केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए मंत्रालय की पहलों पर सहकारिता मंत्रालय की परामर्शदात्री (कंसल्टिव) समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल और मुरलीधर मोहोल, समिति के सदस्य, सहकारिता मंत्रालय के सचिव और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. इस बैठक में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारी समितियों को जीवंत और सफल व्यावसायिक इकाइयों के रूप में परिवर्तित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि 5 साल में देश में 2 लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के तहत, अब तक 35,395 नई सहकारी समितियां बनाई जा चुकी हैं, जिनमें 6,182 बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (MPACS), 27,562 डेयरी और 1,651 मत्स्य सहकारी समितियां शामिल हैं.
अमित शाह ने कहा कि भूमिहीन और पूंजीहीन व्यक्ति के लिए सहकारिता क्षेत्र से ही समृद्धि का रास्ता खुल रहा है. उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र, कृषि और किसानों की समृद्धि के लिए तीन राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियों का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (NCOL) किसानों के ऑर्गेनिक उत्पादों की प्रमाणिकता, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और उनकी मार्केटिंग सुनिश्चित करती है, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का अच्छा मूल्य मिल सके. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) किसानों के उत्पादों को अतंर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात करने से संबंधित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराती है जिसका पूरा मुनाफा किसानों को मिलता है.
गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) भारत के परंपरागत बीजों के संरक्षण, संग्रहण और उत्पादन की दिशा में काम करती है. केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार परंपरागत बीजों के लिए छोटे किसानों के साथ भी अनुबंध करेगी जिससे उन्हें भी इसका फायदा मिल सके.
अमित शाह ने समिति के सभी सदस्यों से अपने-अपने राज्यों में डेयरी क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए कहा जिससे सहकारिता को बल मिले. साथ ही ये कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने पिछले चार वर्षों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी, मत्स्य, सहकारी बैंक, चीनी सहकारी समितियों और शासन प्रणालियों को मजबूत करने के लिए 100 से अधिक पहल की हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी नीति-2025 देश में सतत सहकारी विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करती है.
इस रोडमैप में भारत सरकार की योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) और अन्य के साथ समन्वय भी शामिल है, ताकि जमीनी स्तर पर सहकारी इकोसिस्टम को मजबूत किया जा सके. उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के नेतृत्व में श्वेत क्रांति 2.0 के तहत अगले पांच वर्षों में दूध की खरीद को 50% बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
मंत्रालय द्वारा बताया गया कि संसदीय अधिनियम के माध्यम से स्थापित त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है. यह यूनिवर्सिटी भारत में सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण को एकीकृत और मानकीकृत करेगी और सहकारी क्षेत्र के लिए कुशल मानव संसाधन प्रदान करेगी. सहकारी समितियों के नेतृत्व में श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से अगले 5 वर्षों में सहकारिता समितियों द्वारा 50% दुग्ध कलेक्शन के लक्ष्य की ओर भी तेजी से बढ़ा जा रहा है. इसके तहत अब तक 15,691 नई डेयरी सहकारी समितियां पंजीकृत की गई हैं और 11,871 मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत किया गया है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और 15 राज्यों में 25 मिल्क यूनियनों ने डेयरी सहकारी समितियों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
बैठक के दौरान सहकारिता मंत्रालय द्वारा समिति को पिछले चार सालों में की गई विभिन्न पहलों पर प्रस्तुति दी गई. मंत्रालय की ओर से बताया गया कि प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी के लिए संस्थागत तंत्र जैसे अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC), राष्ट्रीय स्तर समन्वय समिति (NLCC), राज्य सहकारी विकास समितियां (SCDC) और जिला सहकारी विकास समितियां (DCDC) गठित की गई हैं. सहकारिता मंत्रालय द्वारा पिछले चार वर्षों में पैक्स, डेयरी, मत्स्य, सहकारी बैंक, चीनी सहकारी समितियों और शासन प्रणालियों को मजबूत करने के लिए की गईं 100 से अधिक पहलों में डिजिटल सुधार, नीतिगत परिवर्तन, वित्तीय सहायता और संस्थागत क्षमता निर्माण शामिल हैं.
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