शरदकालीन फसलों में कीटों का बढ़ा खतरा, फूलगोभी और बैंगन की फसलों पर विशेष नजर जरूरी

शरदकालीन फसलों में कीटों का बढ़ा खतरा, फूलगोभी और बैंगन की फसलों पर विशेष नजर जरूरी

फूलगोभी की फसल में पत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे कीट, वैज्ञानिकों ने बताए नियंत्रण के उपाय. बैंगन की फसल में फल छेदक कीटों का खतरा बढ़ा, शुरुआती रोकथाम पर जोर. कीटनाशकों का सही समय पर उपयोग और नियमित निगरानी जरूरी – कृषि वैज्ञानिकों की सलाह. पछेती किस्मों की नर्सरी और फसल की साफ-सफाई से भी मिलेगा लाभ.

Cauliflower FarmingCauliflower Farming
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • New Delhi ,
  • Oct 08, 2025,
  • Updated Oct 08, 2025, 3:05 PM IST

अक्टूबर का महीना शरदकालीन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त समय है. जहां एक ओर किसान लहसुन, धनिया और सरसों जैसी शरदकालीन फसलों की बुवाई में जुटे हैं. वहीं, पहले से लगी सब्जियों की खेती, विशेषकर फूलगोभी और बैंगन की फसलों में रोगों और कीटों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. इस मौसम में फूलगोभी की फसल पर पत्तियां खाने वाले कीटों का प्रकोप अधिक होता है, जबकि बैंगन की फसल में फल छेदक कीट भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. 

फसलों को कीटों और रोगों से बचाने के उपाय

इन फसलों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने अपने कृषि सुझावों में जरूरी उपाय बताए हैं. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि फूलगोभी की पत्तियां खाने वाले कीटों और बैंगन के फल छेदक कीटों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए समय पर निगरानी और उचित कीटनाशी का छिड़काव जरूरी है. 

फूलगोभी की पत्तियों का कीटों से करें निगरानी 

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सुझाव में बताया गया है कि फूलगोभी की फसल में पत्तियां खाने वाले कीटों की निगरानी करने की जरूरत है. इस कीट के पिल्लू फूलगोभी की मध्यवर्ती पत्तियों और सिर वाले भाग को अधिक क्षति पहुंचाते हैं. शुरुआती अवस्था में ये पिल्लू पत्तियों की नर्म सतह में सुरंग बनाकर उसके अंदर पत्तियों को खाते हैं. इस कीट से बचाव के लिए किसानों को स्पाइनोसेड 48 ईसी दवा एक मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. 

वहीं फूलगोभी की पछेती किस्में जैसे—माघी, स्नोकिंग, पूसा स्नोकिंग-1, पूसा-2, पूसा स्नोबाल-16 की बुवाई नर्सरी में करें. 

बैंगन में फल छेदक कीटों की निगरानी करें किसान 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बैंगन की फसल में तना और फल छेदक कीट का खतरा इस मौसम में सबसे अधिक रहता है. वहीं इन कीटों का अधिक प्रभाव रहने पर बैंगन में लगने वाले फल काफी मात्रा में खराब हो जाते हैं. 

फल छेदक कीटों के प्रभाव को कम करने के लिए किसान शुरुआती चरण में ही रोकथाम के उपाय जरूर कर लें. बैंगन की रोपाई के 10-15 दिनों बाद 1 ग्राम फ्यूराडान 3जी दानेदार दवा प्रति पौधा की दर से जड़ के पास मिट्टी में मिला दें. वहीं खड़ी फसल में इस कीट का आक्रमण होने पर कीट से ग्रसित तनों और फलों की तुरंत छंटाई कर उन्हें मिट्टी में गाड़ दें. यदि इसका प्रभाव अधिक दिखाई दे, तो नजदीकी कृषि वैज्ञानिक या कृषि से जुड़े हुए सलाहकार से अवश्य सलाह लें.

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