भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कृषि क्षेत्र के बजट में कुछ अहम बदलाव किए हैं. कुछ योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाया गया है, जबकि कुछ में कटौती की गई है. इस बजट में तकनीकी नवाचार, कृषि अवसंरचना और किसानों की आय सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. 'नमो ड्रोन दीदी' योजना और कृषि अवसंरचना कोष में बढ़ा हुआ निवेश इस बात का संकेत है कि सरकार आधुनिक कृषि तकनीकों और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में बजट में कमी चिंता का विषय बन सकती है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बजट में कटौती से किसानों की जोखिम वहन करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सबसे मजबूत प्रसार तंत्र कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) का सशक्तिकरण के बजट में कटौती की गई है, कृषि की नई तकनीकों के खेतों तक पहुंचाने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को अपने बहुप्रतीक्षित बजट भाषण में कृषि क्षेत्र पर विशेष जोर दिया. उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को "विश्व का खाद्य भंडार" बनाने में किसानों की भूमिका को रेखांकित किया. सीतारमण ने कृषि को "विकास का पहला इंजन" बताते हुए अपने भाषण की शुरुआत सरकार की कृषि प्राथमिकताओं के उल्लेख से की. ये घोषणाएं कृषि क्षेत्र के महत्व को दर्शाती हैं, जो देश के करोड़ो लोगों की आजीविका से गहराई से जुड़ा हुआ है.
इसके बावजूद, किसान कल्याण और उनकी आय में सुधार से जुड़ी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2025-26 के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट आवंटन 1.71 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जो पिछले वर्ष 2024-25 के 1.53 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 11 फीसदी अधिक है. हालांकि, पिछले वर्ष सरकार निर्धारित कृषि बजट का 13 फीसदी खर्च नहीं कर पाई और केवल 1.32 लाख करोड़ रुपये ही उपयोग हो सका. यानी लगभग 20,000 करोड़ कृषि क्षेत्र पर खर्च नहीं हो पाए. इस साल अधिकांश योजनाओं के लिए आवंटन लगभग पिछले साल के समान ही रखा गया है. कुछ योजनाओं में जरूर आवंटन में वृद्धि की गई है, लेकिन यह वृद्धि अपेक्षाकृत मामूली है.
फसल बीमा योजना के बजट में कमी की गई है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय हो सकता है. क्या इसका मतलब यह होगा कि कम किसानों को बीमा कवर मिलेगा या प्रीमियम में वृद्धि होगी? साल 2024-25 के अनुमानित 15,864 करोड़ रुपये के मुकाबले, 2025-26 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 12,242 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह कमी संभावित रूप से प्रीमियम सब्सिडी वितरण में बदलाव और नई रणनीतियों का संकेत देती है.
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है. किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ने से कुछ किसानों को लाभ होगा, लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज सब्सिडी के लिए के बजट 22,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले साल के बराबर है. अगर सब्सिडी में वृद्धि नहीं की जाती, तो यह सवाल उठता है कि क्या किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों की संख्या बढ़ने पर ब्याज दर बढ़ सकती है क्योंकि वित्त वर्ष 2024-25 में देश में किसान क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या बढ़कर 7.75 करोड़ तक पहुंच गई है. कुल मिलाकर, यह बदलाव किसानों के लिए ऋण लेने में सहूलियत प्रदान करेगा और उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना (PMAASHA) के बजट में वृद्धि स्वागत योग्य है. 2025-26 के बजट में 6,941.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो 2024-25 के 6,437.50 करोड़ रुपये से अधिक है. यह योजना किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने में मदद कर सकती है. कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के लिए 2024-25 में 750 करोड़ रुपये के मुकाबले 2025-26 के लिए 900 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. यह बढ़ा हुआ निवेश एक सकारात्मक कदम है, जो किसानों को आधुनिक तकनीकों और उपकरणों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा.
NAMO ड्रोन दीदी योजना के बजट में भारी वृद्धि की गई है. 2024-25 में 250 करोड़ रुपये के मुकाबले 2025-26 में 676.85 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. यह वृद्धि महिलाओं की कृषि में भागीदारी को बढ़ावा देने और कृषि मंत्री शिवराज सिंह के महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण को दर्शाती है. ड्रोन तकनीक किसानों के लिए खेती को अधिक कुशल और लाभकारी बना सकती है.
कृषि अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के लिए 10,466.39 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष के 10,156.35 करोड़ से 310 करोड़ अधिक है. यह वृद्धि आज के समय में आवश्यक है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन, घटती भूमि, बढ़ती जनसंख्या और पौष्टिक भोजन के शोध के लिए अधिक बजट की जरूरत है. हालांकि, कृषि विज्ञान केंद्र के लिए आवंटित बजट पिछले साल के मुकाबले घटा है, जो कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के उद्देश्यों के विपरीत प्रतीत हो सकता है.
शिवराज सिंह ने कहा था कि कृषि अनुसंधान और शोध से कई नई किस्में और तकनीकें विकसित हुई हैं, लेकिन ये तकनीकें किसानों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. कृषि विज्ञान केंद्र इन तकनीकों के प्रसार में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) का सशक्तिकरण 2024-25 के 234 करोड़ के मुकाबले इस वर्ष के बजट में 204 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया है, जो 30 करोड़ रुपये की कमी दर्शाता है.
कृषि बजट 2025-26 में डेयरी क्षेत्र के लिए लगभग 1000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है. 2024-25 के बजट में 3,839 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल के बजट में 4,840.40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, मत्स्य पालन (फिशरीज) के बजट में 1,100 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. 2024-25 के बजट में 1,666.47 करोड़ के मुकाबले इस साल के बजट में 2,703.67 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
फसलों की खेती के साथ-साथ डेयरी और मत्स्य पालन व्यवसाय छोटे और मझोले किसानों के लिए एक बेहतरीन आय वृद्धि का जरिया बन सकते हैं. डेयरी क्षेत्र का बढ़ा हुआ बजट छोटे किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेगा. वहीं, फिशरीज में भारत के समुद्री क्षेत्र की क्षमता को बढ़ाने और सतत विकास के लिए सरकार एक रूपरेखा पेश करेगी, जिसमें विशेष रूप से अंडमान और लक्षद्वीप क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
भारत मछली और जलीय कृषि का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, और उसका समुद्री खाद्य निर्यात 60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. कुल मिलाकर, कृषि बजट 2025-26 में कुछ सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी मौजूद हैं. यह देखना होगा कि सरकार इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और किसानों के कल्याण के लिए क्या कदम उठाती है.