`कटाई-छंटाई, मोथ पर नजर और खाद` इस महीने खजूर में फूल आने से पहले ये बातें रखें याद

`कटाई-छंटाई, मोथ पर नजर और खाद` इस महीने खजूर में फूल आने से पहले ये बातें रखें याद

खजूर से अच्छी उपज पाने के लिए जनवरी-फरवरी महीने में रोगग्रस्त, सूखी, पुरानी और क्षतिग्रस्त पत्तियों को हटा देना चाहिए. फल गुच्छों से सटी पत्तियों के डंठलों से कांटें निकालना जरूरी है ताकि परागण, फल गुच्छों की छंटाई, डंठल मोड़ना, केमिकल खाद या दवाओं का छिड़काव, थैलियां लगाना और फलों की तुड़ाई आसानी से हो सके.

खजूर की खेतीखजूर की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 23, 2025,
  • Updated Jan 23, 2025, 1:34 PM IST

जनवरी-फरवरी के महीने में खजूर में कई जरूरी काम किए जाते हैं. इन जरूरी काम के आधार पर ही खजूर में फूल और फल आते हैं. उसी आधार पर किसान की कमाई निश्चित होती है. इस महीने किसानों को खजूर के पौधों की कटाई-छंटाई, खादों का प्रयोग और परागण प्रमुख काम हैं. खजूर के पौधे एक बीजपत्रीय और सिंगल तना वाले होते हैं. इसके पौधे में अलग-अलग शाखाएं नहीं होतीं, इसलिए किसी बीमारी या कीट के प्रभाव में इसके जल्द खराब होने का खतरा रहता है. 

खजूर से अच्छी उपज पाने के लिए जनवरी-फरवरी महीने में रोगग्रस्त, सूखी, पुरानी और क्षतिग्रस्त पत्तियों को हटा देना चाहिए. फल गुच्छों से सटी पत्तियों के डंठलों से कांटें निकालना जरूरी है ताकि परागण, फल गुच्छों की छंटाई, डंठल मोड़ना, केमिकल खाद या दवाओं का छिड़काव, थैलियां लगाना और फलों की तुड़ाई आसानी से हो सके.

जरूर डालें ये 3 खाद

तने को अधिक से अधिक चिकना रखना चाहिए जिससे कि फल गुच्छों को किसी रगड़ से नुकसान न पहुंचे. इसके लिए जनवरी-फरवरी महीने में तनों पर से पत्तियों को काटकर हटा देना चाहिए. अच्छे उत्पादन के लिए फूल आने से तीन सप्ताह पहले फास्फोरस (0.5 किलो) और पोटाश (0.5 किलो) की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन (0.75 किलो) की आधी मात्रा को दिया जाना चाहिए. यह काम जनवरी-फरवरी में ही करना चाहिए. इसके बाद सिंचाई की जानी चाहिए.

ICAR की पत्रिका फल-फूल में खजूर की खेती के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें दी गई जानकारी के मुताबिक, खजूर में नर और मादा पुष्पक्रम अलग-अलग पौधों पर आते हैं, इसलिए अच्छे उत्पादन के लिए कृत्रिम परागण किया जाता है. ताजे और पूरी तरह से खुले नर पुष्पक्रमों को अखबार या पॉलिथीन की चादर पर झाड़कर जुटा लिया जाता है. मादा पुष्पक्रमों को परागकणों से डुबोए गए रुई के फाहों से दो-तीन दिनों तक सुबह के समय परागित किया जाता है.

खजूर का परागण जरूरी

इसके लिए किसान नर पुष्पक्रमों की लड़ियों को काटकर खुले मादा पुष्पक्रम के बीच उल्टा करके हल्के से बांध दिया जाता है. इससे परागकण धीरे-धीरे गिरते रहते हैं. जनवरी-फरवरी महीने में लेसर डेट मोथ कीट के लार्वा परागकणों को खाकर नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए इनकी निगरानी और नियंत्रण करना जरूरी है. इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए किसान खजूर से अधिक फल पा सकते हैं. अधिक फल से अधिक कमाई और अधिक मुनाफा मिल सकता है.

 

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