
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा जीरा उत्पादन करने वाले देशों में शामिल है. गुजरात और राजस्थान इसकी प्रमुख खेती वाले राज्य हैं. लेकिन इसकी खेती लंबे समय से किसानों के लिए जोखिम भरा काम रही है. बदलते मौसम, बार-बार आने वाली बीमारियों और कमजोर उत्पादन क्षमता को देखते हुए वैज्ञानिकों ने कई बेहतर किस्में विकसित की हैं. इन्हीं में से एक है CZC-94 (सी.ज़ेड.सी-94), जिसे आज जीरा किसानों के लिए उच्च उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता का मजबूत विकल्प माना जाता है.
जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने जीरे की एक नई किस्म विकसित की है, जो महज 100 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी. खास बात यह है कि यह किस्म उत्पादन के मामले में भी अन्य वैरायटी से बेहतर साबित हो रही है. CZC-94 किस्म को मुख्य रूप से सूखे और कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है. इसे इस तरह तैयार किया गया है कि यह बदलते तापमान और नमी की कमी को आसानी से सहन कर सके. यही कारण है कि उत्तर गुजरात, बनासकांठा, पाटण और राजस्थान के शुष्क इलाके इस किस्म के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं.
CZC-94 किस्म औसतन 8–10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है, जबकि सही प्रबंधन के साथ यह और भी अधिक उपज देने में सक्षम है. इसकी बाली समान रूप से बढ़ती है और दाने भरपूर मात्रा में आते हैं. इसके अलावा यह किस्म प्रमुख रोगों जैसे अल्टरनेरिया ब्लाइट, विल्ट, और पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति बेहतर प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इससे खेती में दवा का खर्च कम होता है और फसल सुरक्षित रहती है. CZC-94 किस्म को जो बात सबसे खास बनाती है, वह है कम पानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती हो जाना. इसे हल्की सिंचाई में भी अच्छा विकास मिलता है, जिसके कारण यह रबी सीजन की फसल के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है. इस किस्म के दाने पतले, हल्के भूरे और सुगंधित होते हैं. बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल जाता है.
काजरी के वैज्ञानिकों का दावा है कि सीजेडसी-94 से किसान न सिर्फ जल्दी पैदावार पाएंगे, बल्कि बे-मौसम जीरे की खेती भी कर सकेंगे. इससे उनकी आय कई गुना तक बढ़ सकती है. मसालों के निर्यात में भारत की बड़ी हिस्सेदारी है. लाल मिर्च के बाद जीरा सबसे ज्यादा निर्यात होने वाला मसाला है. नई किस्म के आने से निर्यात में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. जीरे की खेती में नई क्रांति की खबर के बीच किसानों के लिए एक और राहत आई है.
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