Explained: क्या है फोर्टिफाइड चावल? कैसे इससे कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाएगी जंग, क्यों हो रहा विरोध, हर सवाल का जवाब

Explained: क्या है फोर्टिफाइड चावल? कैसे इससे कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाएगी जंग, क्यों हो रहा विरोध, हर सवाल का जवाब

दुनिया भर में कुपोषण को दूर करने के संभावित समाधान के रूप में Fortified Rice को पेश किया गया है. भारत में भी सरकार ने राशन से लेकर मिड डे मील तक, आम जन को वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न में फोर्टिफाइड चावल को शामिल किया है. मगर इस फैसले का विरोध बताता है कि इसे अभी फायदे और नुकसान की कसौटी पर कसना जरूरी है.

फोर्टिफाइड चावल के लाभ हानि पर भारत में पुरजोर बहस जारी है, फोटो: साभार फ्रीपिकफोर्टिफाइड चावल के लाभ हानि पर भारत में पुरजोर बहस जारी है, फोटो: साभार फ्रीपिक
न‍िर्मल यादव
  • New Delhi,
  • Jun 22, 2023,
  • Updated Jun 22, 2023, 4:37 PM IST

सरकार भले ही फोर्टिफाइड चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों की 'किलेबंदी' से लैस बताकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शुमार कर रही हो, मगर इसके इस्तेमाल से होने वाले नफा नुकसान पर अभी भी पुरजोर बहस जारी है. इसके मद्देनजर फोर्टिफाइड चावल को भारी विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार National Food Security Act के तहत 'Rice Fortification Scheme' संचालित कर रही है. इस योजना में सामान्य चावल की अपेक्षा सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त फोर्टिफाइड चावल के उपभोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार की दलील है कि भारत में चावल मुख्य भोजन है, इसलिए इसे शरीर के लिए विटामिन और खनिज से भरपूर जरूरी पोषक तत्वों से समृद्ध करके हर नागरिक को पोषण युक्त भोजन मुहैया कराने के लिए फोर्टिफाइड चावल को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस कवायद का उद्देश्य भोजन में पोषण के स्तर को सुधारना है, खासकर कम उपजाऊ इलाकों में, जहां खाद्यान्न में पोषक तत्वों की कमी होती है. इस कमी को फोर्टिफाइड चावल से दूर करना है. इसके इतर एक तबका ऐसा भी है, जो सरकार की इस कवायद को कुछ कंपनियों के हित साधने का माध्यम बता कर जीएम क्रॉप की तर्ज पर इसका विरोध कर रहा है.

सियासी विरोध भी शुरू

फोर्टिफाइड चावल को लेकर सामाजिक संगठनों के विरोध के बीच देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी तेज कर दी है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने हाल ही में फोर्टिफाइड चावल का यह कहते हुए विरोध किया कि सरकार ने कुछ कंपनियों के हित साधने के लिए राइस फोर्टिफिकेशन स्कीम शुरू की है. कांग्रेस का दावा है कि सरकार ने फोर्टिफाइड चावल को नफा नुकसान की कसौटी पर कसे बिना ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस में शामिल कर लिया.

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ज्ञात हो कि भारत में आजादी के बाद खाद्यान्न के मुख्य स्रोत के रूप में शामिल किए गए गेहूं के इस्तेमाल को भी मधुमेह का कारण बताने वाली अध्ययन रिपोर्ट अब प्रमुखता से प्रकाश‍ित हो रही हैं. ऐसे में कृषि‍ उपज पर वैज्ञानिक प्रयोगों के मुखर विरोधी रहे प्रकृतिवादी विचारक फोर्टिफाइड चावल के फायदे और नुकसान, दोनों पहलुओं के बारे में खुल कर चर्चा कर लोगों को इस बारे में जागरुक करने की वकालत कर रहे हैं. इनकी दलील है कि सरकार को पीडीएस के मार्फत गरीबों को जबरन फोर्टिफाइड चावल खि‍लाने के बजाए इसे खुले बाजार में उतार कर छोड़ देना चाहिए. जिससे अपनी मर्जी से जिसे इस चावल को खाना हो वह अपनी जरूरत के मुताबिक इसका इस्तेमाल कर लेगा.

क्या होता है फोर्टिफाइड चावल

'फोर्टिफाइड' शब्द का अर्थ किसी विषय वस्तु की किलेबंदी करना या सुरक्षा उपायों से लैस करना होता है. इससे स्पष्ट है कि चावल को अतिरिक्त पोषक तत्वों से लैस करने की प्रक्रिया काे 'राइस फोर्टिफिकेशन' कहते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा करने से चावल बेहतर पोषण मूल्य यानी High Nutrition Value से लैस हो जाता है.

इस प्रक्रिया में चावल को आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए और जिंक जैसे प्रमुख पोषक तत्वों से समृद्ध किया जाता है. यह काम राइस मिल में ब्लैंडिंग प्रोसेस से होता है. इससे चावल में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर कि‍या जाता है.

क्यों जरूरी है ‘फोर्टिफाइड राइस’

जानकारों का मानना है कि आमतौर पर मिलिंग और प्रोसेसिंग प्रक्रिया के दौरान चावल में मौजूद वसा और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर चोकर की परत भी हट जाती है. वहीं ब्लैंडिंग प्रोसेस से तैयार होने वाले फोर्टिफाइड राइस में प्रोसेसिंग के दौरान ये सभी गुण सुरक्षित रहते हैं.

इसके अलावा विटामिन बी-1, विटामिन बी-6, विटामिन ई, नियासिन, आयरन, जिंक, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12 और विटामिन ए जैसे तत्वों को संरक्षित कर ब्लेंडिंग प्रक्रिया के जरिए सूक्ष्म पोषक तत्वों को संवर्धित किया जाता है. यही कारण है कि देश में एनीमिया समेत कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जड़ से निराकरण करने के लिए फोर्टिफाइड राइस के उपभोग को बढ़ावा देने को, सरकार समय की मांग बताते हुए प्रोत्साहित कर रही है. इसीलिए राइस फोर्टिफिकेशन योजना के जरिए देश में इसके वितरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा रहा है.

फोर्टिफाइड चावल के नुकसान

फोर्टिफाइड चावल का विरोध करने वाले लोग इसके उत्पादन में तकनीकी और ढांचागत चुनौतियाें को इसके प्रसार की राह में सबसे बड़ी चुनौती बता रहे हैं. इनकी दलील है कि फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन और वितरण के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचे और तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है.

जानकारों की दलील है कि बड़े पैमाने पर राइस फोर्टिफिकेशन योजना को लागू करने से इसकी गुणवत्ता काे बरकरार रखना, समान पोषक तत्वों की मौजूदगी को सुनिश्चित करना और अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्थिरता बनाए रखना लगभग असंभव सा काम है. जिसे भारत जैसे देश में करना मुमकिन नहीं है. ये जटिलताएं इसकी कीमत को बढ़ाती हैं.

सेहत को नुकसान पहुंचाने की दलीलें

कांग्रेस ने पीडीएस में फोर्टिफाइड राइस के व‍ितरण को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस ने दलील दी है कि पोषण पर नीति आयोग के राष्ट्रीय तकनीकी बोर्ड के सदस्य, प्रो. अनुरा कुरपड ने उन बच्चों में सीरम फेरिटिन के स्तर में वृद्धि देखी, जिन्हें आयरन-फोर्टिफाइड चावल दिया गया था. सीरम फेरिटिन मधुमेह के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. डॉ कुरपड ने पहले भी आयरन-फोर्टिफाइड चावल से मधुमेह का खतरा बढ़ने के जोखिमों के बारे में आगाह किया था.

जानकारों का कहना है क‍ि सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पीडीएस में जिस फोर्टिफाइड चावल को दे रही है उसमें 20 एमजी आयरन है. भारत में पहले से ही दुनिया में मधुमेह रोगियों की कुल संख्या का 17 फीसदी हिस्सा है और इसे दुनिया की 'मधुमेह राजधानी' के रूप में जाना जाता है. उनका दावा है क‍ि कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों ने बच्चों के स्वास्थ्य पर आयरन-फोर्टिफाइड चावल के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है.

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इनके लिए खतरनाक है फोर्टिफाइड चावल

कांग्रेस ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक के हवाले से भी आगाह किया कि फोर्टिफाइड चावल आयरन से लैस है, इसलिए इसका सेवन उन लोगों के लिए उचित नहीं है जिन्हें थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और टीबी जैसी बीमारियां हैं. इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को आयरन की अतिरिक्त मात्रा नहीं दी जाती है. कम आय वर्ग के लोगों में ये रोग ज्यादा प्रभावी हैं, इसलिए इस तबके को फोर्टिफाइड चावल का लाभार्थी बनाना खतरनाक साबित होगा.

निष्कर्ष के तौर पर इतना तो कहा जा सकता है कि फोर्टिफाइड चावल में समाहित किए जाने वाले तत्वों की कमी वाले तबकों और इलाकों को चिन्हित कर इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना लाभप्रद साबित हो सकता है. मगर पूरे देश में एक समान मानकों पर आधारित फोर्टिफाइड चावल का वितरण करना किसी भी लिहाज से सार्वभौमि‍क हित की पूर्ति नहीं कर सकेगा. ऐसे में सरकार को सभी पहलुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार कर इस फैसले को अमल में लाना चाहिए.

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