Agri Growth: कैसे विकसित होगा भारत जब कृषि सेक्‍टर की जीडीपी होगी कम! इस बार आई बुरी खबर  

Agri Growth: कैसे विकसित होगा भारत जब कृषि सेक्‍टर की जीडीपी होगी कम! इस बार आई बुरी खबर  

नीति आयोग जिसे सरकार का थिंक टैंक का कहा जाता है, उसमें शामिल रमेश चंद ने सोमवार को आयोजित एग्री बिजनेस समिट से इतर कृषि दर पर बात की. उन्‍होंने न्‍यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, 'यह (एग्री ग्रोथ) वित्त वर्ष 2025-26 में 4 फीसदी के करीब होगी.' उनका कहना था कि ग्रोथ कम क्‍यों रहेगी, उसकी वजहों का फिलहाल पता लगाना मुश्किल है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 09, 2025,
  • Updated Dec 09, 2025, 11:56 AM IST

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए दोगुने टैरिफ, देश के अलग-अलग हिस्‍सों में खाद का संकट और अति बारिश के चलते भारत के कृषि सेक्‍टर से इस बार थोड़ी दिल दुखाने वाली खबर आ रही है. साल 2025-26 के फाइनेंशियल ईयर के दौरान भारत के कृषि सेक्‍टर की ग्रोथ कम रहने का अनुमान लगाया गया है. नीति आयोग की तरफ से बताया गया है कि इस बार कृषि सेक्‍टर की वृद्धि दर 4 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि पिछले साल यह इससे ज्‍यादा थी. खास बात है कि भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में जो ग्रोथ हासिल की थी, उससे चीन भी मात खा गया था. 

क्‍यों गिर गई ग्रोथ 

नीति आयोग जिसे सरकार का थिंक टैंक का कहा जाता है, उसमें शामिल रमेश चंद ने सोमवार को आयोजित एग्री बिजनेस समिट से इतर कृषि दर पर बात की. उन्‍होंने न्‍यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, 'यह (एग्री ग्रोथ) वित्त वर्ष 2025-26 में 4 फीसदी के करीब होगी.' उनका कहना था कि ग्रोथ कम क्‍यों रहेगी, उसकी वजहों का फिलहाल पता लगाना मुश्किल है. उनका कहना था कि कृषि दर में विकास में उतार-चढ़ाव होता रहता है क्योंकि बेस इफेक्ट कम है. 

एक बार तो चीन को छोड़ा पीछे 

रमेश चंद ने इसके पीछे पंजाब में आई बाढ़ को वजह मानने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि पंजाब में बाढ़ का असर सिर्फ सीमित इलाके में है.  इससे राज्य की ग्रोथ कम होने की संभावना नहीं है. चंद ने कहा, 'वित्त वर्ष 2025-26 के पहले छमाही में कृषि क्षेत्र के ग्रोथ आंकड़ों को देखते हुए दूसरी छमाही सामान्य रहेगी.' चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कृषि विकास 3.7 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान था. उनकी मानें तो 2024-25 में कुल कृषि विकास 4.63 प्रतिशत तक पहुंच गया था.  इसके साथ ही भारत ने उस साल चीन को भी पीछे छोड़ दिया था.

कम जनसंख्‍या के बाद भी खपत ज्‍यादा 

रमेश चंद ने PHDCCI की तरफ से आयोजित एग्री बिजनेस समिट में कहा कि देश को एक विकसित देश बनने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कृषि सेक्‍टर में पांच फीसदी की ग्रोथ हासिल करने की जरूरत है. उन्होंने चेताया कि धीमी जनसंख्या वृद्धि के कारण घरेलू खाने की डिमांड सालाना सिर्फ 2.5 प्रतिशत बढ़ रही है. इसलिए भारत को या तो सरप्लस प्रोडक्शन एक्सपोर्ट करना होगा या बायोफ्यूल जैसे दूसरे इस्तेमाल खोजने होंगे. 

कैसे बढ़ेगी ग्रोथ 

उन्होंने कई ग्रोथ ड्राइवर्स की पहचान की, जिसमें फसलों की इंटेंसिटी बढ़ाना, सिंचाई का विस्तार करना और राज्यों के बीच पैदावार के अंतर को कम करना शामिल है. कुछ राज्य प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल मक्का की पैदावार करते हैं जबकि दूसरे सिर्फ 25 क्विंटल ही कर पाते हैं. रमेश चंद ने नकली एग्रीकल्चर इनपुट से निपटने की जरूरत पर जोर दिया. साथ ही एक घटना का जिक्र किया जिसमें एक राज्‍य के एग्रीकल्चर डायरेक्टर को कपास किसानों को बेकार कीटनाशक बांटने के आरोप में जेल भेज दिया गया था. 

5 फीसदी दर हासिल करना जरूरी 

इसके साथ ही उन्होंने बाजार की कीमतों को खराब होने और एक्सपोर्ट कॉम्पिटिटिवनेस को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए खरीद के बजाय डायरेक्ट डेफिशिएंसी पेमेंट के जरिए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की भी वकालत की. चंद ने कहा कि 5 प्रतिशत ग्रोथ के साथ, भारत मौजूदा दरों पर लगने वाले 24-25 सालों से भी कम समय में अपनी कृषि जीडीपी को तीन गुना कर सकता है. ऐसा करके भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के बड़े लक्ष्य को भी हासिल कर सकेगा. 

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