भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा देश है. भारत में अलग-अलग मसाला फसलें अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने अनोखे गुणों के लिए तो कई अपने स्वाद और क्वालिटी के लिए जानी जाती हैं. ऐसी है एक मसाला फसल है जिसकी वैरायटी का नाम है कसूरी सुप्रीम. दरअसल, ये मेथी की एक खास किस्म है. मसाला वाली फसलों में मेथी एक महत्वपूर्ण फसल है. मेथी के दानों का इस्तेमाल अचार, सब्जी, आयुर्वेदिक औषधि, सौंदर्य प्रसाधन की चीजों को बनाने में किया जाता है. मेथी की खेती भारत के कुछ राज्यों में प्रमुख रूप से की जाती है. इसकी खेती किसान जुलाई से अगस्त के महीने में आसानी से कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी 5 उन्नत वैरायटी के बारे में.
कसूरी सुप्रीम: कसूरी सुप्रीम जिसकी पत्तियां छोटे आकार की होती हैं. इसकी कटाई 2 से 3 बार की जा सकती है. इस किस्म की यह खूबी है कि इस में फूल देर से आते हैं और पीले रंग के होते हैं, जिन में खास किस्म की महक भी होती है. बोआई से ले कर बीज बनने तक यह किस्म लगभग 5 महीने का समय लेती है.
पूसा अर्ली बंचिंग: मेथी की पूसा अर्ली बंचिंग किस्म को कम समय में अच्छी पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों पर फलियां गुच्छों में आती है. इस किस्म के पौधों को हरी पत्ती और पैदावार दोनों के लिए उगाया जाता है. इसकी हरी पत्तियों को दो से तीन बार आसानी काटा जा सकता है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाती है.
एम. एल. 150: मेथी की इस किस्म को पंजाब में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे अधिक गहरे हरे होते हैं. इसके पौधे पर फलियां अधिक मात्रा में आती हैं. इसके पौधों की एक कटाई के बाद इसकी फसल आसानी से ली जा सकती है. इस किस्म के दाने आकर्षक मोटे, पीले और चमकदार होते हैं. इस किस्म के पौधों की प्रति हेक्टेयर औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल के बीच है.
ए.एफ.जी 2 किस्म: मेथी की इस किस्म के पत्ते काफी चौड़े होते हैं. किसान मेथी की ए.एफ.जी 2 किस्म की एक बार बुवाई करने के बाद करीब 3 बार कटाई कर सकते हैं. इस किस्म के दाने छोटे आकार में होते हैं. मेथी की इस किस्म से प्रति एकड़ 08 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
कश्मीरी: मेथी की कश्मीरी किस्म की ज्यादातर खूबियां पूसा अर्ली बंचिंग किस्म से मिलती जुलती हैं, लेकिन यह 15 दिन देर से पकने वाली किस्म है, जो ठंड ज्यादा बरदाश्त कर लेती है. इस के फूल सफेद रंग के होते हैं और फलियों की लंबाई 6-8 सेंटीमीटर होती है. पहाड़ी इलाकों के लिए यह एक अच्छी किस्म है.
देश के ज्यादातर इलाकों में समय बचाने के लिए मेथी की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है. वहीं अच्छी और स्वस्थ पैदावार के लिए मेथी के बीजों की कतारों में बुवाई करना ज्यादा फायदेमंद रहता है. दरअसल, लाइनों में मेथी के बीज लगाने पर निराई-गुड़ाई, खरपतवार प्रबंधन और कीट-रोगों की निगरानी बनी रहती है, जिससे नुकसान की संभावना कम रहती है.