यूपी में खाद का पूरा हिसाब-किताब: क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े, किसानों की राय भी जान लें

यूपी में खाद का पूरा हिसाब-किताब: क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े, किसानों की राय भी जान लें

यूपी में खाद के लिए किसान जूझ रहे हैं. कई जिलों से ऐसी खबरें हैं कि किसानों को घंटों इंतजार के बाद भी खाद नहीं मिल रही है. दूसरी ओर सरकार आंकड़े जारी कर बताए हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है. यहां तक कि खुद सीएम योगी ने अधिकारियों को स्थिति पर निगाह रखने की हिदायत दी है.

खाद को लेकर बवालखाद को लेकर बवाल
आशीष श्रीवास्तव
  • AYODHYA/GONDA/HARDOI/BANDA/BARABANKI,
  • Aug 21, 2025,
  • Updated Aug 21, 2025, 6:20 AM IST

उत्तर प्रदेश में सरकारी दावों में हर सरकारी समिति पर खाद मौजूद है और किसानों को यूरिया मिल रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. जब 'आजतक' की टीम लखनऊ के गोसाईगंज और मोहनलालगंज पहुंची तो पाया कि गोसाईगंज की खाद समितियों पर ताले लटक रहे थे. किसानों का आरोप है कि वे कई समितियों पर चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें खाद तो दूर कोई कर्मचारी भी नहीं मिल रहा.

वहीं मोहनलालगंज की खाद समिति पर अलग ही नज़ारा देखने को मिला. यहां सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनें लगी थीं. एक बीघा खेत के लिए एक बोरी खाद पाने के लिए किसान सात–आठ घंटे से धूप में खड़े थे. महिलाओं की भी अलग लाइन लगी हुई थी. 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला रमादेवी छतरी लेकर सुबह से लाइन में बैठी थीं. उन्होंने बताया कि कई बार आने के बाद भी उन्हें खाद नहीं मिली, लेकिन उम्मीद है कि शायद आज मिल जाए.

किसानों ने बताई आपबीती

रामसेवक, जिनके पास एक बीघा खेत है, सुबह से ही लाइन में लगे थे. उनका कहना था कि वे बिना खाए-पिए पूरे दिन खड़े रहते हैं, लेकिन यह भी तय नहीं है कि खाद मिलेगी या नहीं. इसी तरह लल्लन राम 10 घंटे से लाइन में थे. उन्होंने कहा कि सुबह 6 बजे से खड़े हैं, अब दोपहर के 3 बज रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिली. पता नहीं शाम तक मिलेगी भी या नहीं. ऐसे में खेती कैसे होगी, यह चिंता अलग है.

समिति के सचिव का दावा है कि खाद पर्याप्त है और धीरे-धीरे सभी किसानों को दी जा रही ह.। उनके अनुसार समिति में फिलहाल 400 बोरी खाद मौजूद है, लेकिन किसानों का कहना है कि हालात इसके बिल्कुल विपरीत हैं.

लखनऊ की 82 समितियों में एक बार में लगभग 32 हजार बोरी खाद आती है और उसका वितरण किया जाता है. स्टॉक खत्म होने के बाद ही दोबारा सप्लाई आती है. वहीं प्राइवेट विक्रेताओं का कहना है कि उनकी दुकानों पर भी खाद नहीं है. कई जगह किसानों का आरोप है कि बिना दिहाड़ी दिए खाद नहीं मिलती और खुलेआम घोटाला किया जा रहा है.

अलग-अलग जिलों में क्या है हाल

प्रदेश के अलग-अलग जिलों जैसे बांदा, बाराबंकी और हरदोई से भी खाद संकट की तस्वीरें सामने आई हैं. बांदा में किसानों ने खाद न मिलने पर हाईवे जाम कर दिया और कालाबाजारी के आरोप लगाए. बाराबंकी में किसानों ने बताया कि सोसायटी केंद्रों पर ताला लटका रहता है और कालाबाजारी कर खाद नेपाल तक भेजी जा रही है. हरदोई में कई समितियों पर ताला लटकता मिला और किसान घंटों लाइन में खड़े होकर भी मायूस लौट रहे हैं.

गोंडा में तो लाइन में खड़े होकर लोग बारिश में खाद का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन खाद अभी तक उपलब्ध नहीं है. अयोध्या में पुलिस को लाठी चार्ज तक करनी पड़ी खाद के लिए हालात बिल्कुल की जमीन पर अलग है.

खेती किसानी का मौसम है लेकिन यूपी में अन्नदाता परेशान है. ज़रूरत के समय खाद ही नहीं मिल पा रही. किसान घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, मगर उन्हें यूरिया के नाम पर मायूसी ही हाथ लग रही है. सरकारी दावा है कि किसानों के लिए भरपूर खाद उपलब्ध है लेकिन किसानों की लाईन और सहकारी समितियों के बंद पड़े सेंटर के बाद किसानों की भीड़ इस बात का प्रमाण है कि खाद की एक एक बोरी के लिए किसानों को जूझना पड़ रहा है. सरकार से लेकर प्रसाशन के दावे केवल कागजी आंकड़े ही हैं.

धान और मक्का पर मंडराता संकट

हरदोई जिले में किसानों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. खरीफ फसल का समय है और खेतों में उर्वरक की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, लेकिन हालात यह है कि किसान यूरिया खाद के लिए दिनभर खाद गोदामों और सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं. यूरिया की कमी के कारण धान और मक्का जैसी फसलों पर संकट मंडराने लगा है. किसान कह रहे हैं कि अगर समय पर खाद न मिली, तो फसल की पैदावार बुरी तरह प्रभावित होगी. वहीं प्रशासन का दावा है कि पर्याप्त खाद उपलब्ध है और जल्द ही सभी किसानों तक पहुंचा दी जाएगी.

बाराबंकी में किसानों को यूरिया खाद के लिए लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है, जबकि उन्हें खाद नहीं मिल रही. किसानों का आरोप है कि केंद्रों पर स्टॉक मौजूद होने के बावजूद कालाबाज़ारी के कारण वितरण नहीं हो रहा और खाद नेपाल भेजी जा रही है. दिव्यांग समेत कई किसान परेशान हैं. वहीं कृषि अधिकारी का दावा है कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है और लाखों किसानों को नियमित वितरण किया जा रहा है.

बांदा में खाद न मिलने से किसानों में मचा हाहाकार हुआ है. आलम यह है कि खाद क्रय केंद्रों में सुबह से किसान डेरा डाल लेते हैं. लंबी लंबी लाइन देखने को मिलती है जिसके बाद खाद न मिलने पर किसानों का गुस्सा फूट गया और उन्होंने हाइवे जाम कर दिया, प्रशासन की मिलीभगत से कालाबाजारी का आरोप लगाया है. प्रशासन ने समझाकर शांत किया. जिला प्रशासन का दावा है कि खाद पर्याप्त है. गोंडा में खाद की किल्लत से किसान जूझ रहे हैं. चाहे धूप या उमस हो, चाहे बरसता पानी हो, किसान लंबी-लंबी लाइनों में सुबह से ही केंद्रों पर जम जाते हैं.

अयोध्या में खाद को लेकर किसानों पर कथित लाठीचार्च के वीडियो ने सियासी हलचल तेज कर दी. सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो को लेकर जबरदस्त बवाल मच गया. यहां खाद वितरण के दौरान धक्का-मुक्की और अफरातफरी के बीच वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. 

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

हालांकि सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रदेश में खरीफ रकबा पिछले 10 सालों में 15.47 लाख हेक्टेयर बढ़ा है और यूरिया की खपत भी तेजी से बढ़ी है. सरकार का दावा है कि 18 अगस्त तक 37.70 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराई गई है, जिसमें से 31.62 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है. मंत्री ने कहा कि कालाबाजारी रोकने के लिए प्रदेशभर में छापेमारी की जा रही है और जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की गई है.

सरकारी दावे चाहे जितने मजबूत हों, लेकिन किसानों की लंबी-लंबी लाइनें और उनकी परेशानियां इस बात की गवाही देती हैं कि खेतों में खाद की सबसे बड़ी जरूरत के समय अन्नदाता को मायूसी का सामना करना पड़ रहा ह.। सवाल यही है कि किसानों तक उनका हक आखिर कब और कैसे पहुंचेगा? 

योगी सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में कहीं भी उर्वरक की कोई दिक्कत नहीं है. सभी 18 मंडलों में खाद की उपलब्धता और बिक्री की जानकारी जारी की गई है. पहली अप्रैल से 18 अगस्त 2025 तक प्रदेश में कुल 42.64 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की बिक्री हुई है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 4.37 लाख मीट्रिक टन अधिक यूरिया की बिक्री दर्ज की गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जनपदों में निरंतर मॉनीटरिंग करें ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो. साथ ही सीएम योगी ने किसानों से अपील की है कि वे उर्वरक का भंडारण न करें, बल्कि आवश्यकता अनुसार ही खाद खरीदें.

खाद की उपलब्धता क्या है

18 अगस्त तक प्रदेश में यूरिया की उपलब्धता 37.70 लाख मीट्रिक टन रही, जिसमें से किसानों ने 31.62 लाख मीट्रिक टन खरीद लिया है. डीएपी (DAP) की उपलब्धता 9.25 लाख मीट्रिक टन रही, जिसमें से 5.38 लाख मीट्रिक टन किसानों ने ले लिया है. एनपीके (NPK) की उपलब्धता 5.40 लाख मीट्रिक टन रही, जिसमें से 2.39 लाख मीट्रिक टन किसानों ने खरीदा. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 16.04 प्रतिशत (4.37 लाख मीट्रिक टन) अधिक यूरिया की बिक्री हुई है.

खाद उपलब्धता की सम्पूर्ण स्थिति (को-ऑपरेटिव और प्राइवेट स्टॉक, 18 अगस्त 2025 तक, मीट्रिक टन में):

  • सहारनपुर: यूरिया- 18,734 डीएपी- 4,577 एनपीके- 3,075
  • मेरठ: यूरिया- 39,089 डीएपी- 17,195 एनपीके- 8,858
  • आगरा: यूरिया- 43,824. डीएपी- 28,329. एनपीके- 21,502
  • अलीगढ़: यूरिया-29,597 डीएपी-18,377 एनपीके- 16,464
  • बरेली: यूरिया-41,610 डीएपी-20,790 एनपीके- 28,159
  • मुरादाबाद: यूरिया- 46,450 डीएपी- 18,159. एनपीके- 27,402
  • कानपुर: यूरिया- 52,100 डीएपी- 41,168 एनपीके- 30,301
  • प्रयागराज: यूरिया- 57,212 डीएपी- 21,286 एनपीके- 25,580
  • झांसी: यूरिया- 28,267  डीएपी- 27,164 एनपीके-16,506
  • चित्रकूट: यूरिया-25,650 डीएपी-9,110 एनपीके- 3,975
  • वाराणसी: यूरिया-43,294 डीएपी- 27,689 एनपीके- 14,627
  • मीरजापुर: यूरिया- 13,626 डीएपी- 7,840 एनपीके-3,804
  • आज़मगढ़: यूरिया-34,184 डीएपी-24,481 एनपीके-9,070
  • गोरखपुर: यूरिया-34,126 डीएपी-25,756 एनपीके-15,755
  • बस्ती: यूरिया-12,306 डीएपी -0,439 एनपीके 4,611
  • देवीपाटन: यूरिया-7,955 डीएपी-18,681 एनपीके-9,017
  • लखनऊ: यूरिया-41,066 डीएपी-37,964 एनपीके-36,736
  • अयोध्या: यूरिया-28,960 डीएपी-27,997 एनपीके-25,250

कुल उपलब्धता (18 अगस्त 2025 तक)

  1. यूरिया: 6,08,049 मीट्रिक टन
  2. डीएपी: 3,87,003 मीट्रिक टन
  3. एनपीके: 3,00,693 मीट्रिक टन

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