फसलों को, या यूं कहें कि बीजों को सबसे अधिक नुकसान फफूंद (Fungus) से होता है. इसीलिए शुरू में ही बीजों का उपचार किया जाता है ताकि बीज के माध्यम से फफूंद फसल तक न पहुंचें और उन्हें बर्बादी फैलाने का कोई मौका न मिले. किसानों की इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नायाब तरीका खोजा है. यह तरीका पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार और वैज्ञानिक खोज पर आधारित है. दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बायोप्लास्टिक कोटिंग बनाई है जो बीजों को खतरनाक फफूंदों से रक्षा करेगी.
आप अगर किसान हैं तो एस्पर्जिलस (aspergillus) फफूंद (फंगस) का नाम सुना होगा. यह फंगस बेहद खतरनाक है जो एफ्लेटॉक्सिन नाम का केमिकल पैदा करता है जो जहर के समान है और उसकी प्रकृति कैंसर फैलाने वाली है. यह ऐसा फंगस है जो कृषि उत्पादों जैसे भुट्टा (कॉर्न), कॉटन सीड और मूंगफली या अन्य नट्स में पाया जाता है. यह फंगस मिट्टी में भी पाया जा सकता है. यह सड़े हुए पेड़ पौधे, भूसा या स्टोर किए गए अनाज में पाया जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन चीजों में नमी होती है और नमी में एस्पर्जिलस फंगस के पैदा होने की गुंजाइश सबसे अधिक होती है.
एस्पर्जिलस जिस एफ्लेटॉक्सिन को पैदा करता है, वह अनाजों की सप्लाई चेन के लिए बड़ा खतरा है क्योंकि यह अनाजों को दूषित करता है, बर्बाद करता है. नतीजा ये होता है कि पूरा का पूरा अनाज उत्पादन गंभीर तरीके से घट जाता है. यहीं नहीं, अगर यह टॉक्सिन अनाजों में या पेट्स, मछली, मवेशी में पहुंच जाए तो गंभीर बीमारी पैदा कर देता है. यहां तक कि लीवर कैंसर का भी खतरा होता है. इससे निजात दिलाने और एस्पर्जिलस फंगस को दूर करने के लिए वैज्ञानिक कई साल से दिन-रात एक हुए हैं. ऐसे में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इससे मुक्ति पाने का कारगर तरीका ढूंढा है.
इस नए वैज्ञानिक तरीके में एस्पर्जिलस फंगस के स्ट्रेन को निकाल कर एक दूसरा फंगस तैयार किया गया है जिसका नाम एस्पर्जिलस (aspergillus) फ्लेवस है. यह काम अमेरिका स्थित बायोलॉजिकल कंट्रोल ऑफ पेस्ट्स रिसर्च यूनिट ने किया है जिसकी जानकारी एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस ने दी है. एस्पर्जिलस फ्लेवस फंगस की ऐसी प्रजाति है जो फसलों को खतरनाक फफूंदों के आक्रमण से बचाती है. इस नए फंगस को कोर्न स्टार्च से बने बायोप्लास्टिक और बायोचार (पेड़-पौधों का कोयला) में मिलाया जाता है और उस बायोप्लास्टिक (bioplastic coating) को बीजों पर लगाया जाता है.
इस काम में लगे वैज्ञानिक बताते हैं कि चूंकि बीज मिट्टी के अंदर होता है, इसलिए उसे स्वस्थ रखना और उसकी सुरक्षा बहुत जरूरी होती है. फंगस बीजों को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में बीजों (seeds) में लगने वाले बुरे फफूंदों को खत्म करने के लिए अच्छे फफूंद का तरीका आजमाया जाता है. एस्पर्जिलस (aspergillus) फ्लेवस इसी श्रेणी में आता है. बीजों के बारे में कहा जाता है कि उसे बोते समय जिस तरह का फफूंद उसके साथ पहले आएगा, वह पेड़ के पूरे लाइफ साइकिल को नियंत्रित करेगा. यानी शुरू में ही खतरनाक फफूंद बीज के साथ मिट्टी में चले जाएं तो आगे फसल बीमार होती रहेगी. लेकिन शुरू में ही बीज (seeds) का उपचार कर दिया जाए और अच्छे फफूंद से कोटिंग कर दी जाए, तो आगे चलकर पौधे स्वस्थ रहेंगे, उत्पादन अच्छा मिलेगा.
एस्पर्जिलस फ्लेवस से बायोप्लास्टिक (bioplastic coating) तैयार किया जाता है और इस स्टार्च बेस्ड बायोप्लास्टिक की कोटिंग बीजों पर की जाती है. इसकी कोटिंग कॉर्न, मूंगफली आदि के बीजों पर की जाती है और उसके बाद ही बुवाई की जाती है. यह कोटिंग वैसे फफूंदों से बीजों की रक्षा करती है जो बाद में नुकसान पहुंचाती हैं.