केले की खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमाते हैं. केला एक ऐसा फल है, जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है. वहीं, केला अपने पोषक तत्वों और चिकित्सीय गुण के कारण बेहद ही पसंद किया जाता है. यही वजह है कि केला पूरे साल लोगों की पसंद बना रहता है. लोग केले का प्रयोग फल के तौर पर तो करते ही हैं. वहीं केले का इस्तेमाल किसी अन्य खाद्य पदार्थ को बनाने में भी किया जाता है. इसके अलावा आपको बता दें कि केले की खेती का सही समय जून-जुलाई का महीना माना जाता है, खासकर बारिश के मौसम में. हालांकि, जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा है, वहां इसे साल भर उगाया जा सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि केला उत्पादन के मामले में कौन सा राज्य सबसे आगे है यानी सबसे अधिक केले की खेती कहां होती है. आइए इस खबर में जान लेते हैं.
केला का उत्पादन भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है, लेकिन केला उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र भारत के सभी राज्यों में सबसे आगे है. महाराष्ट्र की जलवायु और मिट्टी केला की खेती के लिए काफी अनुकूल है. इस वजह से सबसे अधिक केला का उत्पादन महाराष्ट्र में होता है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल उत्पादित होने वाले केला में महाराष्ट्र अकेले 17.28 फीसदी का उत्पादन करता है.
केला उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र जहां सबसे आगे है. तो वहीं उसके बाद दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है. यहां के किसान अधिक मात्रा में केला उगाते हैं. यहां कुल 15.42 फीसदी केले का उत्पादन होता है. वहीं, केला के उत्पादन में तीसरे पायदान पर तमिलनाडु है. इस राज्य की केला उत्पादन में 12.32 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसके अलावा चौथे पायदान पर उत्तर प्रदेश है. इस राज्य का केला उत्पादन में 11.09 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसके अलावा पांचवें नंबर पर गुजरात है जहां केले की 10.41 फीसदी पैदावार होती है. वहीं, छठे पायदान पर कर्नाटक है. इस राज्य की केला उत्पादन में 8.27 फीसदी की हिस्सेदारी है. यानी ये छह राज्य मिलकर कुल 75 फीसदी केला उत्पादन करते हैं.
केले की खेती में समय को बचाने के लिए और जल्दी आमदनी के लिए टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे को ही लगाना चाहिए. टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों की फसल करीब एक साल में तैयार हो जाती है. हालांकि, इसकी फसल को ज्यादा ठंडे और गर्म तापमान से बचाना जरूरी होता है. वहीं, टिश्यू कल्चर तकनीक से केले की खेती पूरे साल की जा सकती है. इस विधि के पौधे की रोपाई के लिए 45*45 सेमी के आकार के गड्ढे बना लें. फिर गड्ढों में 10 किलो खाद, 250 ग्राम खली और 20 ग्राम कार्बोफ्युरान को गड्ढे में भर दें और उसे खुला छोड़ दें ताकि सूरज की धूप लग सके.