आपने आतंकवाद शब्द सुना होगा. लेकिन कृषि आतंकवाद नहीं सुना होगा. नया शब्द है और चौंकाने वाला भी. आप सोच सकते हैं कि आखिर खेती-बाड़ी का नाता आतंकवाद से कैसे हो सकता है? पर सच मानिए, ऐसा नाता है. और उस नाते को दुनिया के चौधरी देश अमेरिका ने कबूल किया है. दरअसल, कृषि आतंकवाद नाम की घटना अमेरिका में ही हुई है जहां से यह टर्म निकला है. आइए अब पूरी खबर जान लेते हैं.
अमेरिका ने कहा है कि उसने अपनी सरजमीं पर एक बहुत बड़ी कृषि आपदा को फैलने से रोक दिया है और इसके पीछे के दो मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है. अमेरिका में कथित तौर पर कृषि आतंकवाद फैलाने वाले ये दोनों आरोपी चीन के हैं. अमेरिका का आरोप है कि दोनों चीनी नागरिक 'बायोलॉजिकल पैथोजेन' (बीमारी फैलाने वाले जीवाणु) की अमेरिका में तस्करी कर रहे थे. छानबीन में पता चला कि यह ऐसा आतंकवाद है जिसके तार कई देशों में फैले हैं और इसका शिकार भारत जैसे देश भी हैं.
सवाल है कि कृषि क्षेत्र में आतंकवाद क्यों फैल रहा है? इसका जवाब है कि यह क्षेत्र आसान टारगेट है. मगर इसका परिणाम बहुत खतरनाक और दूरगामी है. एक तो आसानी से इसे निशाना बनाया जा सकता है और सोर्स को पकड़ना भी मुश्किल है. इसमें सफल रहे तो पूरे कृषि सेक्टर को आसानी से खतरे में डाला जा सकता है, वह भी बेहद कम खर्च में.
ये भी पढ़ें: PAK की बढ़ी मुसीबत, सतलुज दरिया से आगे नहीं जा रहा पानी, सिंचाई में ही बढ़ा इस्तेमाल
कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल निभाता है. साथ ही लोगों का पेट भरता है. ऐसे में किसी देश की कृषि व्यवस्था को चौपट कर दिया जाए तो कई निशाने एक साथ सध सकते हैं. यही वजह है कृषि आतंकवाद दुनिया के सामने नया खतरा बनकर उभरा है. अमेरिका में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. अमेरिका का कहना है कि उसने दो चीनी नागरिकों को पकड़ा जिनमें लड़की आरोपी शख्स की प्रेमिका है.
लड़की के बारे में कहा जा रहा है कि वह चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य है. इन दोनों पर आरोप है कि अमेरिकी की कृषि भूमि को संक्रमित करने के लिए इन्होंने जहरीले फंगस की तस्करी की. जैसे ही घटना की जानकारी मिली, ट्रंप प्रशासन के कान खड़े हो गए. ट्रंप प्रशासन ने इसे गंभीर राष्ट्रीय खतरा बताया. प्रशासन ने यह भी बताया कि झुयोंग लियु नाम के चाइनीज शख्स ने चीन से फंगस अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए लाया था जहां उसकी प्रेमिका यानकिंग जियान पहले से काम करती है.
BBC ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि जियान को उस फंगस पर रिसर्च के लिए चीन की सरकार से फंड भी मिले हैं. जिस फंगस पर बवाल मचा है उसका नाम है फ्यूजेरियम ग्रैमीनिरम जिसे अमेरिका में कृषि आतंकवादी हथियार के तौर पर दर्जा दिया गया है. यह फंगस इतना खतरनाक है जो गेहूं, जई, मक्का और धान को बर्बाद करता है. साथ ही यह इंसानों में लीवर डैमेज करने की ताकत रखता है. यही फंगस अमेरिका में पकड़ा गया है.
भारत से इसका क्या कनेक्शन है, ये भी जान लेते हैं. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार, 2016 में, बांग्लादेश में पाया जाने वाला एक जहरीला फंगस पश्चिम बंगाल के दो जिलों में पाया गया था. हालांकि, सरकार ने तीन साल के लिए दो जिलों में गेहूं की खेती पर प्रतिबंध लगाकर गेहूं-झुलसा पैदा करने वाले फंगस मैग्नापोर्थे ओराइजे पैथोटाइप ट्रिटिकम (MOT) के फैलाव को रोक दिया.
इसके अलावा, बांग्लादेश से सटे अन्य जिलों में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 5 किलोमीटर के भीतर खेती बैन कर दी गई. माना जाता है कि कीट को जानबूझकर भारत के कृषि सेक्टर में लाया गया था, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
ये भी पढ़ें: Benefits of Bhangjeera: भंगजीरा शाकाहारी है या मांसाहारी...इसे मछली तेल का क्यों माना जा रहा है विकल्प?
इसी तरह, 2015 में, कपास के पत्ते के कर्ल वायरस के प्रकोप ने पाकिस्तान में कपास की फसलों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया. इससे दक्षिणी पंजाब में सफेद मक्खी का गंभीर संक्रमण हुआ, जिससे कपास की दो-तिहाई फसल को नुकसान पहुंचा, जिससे 630-670 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 15 कपास किसानों ने आत्महत्या कर ली.