससे दूसरे राज्‍यों में भी किसान आंदोलन और किसानों के मुद्दों पर विमर्श शुरू होगा. वहीं अगर परिणाम आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में नहीं रहते हैं तो देश में किसान आंदोलन को लेकर जारी विमर्श का भी अंत हो जाएगा.

सैनी की MSP गारंटी और राज्‍यों की भूमिका

इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुख्‍यमंत्री नायब सिंह सैनी की MSP गारंटी और MSP गारंटी कानून पर राज्‍यों की भूमिका भी सुनिश्‍चित होनी है. असल में किसान आंदोलन को अप्रभावी बनाने और चुनाव में जीत के लिए सीएम नायब सिंह सैनी ने बीते महीने ही 24 फसलों की MSP पर खरीद का ऐलान किया है. इस संबंध की घोषणा को कैबिनेट से मंजूरी मिली है. 

सीएम सैनी का ये ऐलान MSP पर अपनी तरह की एक अलग घोषणा है, जिसमें बिना कानून बनाए ही राज्‍य सरकार ने सभी 24 फसलों की MSP पर खरीद की व्‍यवस्‍था सुनिश्‍चित की है. अगर इस विधानसभा चुनाव का फैसला सीएम नायब सिंह सैनी के पक्ष में रहता है तो ये उनकी MSP पर खरीद के ऐलान की परीक्षा भी होगी, जिसके तहत उसके क्रियान्‍वयन पर सबकी नजर रहेगी.

वहीं इसके सफल होने पर दूसरे राज्‍यों पर ऐसी व्‍यवस्‍था बनाने का दवाब बनेगा. अगर इस चुनाव का फैसला सीएम सैनी के पक्ष में नहीं जाता है तो ये समझा जा सकता है कि सैनी की MSP गारंटी को किसानों ने खारिज कर दिया है.
 

MSP गारंटी की ऑल इंंडिया मांग और संसद में संग्राम

हरियाणा विधानसभा चुनाव को MSP गारंटी की मांग और संसद में संग्राम का भविष्‍य तय करने वाला भी माना जा रहा है. असल में लोकसभा चुनाव में किसान फैक्‍टर के प्रभावी असर से विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन को संजीवन मिली थी, जिसके बाद राहुल गांधी के लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने का रास्‍ता साफ हुआ.

वहीं 19वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र यानी बजट सत्र में किसानों के मुद्दों पर पक्ष-विपक्ष का संग्राम भी देखने को मिला था. जिसमें राहुल गांधी समेत इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने MSP समेत किसानों के दूसरे मुद्दे उठाए थे. तो वहीं सरकार ने इसके बचाव में स्‍वामीनाथन आयोग के फार्मूले से MSP पर सरकार में रहते हुए कांग्रेस के स्‍टैंड को सावर्जनिक किया था.

इस बीच ही दोनों प्रमुख किसान संगठनों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर MSP गारंटी कानून पर प्राइवेट बिल लाने की मांग की थी. इस राहुल गांधी मंजूरी दे चुके हैं और सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में MSP गारंटी कानून पर प्राइवेट बिल लेकर आएंगे, इसके लिए वह इंडिया गठबंधन में सहमति बनाएंगे.

ऐसे में माना जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम MSP गारंटी की ऑल इंडिया मांग और संसद में संग्राम का भविष्‍य तय करेंगे. अगर हरियाणा चुनाव के नतीजे किसानों के पक्ष में जाते हैं तो राहुल गांधी समेत इंडिया गठबंधन पर दवाब बना रहेगा कि वह MSP गारंटी कानून पर संसद में प्राइवेट बिल लेकर आएं, जिससे MSP गारंटी का मुद्दा देशव्‍यापी हो जाएगा और सरकार पर भी दवाब बनेगा. वहीं अगर चुनाव के नतीजे किसानों के पक्ष में नहीं रहते हैं तो ये माना जाएगा कि MSP गारंटी का मुद्दा पंजाब-हरियाणा के कुछ किसान गुटों तक सीमित है. इससे पहले भी बीजेपी के नेता किसान आंदोलन को पंजाब- हरियाणा के कुछ किसान गुटों का आंदोलन बता चुके हैं. 

 

 

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