भारत में कृषि क्षेत्र में फ्यूचर्स ट्रेडिंग यानी वायदा व्यापार धीरे-धीरे मज़बूती से आगे बढ़ रहा है. किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) ने अब बाज़ार में बेहतर दाम पाने और कृषि व्यापार को औपचारिक रूप देने के लिए वायदा बाज़ार (Futures Market) का सहारा लेना शुरू कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में, 702 FPOs ने नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) पर व्यापार किया है. ये संगठन देशभर के 11.6 लाख से ज्यादा किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन संगठनों ने जीरा (cumin), अरंडी (castor), धनिया (coriander), हल्दी (turmeric), कपास (cotton), कपास खली (cotton seed oil cake) और ग्वार बीज (guar seed) जैसी फसलों में व्यापार किया है.
राजस्थान के जोधपुर में स्थित मंडोर किसान FPO के सीईओ गणपत राम चौधरी बताते हैं कि “हमने जीरा और अरंडी के बीजों को एक्सचेंज पर बेचकर लगभग 10% अधिक दाम प्राप्त किए हैं, जो पारंपरिक व्यापारियों को बेचने पर नहीं मिलते.”
उन्होंने बताया कि FY25 में उनके संगठन ने 2.25 करोड़ रुपये की कुल बिक्री में से 1.5 करोड़ रुपये का व्यापार NCDEX प्लेटफॉर्म पर किया. इस वर्ष 4 करोड़ रुपये के व्यापार का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें पहली तिमाही में ही 1.5 करोड़ रुपये की बिक्री हो चुकी है.
NCDEX के एमडी अरुण रस्ते ने कहा कि “कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक रेगुलेटेड मार्केट टूल है जो मूल्य खोज, जोखिम प्रबंधन और बाज़ार पहुंच में मदद करता है.” इसी तरह, गुजरात के जामनगर स्थित रणमल FPO के निदेशक महेश करंजिया ने बताया कि उन्होंने इस वित्तीय वर्ष में अब तक 2.5 करोड़ रुपये की बिक्री की है और आगे व्यापार को और बढ़ाने की योजना है.
हालांकि, अभी भी कुछ कृषि जिंसों पर वायदा व्यापार पर प्रतिबंध है. SEBI ने सात प्रमुख फसलों – धान (नॉन-बासमती), गेहूं, चना, सरसों, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल और मूंग- पर वायदा व्यापार को मार्च 2026 तक के लिए निलंबित कर दिया है. FY25 में 340 FPOs ने 10 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार किया है, जबकि 1,100 से अधिक संगठनों ने ₹1 करोड़ से अधिक की बिक्री दर्ज की है. इन संगठनों की कुल बिक्री 15,282 करोड़ रुपये को पार कर गई है.
सरकार के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ONDC पर अब तक 9,450 से ज्यादा FPOs पंजीकृत हैं. 200 से अधिक संगठनों ने GeM पर अपने उत्पाद बेचना शुरू कर दिया है. साथ ही, Amazon और Flipkart जैसे प्राइवेट प्लेटफॉर्म्स पर भी कृषि उत्पादों की बिक्री शुरू हो गई है.
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत 10,000 नए FPOs बनाए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य किसानों की सामूहिक ताकत को बढ़ाना और उत्पादन लागत को कम करना है. प्रत्येक FPO को 3 वर्षों के लिए 18 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है.
इसके अतिरिक्त, हर किसान सदस्य के लिए 2,000 रुपये तक की इक्विटी ग्रांट (अधिकतम ₹15 लाख) दी जा रही है. FPO को 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर क्रेडिट गारंटी सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है. साथ ही, हर FPO को मार्केटिंग सहायता के लिए 5 वर्षों तक 25 लाख रुपये तक दिए जा रहे हैं. इस योजना के लिए FY21 से लेकर FY26 तक 6,865 रुपये करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है.
FPOs के लिए वायदा बाज़ार एक नया और प्रभावी प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है. इससे न केवल उन्हें बेहतर दाम मिल रहे हैं बल्कि व्यापार पारदर्शी, औपचारिक और सुरक्षित भी हो गया है. सरकारी नीतियों और डिजिटल तकनीक की मदद से FPOs की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जिससे देश के छोटे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है.