क्या सच में मंत्र जाप से बढ़ती है फसल की पैदावार या किसानों को भ्रमित करने वाली है बात?

क्या सच में मंत्र जाप से बढ़ती है फसल की पैदावार या किसानों को भ्रमित करने वाली है बात?

मंत्रोच्चार से सोयाबीन की पैदावार बढ़ने का दावा पूरी तरह से अवैज्ञानिक है. सामाजिक कार्यकर्ता कंचन गडकरी के इस बयान पर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने आपत्ति जताई और कहा कि ऐसे दावे किसानों को गुमराह करते हैं. लेख में वैज्ञानिक खेती, किसानों की वास्तविक समस्याओं और अंधविश्वास के खतरों पर प्रकाश डाला गया है.

Soybean Coverage to decline this yearSoybean Coverage to decline this year
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 03, 2025,
  • Updated Jul 03, 2025, 4:59 PM IST

हाल ही में सेवा सदन संस्था की अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता कंचन गडकरी ने यह दावा किया कि खेत में बीज बोते समय मंत्रों का जाप करने से सोयाबीन की पैदावार बढ़ती है. उन्होंने बताया कि अपने धापेवाड़ा खेत में ‘श्री सूक्त’ और अन्य वैदिक मंत्रों का श्रवण कराने से उनकी फसल में बढ़ोतरी देखी गई. यह बात उन्होंने एक कार्यक्रम में कही, जहां उन्हें वसंतराव नाईक प्रतिष्ठान और वनराय फाउंडेशन द्वारा प्रायोगिक किसान पुरस्कार दिया गया.

वैज्ञानिकों ने बताया अवैज्ञानिक

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MSEC) ने इस दावे को सिरे से खारिज किया है. समिति ने कहा है कि यह दावा पूरी तरह से अवैज्ञानिक है और इससे किसानों को गलत दिशा में ले जाया जा रहा है.

समिति की ओर से कहा गया है कि यदि पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय इस विषय पर चुप रहता है, तो किसान इसे सच मान सकते हैं. इसलिए विश्वविद्यालय और पुरस्कार देने वाली संस्थाओं को इस पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए.

ज्ञानेश्वर महाराज का ऐतिहासिक सवाल

यहां एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख किया गया कि 12वीं सदी के संत ज्ञानेश्वर महाराज ने भी एक सवाल उठाया था, "यदि मंत्र से शत्रु मर सकता है, तो तलवारों की क्या ज़रूरत?" इससे यह स्पष्ट होता है कि मंत्रों का व्यावहारिक उपयोग केवल आस्था का विषय है, विज्ञान का नहीं.

21वीं सदी में अंधविश्वास की वापसी?

मंत्रों के सहारे खेती में सुधार लाने का दावा करना 21वीं सदी में अंधविश्वास को बढ़ावा देने जैसा है. वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह सोच विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के विपरीत है.

प्रेस विज्ञप्ति में भी कहा गया है कि आज जब देशभर के किसान फसलों की गिरती कीमतों, महंगे बीजों और बदलते मौसम से परेशान हैं, तब इस तरह के दैवीय उपाय सुझाना किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.

क्या है किसानों की असली समस्या?

कई वर्षों से किसान खासकर सोयाबीन उत्पादक किसान, सरकारी नीतियों और गारंटीशुदा दामों की कमी से परेशान हैं. ऐसे में किसी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा मंत्र जाप को फसल बढ़ाने का तरीका बताना किसानों की वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाना है.

क्या कहना है विशेषज्ञों का?

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ताओं जैसे नंदिनी जाधव, हामिद दाभोलकर, मिलिंद देशमुख और अन्य ने मिलकर यह मांग की है कि कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और पुरस्कार देने वाली संस्थाएं इस मुद्दे पर साफ-साफ बयान दें. ऐसा न होने पर किसानों में भ्रम फैल सकता है.

खेती विज्ञान से चलती है, आस्था से नहीं

खेती एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें बीज, मिट्टी, खाद, पानी और तकनीक की बड़ी भूमिका होती है. मंत्र और पूजा-पाठ किसी की आस्था का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन इनसे फसल की पैदावार बढ़े, ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

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