घरेलू बाजार में महंगाई चरम पर है. महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे आम आदमी परेशान है. इस बीच चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सामान्य राइस के एक्सपोर्ट को जहां बैन कर दिया है वहीं अब बासमती चावल का एक्सपोर्ट प्राइस फिक्स कर दिया है. वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) के बयान के मुताबिक, गैर-बासमती चावल पर प्रतिबंध के बाद बासमती चावल की आड़ में गैर-बासमती चावल के निर्यात की आशंकाओं को खत्म करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जा रहे हैं. ताकि गैर-बासमती चावल के गलत निर्यात को रोका जा सके और घरेलू आपूर्ति को बनाए रखा जा सके.
नए नियमों के मुताबिक सरकार ने 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम दाम पर अब बासमती राइस एक्सपोर्ट नहीं हो पाएगा. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार घरेलू कीमतों को स्थिर करने और आपूर्ति बनाए रखने के लिए कई कदम उठा रही है, इसी कड़ी में 20 जुलाई, 2023 को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
कुछ खास किस्मों के कारण देश से चावल के निर्यात में तेजी आई है. प्रतिबंधों के बाद भी 17 अगस्त 2023 तक कुल चावल (टूटे हुए चावल को छोड़कर जिनका निर्यात प्रतिबंधित है) पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है. दूसरी ओर, उबले चावल और बासमती चावल के निर्यात में तेज उछाल आया है. इन दोनों श्रेणियों पर फिलहाल कोई निर्यात प्रतिबंध नहीं है.
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मंत्रालय ने कहा, सरकार को जो सूत्रों से जानकारी मिली है कि गलत कटेगरी दिखाकर दिखाकर गैर-बासमती चावल को अवैध तरीके से देश से बाहर भेजा जा रहा है. जिस पर सरकार ने अब रोक लगा दी गई है. जानकारी के मुताबिक उसना चावल और बासमती चावल के एचएस कोड का इस्तेमाल गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए किया जा रहा है.
मंत्रालय के मुताबिक, सरकार ने बासमती चावल की आड़ में गैर-बासमती चावल के अवैध निर्यात पर रोक लगाने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को निर्देश जारी किए हैं. निर्देशों के अनुसार रजिस्ट्रेशन- कम- अलोकेशन सर्टिफिकेट (आरसीएसी) जारी करने के लिए 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के बराबर या उससे अधिक दर वाले बासमती निर्यात अनुबंध को रजिस्टर किया जाना चाहिए.
दरअसल आंकड़ों के मुताबिक बासमती चावल के कॉन्ट्रैक्ट में काफी अंतर देखने को मिल रहा है. इस महीने बासमती चावल का औसत कॉन्ट्रैक्ट मूल्य 1214 डॉलर प्रति मीट्रिक टन रहा है. हालाँकि, 359 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की कम दर पर भी अनुबंध किया गया है. जो औसत कीमत से काफी नीचे है. एपीडा को उद्योग के साथ इस मामले पर चर्चा करने और इस मार्ग के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास करने के लिए कहा गया है.
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