Urea Production: यूरिया कंपनियों को बड़ी राहत देगी केंद्र सरकार, 25 साल पुरानी मांग होगी पूरी, पढ़ें डिटेल

Urea Production: यूरिया कंपनियों को बड़ी राहत देगी केंद्र सरकार, 25 साल पुरानी मांग होगी पूरी, पढ़ें डिटेल

Fertilizer Secretary On Urea Companies Demand: सरकार गैस आधारित यूरिया कंपनियों की 25 साल से लंबित फिक्स्ड कॉस्ट बढ़ाने पर जल्द फैसला ले सकती है. मंत्रालय स्तर पर निर्णय होने की उम्मीद है. उद्योग का कहना है कि महंगाई और मेंटेनेंस खर्च बढ़ने से मौजूदा भुगतान कम पड़ रहा है.

urea planturea plant
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 11, 2025,
  • Updated Dec 11, 2025, 1:09 PM IST

केंद्र सरकार गैस-आधारित यूरिया बनाने वाली करीब 30 कंपनियों की फिक्स्ड कॉस्ट भुगतान बढ़ाने पर जल्द निर्णय ले सकती है. उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने बुधवार को यह संकेत दिया कि लंबे समय से लंबित यह मुद्दा साल खत्म होने से पहले ही सुलझ सकता है. कंपनियों का कहना है कि पिछले लगभग 25 वर्षों में लागत में भारी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन फिक्स्ड कॉस्ट की आधिकारिक समीक्षा नहीं हुई है, जबकि उत्पादन और मेंटेनेंस का खर्च लगातार बढ़ता गया है. मिश्रा ने फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा कि सरकार इस पर गंभीरता से काम कर रही है और फैसला मंत्रालय स्तर पर ही लिया जाएगा, जिसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. 

मांगों पर जल्‍द सभी पत्‍ते खोलेगी सरकार

उन्होंने कहा कि फिक्स्ड कॉस्ट संशोधन कब से प्रभावी होगा, इस पर भी विचार चल रहा है. विकल्पों में इसे 1 अप्रैल 2025 से लागू करना या फिर 1 अप्रैल 2014 से पिछली तारीख से बहाल करना शामिल है. उन्होंने साफ कहा कि पूरा मामला एक बास्केट में है, हम तारीख, पैमाना और लागू करने का तरीका सब पर साथ में निर्णय करेंगे. फिलहाल यूरिया निर्माता कंपनियों को प्रति टन 2,800 से 3,000 रुपये तक का रिइम्बर्समेंट मिलता है.

मार्च 2020 में 350 रुपये प्रति टन का इजाफा किया गया था, जिसके बाद पुराना 2,300 रुपये प्रति टन का मिनिमम फिक्‍स्‍ड कॉस्‍ट फ्लोर अपने आप खत्म हो गया. वहीं, उद्योग का कहना है कि महंगाई, वेतन, रखरखाव और अन्य परिचालन खर्चों को देखते हुए मौजूदा दरें वास्तविक लागत से काफी कम हैं.

लागत का वास्‍तविक मूल्यांकन जरूरी

FAI के चेयरमैन एस. शंकरसुब्रमणियन ने कहा कि समय पर और न्यायसंगत संशोधन जरूरी है, ताकि कंपनियों की आर्थिक स्थिति मजबूत रहे और भविष्य के निवेश को भी बढ़ावा मिल सके. उन्होंने कहा कि उर्वरक क्षेत्र लगातार बदलती ऊर्जा कीमतों और वैश्विक सप्‍लाई की चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में लागत का वास्‍तविक मूल्यांकन बेहद जरूरी है. उर्वरक सचिव ने देश में उर्वरक उपलब्धता को लेकर भरोसा जताया.

उन्होंने कहा कि घरेलू उत्पादन और आयात दोनों से आपूर्ति अच्छी बनी हुई है. सऊदी अरब, मोरक्को और रूस से आने वाले शिपमेंट से भी स्टॉक बेहतर स्तर पर है. साथ ही उन्होंने नैनो यूरिया को किफायती और लॉजिस्टिक-फ्रेंडली विकल्प बताया, क्योंकि इसे सीधे पत्तों पर छिड़का जाता है, जिससे परिवहन और स्टोरेज की लागत काफी घट जाती है.

रासायनिक खाद के संतुलित इस्‍तेमाल पर जोर

FAI कार्यक्रम में अपने संबोधन में मिश्रा ने रासायनिक खाद के संतुलित इस्‍तेमाल पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि अधिक नाइट्रोजन आधारित खाद का उपयोग लंबे समय में मिट्टी की सेहत और पर्यावरण के लिए चुनौती बन सकता है, जबकि पिछले 50 वर्षों में इसने उत्पादन बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने जैविक और अकार्बनिक उर्वरकों के संयोजन को आगे बढ़ाने की आवश्यकता बताई ताकि कृषि उत्पादकता और स्थिरता दोनों सुनिश्चित हो सकें. (पीटीआई)

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