Pulses Farming: दलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाता है राइजोबियम, इसके 8 बड़े फायदे जानिए

Pulses Farming: दलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाता है राइजोबियम, इसके 8 बड़े फायदे जानिए

राइजोबियम (Rhizobium), दलहनी फसलों के विकास में बहुत मददगार होता है. दरअसल, ये दलहनी फसलों के ग्रंथियों में ही पाया जाता है, जो नाइट्रोजन की मदद से पौधों को पोषण प्रदान करता है. वहीं बाजार में इससे बने कृत्रिम जैव-उर्वरक भी मौजूद हैं.

दलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाता है राइजोबियम
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jan 19, 2024,
  • Updated Jan 19, 2024, 2:49 PM IST

भारत दलहनी फसलों का एक प्रमुख्य उत्पादक देश है. वहीं विश्व में भारत दलहन उत्पादन में पहले स्थान पर है. लगभग भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग प्रकार की दलहनी फसलों की खेती की जाती है. इसमें, चना, अरहर, मूंग, उड़द, लोबिया आदि शामिल हैं. दाल को प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है. लोग दाल का शाकाहारी भोजन में मुख्य रूप से प्रयोग करते हैं. वहीं भारतीय भोजन दाल के बिना अधूरा माना जाता है. इसके बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए किसानों को दलहनी फसलों के उत्पादन पर भी ध्यान देना चाहिए.

ऐसे में किसान वैज्ञानिकों द्वारा विकसित राइजोबियम का उपयोग करने से दाल की फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है. यह खेती की लागत को कम करते हुए मिट्टी के उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है. ऐसे में किसानों को इसके आठ फायदे जरूर जानने चाहिए.

जानें क्या है राइजोबियम

राइजोबियम (Rhizobium), दलहनी फसलों के विकास में बहुत मददगार होता है. दरअसल, ये दलहनी फसलों की ग्रंथियों में ही पाया जाता है, जो नाइट्रोजन की मदद से पौधों को पोषण प्रदान करता है. वहीं बाजार में इससे बने कृत्रिम जैव-उर्वरक भी मौजूद हैं. वहीं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खेतों में जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करने पर दूसरे खाद-उर्वरकों पर लगभग 25 फीदसी तक निर्भरता कम हो जाती है. इसके अलावा, फसलों के उत्पादन के साथ-साथ बीजों के अंकुरण और फलन में भी आसानी आती है.

ये भी पढ़ें:- Moong Ki Hari Khad: धान की पैदावार बढ़ा देती है मूंग की हरी खाद,  इस खास तरीके से करें इस्तेमाल

ये हैं इसके 8 बड़े फायदे

1- राइजोबियम का इस्तेमाल करने से खेती की लागत में कमी आती है. इसके उपयोग के बाद अलग से नाइट्रोजन के लिए यूरिया नहीं देना होता है. इसमें कम खर्च में अधिक उत्पादन होता है.

2- राइजोबियम के इस्तेमाल से सोयाबीन की उपज में 10 से 25 फीसदी और मूंग, चना उड़द, अरहर और लोबिया जैसी फसलों के उत्पादन में काफी अधिक बढ़ोतरी होती है.

3- इसके इस्तेमाल से खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है साथ ही लंबे समय तक मिट्टी की उर्वरता शक्ति बनी रहती है.

4- राइजोबियम के उपयोग से रसायन का उपयोग कम होता है. साथ ही इसके इस्तेमाल से वातावरण में कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है.

5- इसके उपयोग से अन्य लाभदायक जीवाणुओं और केंचुओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है. इसलिए मिट्टी की उर्वरता शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है.

6- दलहनी फसलों में राइजोबियम से उपचारित बीज बोने से लगभग 8 से 15 फीसदी तक फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.

7- राइजोबियम का इस्तेमाल करके किसान नाइट्रोजन खाद जैसे, यूरिया और डीएपी में 25 फीसदी तक बचत कर सकते हैं.

8- इसमें बेहतर तरीके का नाइट्रोजन कार्बनिक शक्ति पाए जाने के कारण पौधों को अधिक लाभ मिलता है.

MORE NEWS

Read more!