Stubble Burning: हरियाणा के ईंट भट्टों में अब पुआल-पेलेट का उपयोग अनिवार्य, पराली जलाने पर लगेगा रोक

Stubble Burning: हरियाणा के ईंट भट्टों में अब पुआल-पेलेट का उपयोग अनिवार्य, पराली जलाने पर लगेगा रोक

हरियाणा के ईंट भट्टों में अब कोयले के साथ धान की पुआल-पेलेट का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है. यह कदम पराली जलाने की समस्या कम करने, किसानों को अतिरिक्त आय देने और साफ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है.

ईंट भट्टों में इस्तेमाल किया जाएगा परालीईंट भट्टों में इस्तेमाल किया जाएगा पराली
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Nov 23, 2025,
  • Updated Nov 23, 2025, 10:18 AM IST

हर साल कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए बड़ी चिंता बन जाती है. अब हरियाणा सरकार ने ईंट भट्टों में कोयले के साथ धान की पुआल-पेलेट का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है. यह कदम न सिर्फ पराली जलाने को कम करेगा, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय और ईंधन की बचत का भी मौका देगा. हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों में अब ईंट भट्टों को कोयले के साथ धान की पुआल से बने बायोमास पेलेट का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया है. यह कदम हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) की ओर से ठंडी और साफ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने तथा पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए उठाया गया है.

20% से शुरू होकर 50% तक बढ़ेगा पेलेट का उपयोग

आधिकारिक आदेश के अनुसार, इस सीजन से ईंट भट्टों को कम से कम 20% बायोमास पेलेट का इस्तेमाल करना होगा. यह अनुपात धीरे-धीरे बढ़ाकर नवंबर 2028 तक 50% तक पहुंचाया जाएगा. यह निर्णय 7 नवंबर को राज्य स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में लिया गया.

किसानों के लिए फायदे

  • स्थानीय रूप से उपलब्ध फसल अवशेषों का उपयोग होगा.
  • पराली जलाने की समस्या कम होगी.
  • ईंट भट्टा मालिकों के लिए ईंधन खर्च में कमी आ सकती है.
  • किसानों को अपनी पराली बेचकर अतिरिक्त आय का मौका मिलेगा.

निगरानी और नियम पालन

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अधिकारियों को सख्त निगरानी का निर्देश दिया है. ईंधन उपयोग का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी. ईंट भट्टों की जांच खाद्य और आपूर्ति विभाग के साथ मिलकर की जाएगी. नियमों का पालन न करने पर लाइसेंस निलंबित या जुर्माना लगाया जा सकता है.

पेलेट निर्माण सुविधाएं

हिसार जिले में वर्तमान में आठ एजेंसियाँ पेलेट बनाने में लगी हुई हैं. अन्य जिलों में भी ऐसे सुविधाएँ उपलब्ध हैं. अधिकारियों ने बताया कि सभी ईंट भट्टा मालिकों को पेलेट के उपयोग के निर्देश पहले ही दे दिए गए हैं. किसानों और ईंट भट्टा मालिकों के लिए यह नीति फायदेमंद है. यह न सिर्फ पर्यावरण को साफ रखने में मदद करेगी, बल्कि फसल अवशेष से आमदनी बढ़ाने का अवसर भी देगी.

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