देश में खेती पर अभी तक कोई टैक्स नहीं लगता. लेकिन इसमें कुछ शर्तें हैं जिनके बारे में किसानों को जरूर जानना चाहिए. खेती से होने वाली इनकम को टैक्स से छूट इसलिए दी गई है ताकि किसान इस चिंता से परे जाते हुए खेती-बाड़ी पर फोकस करें. हालांकि इस इनकम को कुछ शर्तों के साथ छूट दी गई है. इन शर्तों में कहा गया है कि अगर पिछले फाइनेंशियल वर्ष में खेती से आय 5,000 रुपये से कम है तो टैक्स नहीं देना होगा, अन्यथा टैक्स के दायरे में आ सकते हैं.
अगली शर्त ये है कि कृषि की इनकम को पूरी इनकम से काटने के बाद कुल आय 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए 2,50,000 रुपये, सीनियर सिटीज़न के लिए 3,00,000 रुपये और सुपर सीनियर सिटीज़न के लिए 5,00,000 रुपये तक हो, तो टैक्स से छूट मिलेगी, अन्यथा किसान को टैक्स भरना होगा. इसके लिए आईटीआर (ITR filing) भरना होगा.
किसान चाहे तो अपनी आय को इनकम टैक्स रिटर्न यानी कि ITR में दिखा सकता है. इसके लिए खास नियम है. अगर किसान की आमदनी सालाना 5,000 से कम है तो वह फॉर्म आईटीआर 1 भर सकता है. अगर किसान की आय 5,000 रुपये से अधिक है तो उसे फॉर्म आईटीआर 2 फाइल करना होगा.
उदाहरण के लिए डेयरी फार्मिंग पर टैक्स के नियम को ले लेते हैं. अगर डेयरी फार्मिंग से होने वाली कमाई टैक्स छूट की राशि के दायरे में है, तो उस पर टैक्स की देनदारी नहीं बनेगी. इस छूट के बारे में उपर जानकारी दी गई है. अगर कमाई छूट की राशि से अधिक है, तो उस पर टैक्स देना होगा.
डेयरी फार्मिंग पर टैक्स तभी लगेगा जब वह कृषि गतिविधि या फार्मिंग एक्टिविटी में शामिल होगा और उससे किसान की आमदनी होगी. इसे एक उदाहरण से समझिए. मान लें आपने खेत में सूरजमुखी उगाई. उससे तेल निकाला और उसकी खली को अपने मवेशियों को खिलाया. यहां तक किसी तरह के टैक्स की बात नहीं होगी क्योंकि यह कमाई छूट में शामिल है. लेकिन वही खली या तेल बेचा जाए जिससे इनकम होगी और वह इनकम छूट की राशि से अधिक है तो उस पर टैक्स देना होगा. ठीक ऐसे ही, खेत में चारा उगाते हैं और उसे मवेशियों को खिलाते हैं तो यह टैक्स के दायरे में नहीं है. टैक्स का मामला तब बनेगा जब खेती के आउटपुट में खर्च आदि को काटते हुए इनकम हो.
ये भी पढ़ें: Basmati Rice: अब 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम दाम पर नहीं हो पाएगा बासमती चावल का एक्सपोर्ट
अगर आप डेयरी से कमाई करते हैं तो इसे बिजनेस इनकम के तौर पर घोषित करना होगा. अगर आपकी आय साल में 2.5 लाख रुपये की सीमा से अधिक है तो रिटर्न फॉर्म भरना होगा. हालांकि इस लिमिट तक कमाई है तो कोई टैक्स नहीं भरना होगा. किसान को पांच लाख आय होने तक कोई टैक्स नहीं देना होगा. उससे अधिक कमाई है तो किसान को टैक्स भरना होगा.
आईटीआर 1 में कृषि आय को कृषि आय के कॉलम के तहत दिखाया जाना है. लेकिन आईटीआर 1 तभी लागू होता है जब कृषि आय 5,000 रुपये तक हो. यदि यह 5,000 रुपये की सीमा से अधिक है, तो आईटीआर 2 फॉर्म दाखिल करना होगा.
धारा 54बी उन टैक्सपेयर्स को पूंजीगत लाभ से राहत देती है जो अपनी कृषि भूमि बेचते हैं और बिक्री आय से अन्य कृषि भूमि को खरीदते हैं. धारा 54बी के तहत लाभ का दावा करने की शर्तें हैं, जैसे
-करदाता एक व्यक्ति या एचयूएफ होना चाहिए.
-हस्तांतरित संपत्ति कृषि भूमि होनी चाहिए, चाहे वह दीर्घकालिक या अल्पकालिक पूंजीगत संपत्ति हो.
-कृषि भूमि का उपयोग भूमि हस्तांतरण की तारीख से ठीक पहले कम से कम दो वर्षों तक कृषि प्रयोजनों के लिए किया जाना चाहिए.
-करदाता को स्थानांतरण तिथि से दो साल के भीतर दूसरी कृषि भूमि का अधिग्रहण/खरीद करना चाहिए.