खरीफ सीजन आते ही किसान इस सीजन में प्रमुख फसल धान की खेती में जुट गए हैं. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो पारंपरिक फसलों के अलावा खरीफ की अन्य फसलों की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए तिल की खेती बेस्ट है. दरअसल तिल की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. यह किसानों के लिए फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि इसकी खेती में लागत कम आती है और कम लागत में भी यह अच्छी पैदावार देती है. बारिश के मौसम में इसकी खेती ऊंची जमीनों पर की जाती है, जहां पर जल जमाव नहीं होता है. ऐसे में अगर आप भी इस सीजन तिल की खेती करना चाहते हैं तो इसकी GJT- 5 किस्म बेस्ट है. आइए जानते हैं उस उन्नत किस्म के कहां से ले सकते हैं बीज और क्या है उसकी खासियत.
किसान अब पारंपरिक फसलों को छोड़कर नकदी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन तिल की GJT- 5 यानी गुजरात तिल-5 किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
ये तिल की एक खास वैरायटी है. गुजरात तिल-5 किस्म जिसे GJT-5 Sesame भी कहा जाता है. यह तिल की एक सफेद किस्म है, जो खरीफ सीजन में सिंचित पारिस्थिति के लिए उपयुक्त है. यह किस्म 1241 किलो प्रति हेक्टेयर की औसत उपज देती है. साथ ही ये किस्म बहुत कम दिनों में तैयार हो जाती है.
अगर आप भी तिल की गुजरात तिल-5 किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस किस्म के बीज का दो किलो का पैकेट फिलहाल 20 फीसदी की छूट के साथ 704 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से तिल की खेती कर सकते हैं. साथ ही इस बीच को खरीदने पर एक जैकेट फ्री में मिलेगा. बता दें कि ये ऑफर मात्र 5 जून तक ही है. ऐसे में इस बीज को खरीद कर आप लोबिया की खेती कर सकते हैं.
तिल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली चिकनी मिट्टी बेस्ट होती है. वहीं, तिल की खेती में पानी की कम जरूरत पड़ती ही है. साथ ही इससे पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध हो जाता है. तिल की खेती के लिए खेत की तैयारी करते समय किसान इस बात का ध्यान रखें कि खेत में खरपतवार ना हो. खरपतवार पूरी तरह से निकालने के बाद खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. इसके बाद तीन जुताई कल्टीवेटर या देसी हल से करके खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना लें. वहीं, 80 से 100 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद को आखिरी जुताई में मिला दें. इससे बुवाई और मिट्टी अच्छी रहेगी.