
अरहर (तुअर) खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. भारत में अरहर को अरहर, तुअर, रेड ग्राम और पिजन के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, अरहर की खेती हमेशा से किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है. लेकिन अरहर की खेती करने वाले किसानों के सामने एक समस्या ये आती है कि वो किन किस्मों की खेती करें जिससे कम समय में अधिक उपज मिल सके. ऐसे में किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने अरहर की कुछ ऐसी भी किस्में विकसित की हैं, जो न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि उत्पादन भी अच्छा देती हैं. ऐसे में आज हम उन किसानों को अरहर की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगे जो अपने बेहतर उत्पादन के लिए फेमस है. आइए जानते हैं उस उन्नत किस्म के कहां से ले सकते हैं बीज और क्या है उसकी खासियत.
मौजूदा समय में किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर दलहनी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन अरहर की "पूसा अरहर-16 किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
"पूसा अरहर-16 अरहर की एक अगेती किस्म है जिसकी खेती खरीफ सीजन की शुरुआत में ही की जाती है. इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी और दाना मोटा होता है. यह किस्म 120 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर तक है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है.
अगर आप भी अरहर की "पूसा अरहर-16 किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस किस्म की बीज का चार किलो का पैकेट फिलहाल 20 फीसदी की छूट के साथ 896 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगी. इसे खरीद कर आप आसानी से अरहर की खेती कर सकते हैं. साथ ही इस बीच को खरीदने पर एक टी-शर्ट फ्री में मिलेगा. बता दें कि ये ऑफर मात्र 4 जून तक ही है. ऐसे में इस बीज को खरीद कर आप लोबिया की खेती कर सकते हैं.
ज्यादातर किसान अरहर की खेती छींटा विधि से करते हैं, जिससे कहीं ज्यादा तो कहीं कम बीज जाते हैं. इससे कहीं घनी तो कहीं खाली फसल तैयार होती है. इससे फसल में कमी आती है क्योंकि घना हो जाने से पौधों को उचित धूप, पानी और खाद नहीं मिल पाती है, इसके लिए किसान को 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज लगाने चाहिए. इससे बीज दर भी कम लगता है और उपज भी अधिक होती है.
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