पंजाब में धान की पराली जलाने की घटनाओं में तेज गिरावट की बात राज्य सरकार ने कही है. आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के सांसद ने दावा किया है कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में 70 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है. इसके लिए राज्य सरकार की फसल अवशेष प्रबंधन योजना को गेमचेंजर बताया जा रहा है. क्योंकि, इसके तहत किसानों को CRM मशीनें 80 फीसदी तक के अनुदान के साथ उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे किसानों को पराली प्रबंधन करने का आसान विकल्प मिल गया है. वहीं, पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य के हॉटस्पॉट जिलों में फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात किए हैं जो पराली जलाने की घटनाओं को पकड़ेंगे और रिपोर्ट करेंगे.
पराली जलाना लंबे समय से उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण रहा है. सर्दियों के मौसम से पहले पराली जलाने और प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मालविंदर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार पराली जलाने के मामलों को तीजे से नीचे लाने में कामयाब हुई है. उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई है. पंजाब सरकार के आंकड़ों के अनुसार 15 सितंबर से 6 अक्तूबर 2024 के बीच राज्य भर में 196 खेतों में आग लगने की घटनाएं हुई हैं. पिछले साल इसी अवधि में 845 आग लगने की घटनाएं हुई थीं. और 2022 में इसी अवधि के दौरान 630 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई थीं.
सांसद ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों को पराली जलाने से बचने के विकल्प के साथ ही फायदे भी बता रही है. सरकार स्थिति को संभालने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है. उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 'फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना' को बढ़ावा देकर प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है, जो किसानों को पराली को जलाए बिना निपटाने के लिए मशीनरी तक पहुंचने में मदद करती है.
आप नेता ने कहा कि हमारी सरकार पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए समर्पित है. इसके लिए हमने पूरे पंजाब में सहकारी बैंकों के माध्यम से 'फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना' की शुरुआत की है. इस योजना के तहत किसानों को 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनें देने के लिए डिजाइन की गई है.
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि फ्लाइंग स्क्वॉयड जमीनी स्तर की स्थिति का आकलन करने के लिए तैनात किए गए हैं. इनके जरिए पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए उपायों की डिटेल्स देते हुए डेली बेसिस पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को रिपोर्ट देंगे. इन फ्लाइंग स्क्वॉयड को 1 अक्टूबर से 20 नवंबर 2024 तक पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट जिलों में तैनात किया गया है.