खरीफ सीजन की बुवाई का समय खत्म होने में अब काफी कम दिन बचे हैं, लेकिन खाद की समस्या है कि दूर होने का नाम नहीं ले रही है. कानपुर देहात प्रशासन का दावा है कि जिले में पर्याप्त खाद है, लेकिन उसके बाद भी यहां के अकबरपुर इलाके में किसानों को खाद हासिल करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सुबह-सुबह किसान सरकारी दुकानों के बाहर लाइन लगा लेते हैं कि दुकान खुलेगी तो खाद मिलेगी, लेकिन सुबह से शाम हो जाती है और किसानों मायूसी के साथ घर वापस लौटना पड़ता है. ठीक यह दोहराव गुरुवार को भी हुआ.
किसान सुबह से टकटकी लगाए बैठे थे. लाइन में पुरुष किसानों के साथ महिला किसान भी खड़ी हुई थीं. बातचीत के दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि यहां पर मनमानी ढंग से खाद बांटी जाती है. केंद्र पर खाद तो है मगर मिल नहीं पा रही है. कल भी हम इंतजार करते रहे और लौट गए, आज फ़िर उम्मीद के सहारे आए हैं कि खाद मिलेगी खाद न मिलने की वजह से फसलें बर्बाद हो रही हैं. एक-एक दिन देरी फसलों को खराब कर रही है.
कई बुजुर्ग किसान ऐसे पहुंचे थे जो कई किलों मीटर से पैदल चलकर आए हुए थे किसानों ने पारदर्शिता के साथ खाद न बांटने के आरोप लगाए हैं किसान बोले अगर फसलों को समय से खाद न मिली तो फसल चौपट हो जाएगी. रूरवाहर के प्रधान रामकरण सिंह सेंगर ने बताया कि हमारे यहां 15 दिन से खाद नहीं बांटी गई है.
किसान यहां बड़ी संख्या में घूमते दिख रहे हैं, लेकिन उनको सही से खाद नहीं मिल रही है. हमने जिलाधिकारी के यहां शिकायत भी की थी.लेकिन, एक दिन खाद बांटने के बाद फिर वही स्थिति है. प्रधान ने कहा कि ये सब नेतागीरी की वजह से हो रहा है, जबकि किसानों के साथ किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होना चाहिए. अब उन्हें जैसा समझ में आए वैसा कर लें, खूब मनमानी करें.
अब हम इस पर क्या कह सकते हैं, इस पर ज्यादा नहीं कह सकते हैं. रामकरण सिंह सेंगर ने कहा कि केंद्र पर खाद बहुत है, लेकिन वे वितरण नहीं करना चाहते हैं. अब वे इसका क्या करना चाहते हैं, यह हमें नहीं पता. कल ट्रक में खाद आई थी और उसमें से 40 बोरी खाद दबाकर तिरपाल के अंदर बंबा पर उतरने की कोशिश की गई थी. ऐसा कई बार पहले भी हो चुका है. लेकिन अब हम बहुत अच्छे तरीके से इसकी निगरानी करवा रहे हैं. अब वे जनता दरबार में खाद वितरण में अव्यवस्था की शिकायत लेकर जाने वाले हैं.
किसान जितेंद्र सिंह ने कहा कि 15 दिन पहले केंद्र से खाद बांटी गई थी, उसके बाद अभी परसों खाद दी गई है. सचिव को फोन करो तो कहते हैं अध्यक्ष जी नहीं बंटवा रहे हैं. अध्यक्ष जी को फोन करो तो वह कहते हैं, सचिव नहीं बंटवा रहे हैं. जनता परेशान है. ऐसे में कहां जाएं, क्या करें? यहां पर 5-500 लोग इकट्ठा हो जाते हैं.
खाद बंटने लगे तो जरूरत पूरी हो जाएगी. जितनी खाद जमा है, ये अगर बंट जाए तो जनता की समस्या हल हो जाएगी. खाद नहीं मिलने से फसलों को यह नुकसान होगा कि फसल होगी ही नहीं. अभी खेत में धान लगी हैं और खाद ओवर रेट से 10 से 20 रुपये ज्यादा पर लेते हैं. जो लोग ऊपर का भाव नहीं देते, उनको सिर्फ एक-दो बोरी देते हैं.
वहीं, एक अन्य किसान गुलाब सिंह ने बताया कि खाद नहीं मिल रही है. कल भी आए थे आज भी आए हैं, कल कह रहे थे आज मिलेगी अब देखो आज बारिश हो रही है. 3 दिन से भाग रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल रही है. तीन-चार घंटे समय वेस्ट करके जाते हैं और खाद नहीं मिलती है. (तनुज अवस्थी की रिपोर्ट)